छतरपुर स्थित महाराजा बुंदेलखंड विश्वविद्यालय से एक हैरान कर देने वाला मामला सामने आया है, जिसने उच्च शिक्षा के माहौल और प्रशासनिक निगरानी पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। विश्वविद्यालय के टेक्नीशियन डिपार्टमेंट के ऑफिस में मंगलवार देर रात शराब पार्टी का वीडियो सामने आया है। वीडियो में कर्मचारी अपने कुछ साथियों के साथ टेबल पर शराब की बोतलों, गिलासों और खाने-पीने की चीज़ों के बीच बैठा नजर आ रहा है। सबसे चिंताजनक बात यह है कि यह पार्टी उस विभाग के ऑफिस में हो रही थी, जहां करीब 18,000 छात्रों के शैक्षणिक दस्तावेज और महत्वपूर्ण फाइलें सुरक्षित रखी जाती हैं।
छात्रों ने इस पूरी घटना का वीडियो बना लिया और उसे सोशल मीडिया पर साझा कर दिया, जिससे मामला तेजी से वायरल हो गया। छात्रों का दावा है कि यह शराब पार्टी रात लगभग 1 बजे चल रही थी। वीडियो सामने आने के बाद छात्र संगठनों में भी रोष देखा गया। कांग्रेस से जुड़े छात्र संगठन ने इस पूरे प्रकरण को विश्वविद्यालय की मर्यादा के खिलाफ बताया और कहा कि ऐसे गैर-जिम्मेदार कर्मचारियों की वजह से छात्रों की सुरक्षा, डेटा की गोपनीयता और विश्वविद्यालय की साख दांव पर लगती है। संगठन ने विश्वविद्यालय के कुलसचिव और जिला कलेक्टर को ज्ञापन सौंपकर सख्त कार्रवाई की मांग की है।
विश्वविद्यालय प्रशासन ने भी इस मामले को गंभीरता से लेते हुए तत्काल एक पांच सदस्यीय जांच समिति का गठन कर दिया है। इस समिति में विश्वविद्यालय के ही सीनियर शिक्षकों को शामिल किया गया है, जिन्हें पूरे मामले की निष्पक्ष जांच कर रिपोर्ट सौंपने का निर्देश दिया गया है। कुलसचिव यशवंत पटेल ने मीडिया को बताया कि जांच पूरी होने तक किसी भी भ्रामक जानकारी से बचने की अपील की जाती है। उन्होंने यह भी आश्वासन दिया कि जांच रिपोर्ट आने के बाद उचित प्रशासनिक कार्रवाई की जाएगी।
सिविल लाइन थाना प्रभारी का कहना है कि फिलहाल इस मामले को लेकर थाने में कोई शिकायत दर्ज नहीं कराई गई है। यदि शिकायत प्राप्त होती है तो पुलिस स्तर पर भी कार्रवाई की जाएगी। वहीं, वीडियो में नजर आ रहे संबंधित कर्मचारी से संपर्क करने की कोशिश की गई, लेकिन उसका फोन बंद पाया गया।
इस पूरे मामले ने एक बार फिर यह सवाल उठाया है कि क्या विश्वविद्यालयों में सुरक्षा और अनुशासन का पालन केवल छात्रों पर ही लागू होता है? जब एक कर्मचारी ही ऑफिस परिसर में देर रात पार्टी करता है और किसी की नजर तक नहीं पड़ती, तो यह प्रशासनिक लापरवाही का सबसे बड़ा उदाहरण है। ऐसे में विश्वविद्यालयों की आंतरिक निगरानी व्यवस्था, रात्रिकालीन सुरक्षा और कर्मचारियों की जवाबदेही पर देशभर में बहस छिड़ना लाज़िमी है।
Buland Soch News की टीम इस पूरे घटनाक्रम पर लगातार नजर बनाए हुए है और हर अपडेट आप तक पहुंचाती रहेगी। यह सिर्फ एक विश्वविद्यालय की बात नहीं, पूरे शिक्षा तंत्र की साख का सवाल है।