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MP में पहली बार रेस्पिरेटरी थेरेपी कोर्स:पहले बैच से ही पासआउट स्टूडेंट्स को सरकारी नौकरी का मौका, GMC भोपाल में 10 सीटों पर एडमिशन शुरू

पहली बार रेस्पिरेटरी थेरेपी कोर्स से मिलेगा नए छात्रों को फायदा बुलंदसोच 9 फरवरी भोपाल मध्यप्रदेश में पहली बार रेस्पिरेटरी थेरेपी में बैचलर डिग्री कोर्स शुरू हुआ है। मप्र पैरामेडिकल काउंसिल ने कोर्स लिए गांधी मेडिकल कॉलेज में 10 सीटों पर दाखिले की मंजूरी दी है। बायोलॉजी से 12वीं पास स्टूडेंट्स 10 मार्च तक अप्लाई

MP में पहली बार रेस्पिरेटरी थेरेपी कोर्स:पहले बैच से ही पासआउट स्टूडेंट्स को सरकारी नौकरी का मौका, GMC भोपाल में 10 सीटों पर एडमिशन शुरू

पहली बार रेस्पिरेटरी थेरेपी कोर्स से मिलेगा नए छात्रों को फायदा

बुलंदसोच 9 फरवरी भोपाल

मध्यप्रदेश में पहली बार रेस्पिरेटरी थेरेपी में बैचलर डिग्री कोर्स शुरू हुआ है। मप्र पैरामेडिकल काउंसिल ने कोर्स लिए गांधी मेडिकल कॉलेज में 10 सीटों पर दाखिले की मंजूरी दी है। बायोलॉजी से 12वीं पास स्टूडेंट्स 10 मार्च तक अप्लाई कर सकते हैं। बैचलर डिग्री में रेस्पिरेटरी थेरेपिस्ट के त्रिवर्षीय पाठ्यक्रम में दस सीटों पर और PFT (पल्मोनरी फंक्शन टेस्ट) टेक्नीशियन के द्विवर्षीय पाठ्यक्रम में पांच सीटों पर मेरिट के आधार पर प्रवेश दिए जाएंगे।
कोरोना काल में रोजगार के लिहाज से यह कोर्स बहुत अहम है। एक्सपर्ट्स की मानें तो रेस्पिरेटरी से जुड़े टेक्नीशियन कम हैं। पहले पांच बैच में पासआउट होने वाले स्टूडेंट्स को सरकारी और प्राइवेट मेडिकल फील्ड में जॉब आसानी से मिल सकती है। गांधी मेडिकल कॉलेज के रेस्पिरेटरी मेडिसिन विभाग द्वारा यह कोर्स संचालित किए जाएंगे।
10 मार्च तक इन पैरामेडिकल कोर्स के लिए अप्लाई करें

पाठ्यक्रम का नामसीट संख्याडिग्री/ डिप्लोमा/सर्टिफिकेटबैचलर इन रेस्पिरेटरी थेरेपिस्ट10डिग्रीडिप्लोमा इन PFT टेक्नीशियन05डिप्लोमामेडिकल लैब टेक्नीशियन100डिप्लोमाकैथ लैब टेक्नीशियन20डिप्लोमापैरा मेडिकल ऑप्थाल्मिक असिस्टेंट30डिप्लोमाएक्सरे (रेडियोग्राफर) टेक्नीशियन50डिप्लोमापीजी डिप्लोमा इन परफ्यूजन टेक्नोलॉजी25डिप्लोमाडायलिसिस टेक्नीशियन40डिप्लोमाओटी टेक्नीशियन40सर्टिफिकेटएक्सरे (रेडियोग्राफर) टेक्नीशियन30सर्टिफिकेटहेल्थ इंस्पेक्टर10सर्टिफिकेट

कोविड के बाद विदेशों में बढ़ी डिमांड
गांधी मेडिकल कॉलेज में पैरामेडिकल कोर्स के नोडल ऑफिसर डॉ. निशांत श्रीवास्तव बताते हैं कि पूरे देश में रेस्पिरेटरी थेरेपी डिग्री की बहुत कम सीटें हैं। स्वाइन फ्लू और कोविड पेंडेमिक के बाद सांस के रोगियों, ऑक्सीजन का उपयोग करने वाले और वेंटिलेटर इस्तेमाल करने वाले मरीजों की संख्या बढ़ी है। ऐसे में रेस्पिरेटरी से जुड़ी डिग्री और डिप्लोमाधारी कैंडिडेट्स की डिमांड काफी बढ़ गई