📍 लोकेशन: खजराना, इंदौर, मध्यप्रदेश
🗓️ तारीख: जून 2025
✍️ रिपोर्टर: Buland Soch संवाददाता
घटना का पूरा विवरण
इंदौर के खजराना क्षेत्र में एक कार में सवार परिवार को शुक्रवार शाम सड़क किनारे रोक लिया गया। कार में एक गर्भवती महिला (लगभग 4 महीने की), उसकी महिला दोस्त, एक नवजात बच्चा और उनके पति मौजूद थे। ये लोग अस्पताल से रूटीन चेकअप करके लौट रहे थे। हालांकि किसी भी ट्रैफिक नियम के उल्लंघन का कारण सामने नहीं आया, फिर भी खजराना मंदिर के पास पुलिस ने बिना किसी स्पष्टीकरण के महिला की गाड़ी की चाबी ज़ब्त कर ली।
जब महिला ने शांतिपूर्वक यह पूछा कि चाबी क्यों ली गई, तो वहां खड़े सब-इंस्पेक्टर ने जवाब दिया:
“तुम्हें पूछने का कोई हक नहीं है। हम पुलिस हैं, जो चाहें कर सकते हैं।”
इसके बाद शुरू हुआ पुलिसियाना उत्पीड़न: महिला को धक्का ज़ोर से मारकर गिराया गया, उसके पति को पीछे से पकड़कर पीटा गया। जब महिला ने वीडियो बनाना शुरू किया तो सब-इंस्पेक्टर ने कहा:
"बना लो वीडियो, देख लूंगा क्या उखाड़ लेगी
बदले की भावना में पुलिस ने आरोप लगाया कि महिला “दारू पीकर वाहन चला रही थी”—एक मानसिक और कानूनी झूठ। गर्भवती महिला ने और परिवार ने साफ़ इंकार कर दिया कि किसी ने शराब का सेवन नहीं किया था।
❤️ इंसानियत का सवाल: गर्भवती महिला और नवजात की गरिमा को कुचला गया
इस घटना ने न केवल कानूनी और प्रशासनिक प्रणाली को कठघरे में खड़ा किया है, बल्कि इंसानियत की सीमाएं भी उजागर कर दी हैं।
एक गर्भवती महिला — जो अपनी शारीरिक और मानसिक संवेदनशील अवस्था में थी — के साथ धक्का-मुक्की करना न केवल अमानवीय है, बल्कि यह दर्शाता है कि हमारी वर्दी पहने संस्थाएं संवेदनशीलता से कितनी दूर जा चुकी हैं।
वहीं, उसकी महिला मित्र की गोद में चार महीने का शिशु था — जो सड़क के बीच गाड़ियों और पुलिस की गाली-गलौज के माहौल में सहमा बैठा था।
यह घटना यह भी सोचने पर मजबूर करती है कि क्या हमारे सिस्टम में अब ममता, सुरक्षा और सम्मान के लिए कोई जगह बची है?
परिवार ने SP इंदौर को लिखित शिकायत पेश की है। चेतावनी दी गई है कि यदि दोषियों के खिलाफ कार्रवाई नहीं हुई तो प्रशासनिक और जनआंदोलन की राह चुनी जाएगी।
- स्थानीय लोगों का गुस्सा:
“देखो, ये वही पुलिस है जो नेताओं के तलवे चाटती है और आम जनता को सड़क पर घसीटती है,” एक व्यापारी ने कहा।
“जनता चुप बैठती है, तो पुलिस हमें खिलाड़ी समझती है,” वृत्तामित्र ने तंज़ कसा। - मीडिया में उपन्यास:
मीडिया रिपोर्ट्स अक्सर वाहन और रोड रेज मामलों को कवर करती हैं, लेकिन पुलिस के साथ ऐसा बेअदबी और झूठी FIR अभी पहली बार देखा गया है।
- हालिया साल में खजराना क्षेत्र ने नकली मार्कशीट रैकेट और हिंसक सड़क घटना देखी है, लेकिन पुलिस पर ही ऐसा सीधा हिंसा और झूठी FIR लगाना नए स्तर की बढ़त है।
- इससे पहले भी कुछ प्रेग्नेंट महिलाओं पर सड़क हिंसा हुई है — जैसे 2024 में दर्ज़ मामले में गर्भवती वकील को बेल्ट से पीटा गया था।
Buland Soch News आगे भी पूछेगा – क्या न्याय मिलेगा या न्याय की उम्मीद भी गायब हो चुकी है?