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बड़े नेता गलती करते हैं या राजनीति की नई परिभाषा है

“बड़े नेता बड़ी गलती करते है” !!! राजनीति में एक चिर परिचित लोकोक्ति है जितना बड़ा नेता उतनी बड़ी गलती ,!!!!,,यानि बड़े नेता बड़ी गलती करते है वर्तमान में इसका संदर्भ राजस्थान घटना क्रम और कांग्रेस चुनाव से जोड़कर देख सकते है,,, अशोक गहलोत एक बड़े नेता है जो कुछ दिनों में सबसे बड़ी विपक्षी

बड़े नेता गलती करते हैं या राजनीति की नई परिभाषा है

“बड़े नेता बड़ी गलती करते है” !!!

राजनीति में एक चिर परिचित लोकोक्ति है जितना बड़ा नेता उतनी बड़ी गलती ,!!!!,,यानि बड़े नेता बड़ी गलती करते है वर्तमान में इसका संदर्भ राजस्थान घटना क्रम और कांग्रेस चुनाव से जोड़कर देख सकते है,,, अशोक गहलोत एक बड़े नेता है जो कुछ दिनों में सबसे बड़ी विपक्षी के अध्यक्ष पद पर आसीन होते ,,,,पर राजनीति में कर्म के साथ भाग्य का साथ भी जरूरी है ऐसे बड़े नेता जो अध्यक्ष बनते लेकिन उसके पहले ही उनकी एक गलती उनके पूरे राजनीतिक कैरियर को चौपट कर दिया है और हालत ये है कि आज उनके मुख्यमंत्री पद पर भी खतरा मंडरा रहा है सजी सजाई अध्यक्ष पद की थाली आज उनके हाथ से छिन गई है और नीचे की कुर्सी का भी भरोसा नही है
,,,,,,,,अशोक गहलोत के लिए इतने महत्वपूर्ण पद के करीब जाकर लौट आने से ज्यादा महत्वपूर्ण उनके राजनीतिक हैसियत पर असर पड़ना है राजस्थान का घटनाक्रम अशोक गहलोत केवल पद जाने का मामला नहीं बल्कि राजनीतिक अस्तित्व को खत्म कर देने वाला घटनाक्रम है और इसके पीछे वजह एक है अशोक गहलोत की एक बड़ी गलती !!!! वैसे तो आमतौर पर नेताओं का कद बढ़ने के बाद बड़े नेताओं से गलती की उम्मीद कम की जाती है लेकिन राजनीति में जितना बड़ा नेता उतनी बड़ी गलती की गुंजाइश रहती है उसका जीता जागता उदाहरण है अशोक गहलोत का प्रत्यक्ष अप्रत्यक्ष रूप से राजस्थान में उठाया गया कदम ,,,,,,मुख्यमंत्री की कुर्सी पर एक पैर और दूसरा पैर राष्ट्रीय अध्यक्ष की कुर्सी पर रखने जैसी बचकानी हरकत की उम्मीद अशोक गहलोत से नहीं थी ,,,,,लेकिन जैसा कि सियासत में कहावत है की सियासी दांव और पांव सही पड़ना जरूरी राजस्थान की बगावत के पीछे अशोक गहलोत की भूमिका किसी से छुपी नहीं और आलाकमान की तेरी नजर की वजह से अशोक गहलोत के हाथ से राष्ट्रीय अध्यक्ष पद तो गया है और अब शायद मुख्यमंत्री का पद भी चला जाए तो आश्चर्य नही होना चाहिए,,,
बड़े नेताओं के द्वारा गलतियों का सिलसिला कोई नया नहीं है देश में कई उदाहरण हैं क्योंकि हम छ ग के है इस लिए छत्तीसगढ़ के संदर्भ में बात करें तो छत्तीसगढ़ के कई प्रमुख बड़े नेताओं ने ऐसी गलतियां की जिससे उनका राजनीतिक जीवन ही बदल गया और वो अर्श से फर्श पर आ गए,,,सिलसिले वार नज़र डालें तो पहला नाम है

विद्याचरण शुक्ल :-

    देश की राजनीति में धूमकेतु की तरह 70 के दशक से चमकने वाले इस नेता की पहचान देश के प्रमुख पांच नेताओं में होती थी ,, नरसिंह राव सरकार के जाने के बाद सोनिया गांधी के युग की शुरुआत में उन्होंने सोनिया गांधी का विरोध कर गांधी परिवार के अस्तित्व को नकार दिया था वही उनकी सबसे बड़ी गलती साबित हुई अरे गलती नहीं पूरे राजनीतिक जीवन भर उनका पीछा नहीं छोड़ा ,, राजनीति के इस सितारे की  राजनीतिक चमक गांधी परिवार से दूर होते ही खोती चली गई,,,, पहले राजीव गांधी के साथ एडजस्ट नहीं हो पाना और बाद में सोनिया गांधी को लेकर उनकी नाराजगी,, उनकी तल्ख टिप्पणी जैसी गलती की वजह से उन पर कभी कांग्रेस ने ही पूरा विश्वास नहीं किया,, देश की राजनीति में पिछड़ने के बाद विद्याचरण की उन पुरानी गलतीयो ने उनका छत्तीसगढ़ में भी पीछा जारी रखा !! लाख कोशिशों के बाद  भी है वह प्रदेश के पहले मुख्यमंत्री नहीं बन पाए ,,,,इसके साथ ही कांग्रेस का दामन उन्हें छोड़ना पड़ा गलती का सिलसिला उन्होंने फिर भी जारी रखा और 2004 में बीजेपी में शामिल हो गए,, 2007 में जब वापस आए तो कांग्रेस उनका वो रुतबा नही रहा ,,,,,,

