1. Home
  2. दुनिया

लोगों को तनाव की आदत इसलिए जिंदगी नॉर्मल; राजधानी कीव निशाने पर तो वहां सुरक्षित ठिकाने बनाए

रूसी सेना यूक्रेन के दो प्रांतों लुहांस्क और डोनेट्स्क में पहुंच चुकी है। यूक्रेन पर हर वक्त हमले की आशंका बनी हुई है। इस खौफ के बावजूद यूक्रेन के लोग सामान्य जीवन जी रहे हैं। स्कूल, कॉलेज, ऑफिस और सुपर मार्केट नियमित खुल रहे हैं। खाने-पीने और दवाइयों जैसे जरूरी सामान की कोई कमी नहीं

लोगों को तनाव की आदत इसलिए जिंदगी नॉर्मल; राजधानी कीव निशाने पर तो वहां सुरक्षित ठिकाने बनाए

रूसी सेना यूक्रेन के दो प्रांतों लुहांस्क और डोनेट्स्क में पहुंच चुकी है। यूक्रेन पर हर वक्त हमले की आशंका बनी हुई है। इस खौफ के बावजूद यूक्रेन के लोग सामान्य जीवन जी रहे हैं। स्कूल, कॉलेज, ऑफिस और सुपर मार्केट नियमित खुल रहे हैं। खाने-पीने और दवाइयों जैसे जरूरी सामान की कोई कमी नहीं है, इसलिए लोगों में घबराहट में की जाने वाली खरीदारी जैसा माहौल भी नहीं है।

लोगों का कहना है कि उन्हें 2014 से चले आ रहे तनाव के बीच रहने की आदत है, लेकिन इस बार हालात गंभीर होने से चिंता थोड़ी ज्यादा है। राजधानी कीव में लोग अपने लिए सुरक्षित ठिकाने की व्यवस्था कर चुके हैं, ताकि हमले की स्थिति में राजधानी से निकल सकें। कीव में मिसाइल हमले की आशंका ज्यादा है।

परिजनों को दूसरे देश भेज रहे लोग

कई लोग परिजनों को दूसरे देशों में रिश्तेदारों के पास भी भेज चुके हैं। कीव में अपनी कंपनी चलाने वाले डेन्यलो ने बताया, “पत्नी और दो बच्चों को रिश्तेदारों के पास पोलैंड भेज चुका हूं। फिलहाल मैं यहीं हूं। स्थितियां बिगड़ेंगी तो मैं भी उनके पास चला जाउंगा।’

चेक रिपब्लिक की चार्ल्स यूनिवर्सिटी में काम करने वाली ओलेना ने बताया, मैं पश्चिमी सीमा पर रहती हूं, इसलिए वहां इतना खौफ नहीं है। लोग आराम से रह रहे हैं। पैनिक बाइंग जैसे कोई चीज नहीं है, क्योंकि यूक्रेन के लोग एसी स्थितियां सालों से देख रहे हैं। हमें पता है कि स्थिति बहुत गंभीर हुई तो भी जरूरी चीजें मिलती रहेंगी। यूनिवर्सिटी में पढ़ रहे यूक्रेन के एक अन्य छात्र ने बताया, मैं अपने घर वालों से नियमित संपर्क में हूं। वहां सब सामान्य है।

सीमा से लगे हर स्कूल में बेसमेंट, 30 साल बाद भी वैसी ही स्थिति
पूर्वी और उत्तरी सीमा पर बसे गांव और कस्बों में गोलाबारी चलती रहती है। स्कूली बच्चों को युद्धाभ्यास में सिखाया जाता है कि हमले के दौरान उन्हें क्या करना है। यहां स्कूल और घरों में बेसमेंट बने हुए हैं। हमले के पहले सायरन बजता है। बच्चों को भी पता है कि सायरन बजते बेसमेंट में जाना है या बिल्डिंग छोड़नी है।

रिपब्लिक में काम करने वाले यूक्रेन के मिलान बालाहुरा बताते हैं, मेरे पिता ने यूक्रेन की आजादी के लिए काम किया था। वे बताते थे कि उस दौर में वे जरूरी चीजें हमेशा तैयार रखते थे। मेरा परिवार फ्रंट लाइन से महज 15 किलोमीटर दूर मारियूपोल में रहता है। 30 साल बाद आज फिर वैसी ही स्थिति बन चुकी है।

रूस ने कहा- गैस के दोगुने दाम चुकाएंगे यूरोप के लोग

रूस के पूर्व राष्ट्रपति दिमित्री मेदवेदेव (फाइल फोटो)।

रूस की संसद ने राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन को देश से बाहर सेना के इस्तेमाल की औपचारिक मंजूरी दे दी है। पुतिन ने उच्च सदन से कहा था कि उन्हें विदेश में सेना तैनात करने की मंजूरी दी जाए। रूस के पूर्व राष्ट्रपति दिमित्री मेदवेदेव ने कहा कि यूरोप को जल्द ही प्राकृतिक गैस की दोगुनी कीमत चुकानी होगी।

यह बयान जर्मनी की ओर से गैस पाइपलाइन का काम बंद किए जाने के बाद आया है। रूस के उप विदेश मंत्री एंड्री रूडेंको ने कहा कि पूर्वी यूक्रेन से स्वतंत्र हुए दोनों नए राष्ट्रों में रूस अपने सैन्य अड्‌डे बनाने का अधिकार रखता है।

मानव अवशेष इस्तेमाल कर रहा रूस: यूक्रेन
यूक्रेन की ओर से आरोप लगाया गया है कि रूस हमले का दुष्प्रचार करने के लिए मानव अवशेष तक का इस्तेमाल कर रहा है। कहा गया है कि मुर्दाघरों से लाए गए मानव अवशेष एक फर्जी बम हमले के बाद मौके पर बिखेर दिए गए, ताकि लोग दहशत में आएं।

इस बीच, यूरोपीय यूनियन ने यूक्रेन के दो राज्यों को स्वतंत्र राष्ट्र घोषित करने के पुतिन के प्रस्ताव पर सहमति जताने वाले 350 रूसी सांसदों पर पाबंदी लगा दी है। रूस के इरादों को लेकर एक बार फिर नाटो प्रमुख ने चेतावनी दी है। उन्होंने कहा कि रूस बड़ा युद्ध करना चाहता है।