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यह कैसा न्याय- रेप और एससी एसटी के झूंठे आरोप से 20 साल बाद बरी हुए विष्णू तिवारी

अभिषेक दुबे एससी/एसटी एक्ट का दुरुपयोग होना कोई बड़ी बात नही है लेकिन बिना सबूत के ही इस एक्ट के तहत किसी की पूरी ज़िंदगी बर्बाद हो जाये किसी के प्रति क्रूर अत्याचार से कम नही हैविष्णु तिवारी की ज़िंदगी तो मानो खत्म सी हो गई थी। उन्हें ऐसे अपराध की सज़ा मिली जो उन्होंने

यह कैसा न्याय- रेप और एससी एसटी के झूंठे आरोप से 20 साल  बाद बरी हुए विष्णू तिवारी

अभिषेक दुबे

एससी/एसटी एक्ट का दुरुपयोग होना कोई बड़ी बात नही है लेकिन बिना सबूत के ही इस एक्ट के तहत किसी की पूरी ज़िंदगी बर्बाद हो जाये किसी के प्रति क्रूर अत्याचार से कम नही है
विष्णु तिवारी की ज़िंदगी तो मानो खत्म सी हो गई थी। उन्हें ऐसे अपराध की सज़ा मिली जो उन्होंने कभी किया ही नही था।विष्णु तिवारी को 20 साल तक रेप और एससी एसटी एक्ट के तहत जेल भेज दिया गया था। उत्तर प्रदेश के ललितपुर क्षेत्र स्थित सिलावन गांव के रहने वाले विष्णु को गांव की ही महिला ने जमीनी विवाद के चलते रेप और एससी एसटी के झूठे केस में फंसा दिया था।

गरीब ब्राम्हण होने के कारण वो अपनी पैरवी ही नही कर पाए। जो भी जमीन थी मुकदमे में बिक गई। मां बाप गुजर गए जमानत तक नही मिली।वकील स्वेता सिंह राणा ने विष्णु तिवारी का केस जब हाँथ में लिया और पता किया तो पता चला कि विष्णु पर जिन धाराओ के तहत आरोपित किया गया है आजतक उसके सबूत ही नही मिले ।इन सबको आधार मानकर 3 मार्च को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने विष्णु तिवारी को 20 साल बाद बरी कर दिया।विष्णु तिवारी तो बरी हो गए लेकिन 20 साल की ज़िंदगी को कौन लौटाएगा। शासन प्रशासन को इस केस मातहत समझना पड़ेगा कि कहीं न कहीं एससी एसटी एक्ट का दुरुपयोग हो रहा है और बेकसूर लोगों के साथ अन्याय हो रहा है।