अजीत जोगी :-

   कहते हैं राजनीति करने के लिए कई तरीके की राजनीति करनी पड़ती है कुछ सही होती है कुछ गलत !! लेकिन राजनीति में गलती कितनी भारी पड़ती है ये अजीत जोगी के  राजनीतिक कदमों से समझा जा सकता है,,, मुख्यमंत्री रहते गलतियां राजनीतिक चश्मे से सही गलत के रूप में देखी जा सकता हैं लेकिन मुख्यमंत्री पद से हटने के बाद कमजोर हो चुके अजीत जोगी ने भाजपा तोड़ने की कोशिश की रुपए के साथ साजिश का पर्दाफाश होना पार्टी से निलंबित होना,,, या मनमोहन सिंह को हटाकर सोनिया गांधी को प्रधानमंत्री बनाए जाने की मुहिम चलाना ऐसी गलतियां राजनीतिक रूप से सही गलत हो सकती है लेकिन यह सारे कदम उनके कैरियर की बेड़ियां साबित हुए लेकिन  उनकी सबसे बड़ी गलती अंतागढ़ टेप कांड रहा ,, अपनी पार्टी के उम्मीदवार के खरीद-फरोख्त में उनका कथित नाम आना जोगी  लिए घातक साबित हुआ अगर मगर के बीच आलाकमान ने ये मान लिया था कि ये कांड जोगी ने कराया था ,, ऐसे में उनका कांग्रेसमें रह पाना मुश्किल हो गया था हालांकि जो भी है संयम और धैर्य की उम्मीद थी लेकिन उन्होंने पार्टी छोड़ कर और एक बड़ी गलती कर ली,, ना केवल पार्टी छोड़ी बल्कि नई पार्टी भी बनाई ,, जो जोगी की गलती साबित हुई,,,,इस फैसले उनके राजनीतिक कैरियर पर बड़ा असर पड़ा,, हालांकि उनकी पार्टी छत्तीसगढ़ में अच्छा प्रदर्शन करने में कामयाब रहे लेकिन उस गलती की वजह से अजीत जोगी के जाने के बाद उनका परिवार और समर्थक अस्तित्व की लड़ाई लड़ते देख रहे हैं  और जोगी की पार्टी  डामाडोल रहे हैं,,

डॉ रमन सिंह :-

किसी भी राज्य के लिए उसके मुख्यमंत्री का तीन बार चुने जाना उसकी लोकप्रियता का चरम माना जाता है,,, लेकिन तीन बार के मुख्यमंत्री का आत्मविश्वास कई बार अति आत्मविश्वास में बदल जाता है डॉ रमन सिंह कि जिस गलती की बात मैं करने जा रहा हूं वह शायद ऐसी गलती है जिसकी वजह से आज बीजेपी विपक्ष में हैं और उस गलती का असर पार्टी को लंबे समय तक भुगतना पड़ सकता है डॉ रमन सिंह ने अपने कार्यकाल के दौरान कांग्रेस को आकने में गलती की ना केवल कांग्रेस पार्टी को बल्कि उस समय के अध्यक्ष भूपेश की क्षमता और जीवटता को गलत आंका गय्या ,,,, बघेल पर शिकंजा कसने की कोशिश में उठाए गए कदमों का कांग्रेस को भरपूर फायदा मिला और डॉक्टर रमन सिंह का मजबूत गढ़ ढह गया,,, !! मुख्यमंत्री भूपेश बघेल पर केंदित हो जाना,, पुराने आरोपों की बेसरपैर की जांच,, जमीन की नाम जोक कराना ,,आय से अधिक संपत्ति जैसे मामलों को उठाना,, कुछ ऐसे कदम थे जिसने ब्रांड बघेल को चाउर वाले बाबा से बड़ा बना दिया था,, उनकी इस बड़ी गलती का खामियाजा केवल रमन सिंह फोन नहीं बल्कि पूरी भाजपा को भुगतना पड़ा और भाजपा 14 सीटों में सिमट गई,,

,कहने का आशय से यह है कि नेता भले ही अपने राजनीतिक कदम अपने फायदे को देखकर उठाते हैं पर यह कदम कहीं बार उनकी बड़ी गलती साबित होते हैं और ये बड़े लोगों की गलतियां , इतनी बड़ी हो जाती हैं कि उनके बड़े पद और कद दोनों को खत्म कर देती हैं,,,
इसलिए जितना बड़ा नेता उतनी बड़ी गलती की संभावना बनी रहती है तो सतर्क रहिए सावधान रहिए फूंक-फूंक कर चलिए और ध्यांन रखिये बड़े फायदे के चक्कर में आप अपना बड़ा नुकसान तो नहीं कर रहे

साभार- मोहन तिवारी की कलम से