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“वर्षों से जमे घोटालों के ठेकेदार – रीवा DEO कार्यालय में अधिकारियों का भ्रष्टाचार क्लब! बीएस जामोद क्या कार्रवाई करेंगे?”

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जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय रीवा का मुख्य प्रवेश द्वार
रीवा स्थित जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय जहाँ फर्जी अनुकंपा नियुक्ति प्रकरण उजागर हुआ
  • “फर्जी नियुक्ति के सूत्रधार बचते रहे, मासूम फँसता रहा
  • “रीवा शिक्षा विभाग बना भ्रष्टाचार की मंडी – मिश्रा, शर्मा, वर्मा जैसे घोटालेबाजों पर कार्रवाई का वक्त अब!”
  • जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय में घोटालेबाजों की जमाटोली!
  • वर्षों से वही चेहरे, वही कारनामे – फर्जी नियुक्तियों से लेकर कैश बक्सा तक सब कुछ सेट!

बुलंद सोच ब्यूरो रीवा, मध्यप्रदेश।
रीवा के जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय को अब “शिक्षा विभाग” कहने में संकोच होता है –
यहाँ सालों से बैठे हुए कुछ बाबू और अधिकारी मिलकर इसे “फर्जीवाड़ा संचालनालय” बना चुके हैं।

हाल ही में उजागर हुई फर्जी अनुकंपा नियुक्ति ने पूरे तंत्र की कलई खोल दी है –
लेकिन हद तो तब हो गई जब इस नियुक्ति के प्रस्तुतकर्ता अधिकारी अखिलेश मिश्रा को बचाने के लिए विभाग ने मेहरबानी की चादर ओढ़ा दी!

कौन हैं ‘दिग्गज घोटालेबाज’?

  • अखिलेश मिश्रा (OIC):
    पिछले 6 वर्षों से अधिक समय से DEO कार्यालय में जमा हुआ यह अधिकारी, लगभग हर चर्चित फाइल का प्रस्तुतकर्ता रहा है।
    चाहे नियुक्ति हो, स्थानांतरण या फर्जी प्रमाणपत्र — मिश्रा जी का नाम पृष्ठभूमि में अवश्य होता है।
  • अशोक शर्मा (कैशियर):
    कैश बुक हो या बाउचर — कई लाखों के लेनदेन में अनियमितताओं के सूत्रधार माने जाते हैं।
    फिर भी आराम से वहीं जमे हैं, मानो विभाग की तिजोरी की चाबी इनकी बपौती हो।
  • संजीव वर्मा:
    चर्चा है कि विभाग के कई विवादित ऑर्डरों की भाषा, तारीख़ और संख्याएँ इनकी उंगलियों से तय होती हैं।
    और अब भी यह अधिकारी कुर्सी पर जमे हुए हैं — “घोटालों का आईटी सेल” कहिए तो अतिशयोक्ति न होगी।

कलेक्टर तक को गुमराह करने की व्यवस्था!

इन अधिकारियों की सेटिंग इतनी मजबूत है कि
कलेक्टर तक को अधूरी या भ्रमित करने वाली जानकारी दी जाती है।
फिर कागजों पर सब कुछ “ठीक” दिखाकर असलियत पर पर्दा डाल दिया जाता है।

सवाल उठता है — सफाई कब?

रीवा के ईमानदार अफसरों से जनता का सवाल अब यही है:

“जब बार-बार यही चेहरे घोटालों में घिरते हैं, तो इन्हें हटाया क्यों नहीं जाता?”
“क्या कलेक्टर, संभागायुक्त और शिक्षा विभाग इतना कमजोर हो गया है कि कुछ बाबू मिलकर पूरे सिस्टम को नचा दें?”

विभाग की प्रतिष्ठा दांव पर ?

अगर अब भी इन पर कार्यवाही नहीं हुई,
तो यह स्पष्ट संदेश जाएगा कि –
“घोटाले करो, वर्षों तक पदस्थ रहो – और अफसरों की चुप्पी में मौज करो!”

संभागायुक्त बीएस जामोद से आस:

  • DEO कार्यालय का औचक निरीक्षण करें
  • ऐसे घोटालेबाज बाबुओं की सूची बनाकर तत्काल हटाएं
  • नियुक्तियों, वेतन भुगतान और दस्तावेज़ प्रक्रिया की पिछली 3 वर्षों की फाइलें जांचें

रिपोर्ट: Buland Soch News
📍 रीवा ब्यूरो — जहाँ घोटालों की फाइलें खुलती हैं, छुपाई नहीं जातीं।

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