मध्यप्रदेश के मऊगंज में बारिश के चलते कई क्षेत्र, बाजार और घर जलमग्न हो उठे।
स्थानीयों ने बताया कि यह समस्या तीन प्रमुख नालों—थाना, कुमार मशीनरी और पूर्व विधायक के घर के सामने—पर किए गए अवैध अतिक्रमण से उत्पन्न हुई है।
प्रशासन से नाला खोलने व सफाई की तत्काल मांग उठ रही है।
रिपोर्ट: कंचन शिवपुरिया | Buland Soch News | 18 जुलाई 2025
मऊगंज नगर में 2025 की बारिश ने उजागर किया वह चुपचाप बढ़ती समस्या, जिसे लोग वर्षों से झेल रहे थे।
तीन नालों का अतिक्रमण और बंद होना — कागजों में सूचारू दिखती व्यवस्था की सबसे बड़ी विफलता बन गया है।
जिन्हें जनता ने शॉर्टकट सुविधा के लिए रोका था—अब वही नाले जलभराव का मुख्य कारण ठहरे।
सबसे गंभीर स्थितियाँ:
- भारी बारिश के बाद शहर के मेन मार्केट, घटारियां, और पुलिस थाना परिसर में जलभराव देखा गया |
- बाजार में दुकानों और घरों में पानी घुसा, बिजली, स्कूल और वाहन प्रभावित हुए ।

🚱 प्रमुख कारण अतिक्रमण:
- तीन बड़े नालों—जिनकी जिम्मेदारी नगर परिषद की—पर अवैध निर्माण हो चुका।
- कुमार मशीनरी, थाना परिसर और पूर्व विधायक लक्ष्मण तिवारी के घर के सामने की नालियाँ बंद पड़ी हैं ।
- स्थानीय लोगों ने नालों को जमीन के रूप में इस्तेमाल किया—जिससे बरसात का पानी निकला नहीं।
🧨 प्रशासन और अभिभावकों की खामियाँ:
- नगर परिषद ने केवल कागज़ी नोटिस जारी की; फैक्ट रिपोर्ट और पुनः खोली नहीं गयी नालियाँ ।
- स्थानीय नागरिक प्रशासन के “सूखे आदेशों” पर भरोसा करते रहे—पर परिणाम के तौर पर जल ही भर गया।
📆 घटना का त Timeline:
- 11 जुलाई 2025: श्रावण मेले की तैयारी में कलेक्टर-एसपी ने नालों से अतिक्रमण हटाने के निर्देश दिए।
- 17 जुलाई 2025: भारी बारिश—नाला बंद थी, जलभराव शुरू हुआ, पुलिस थाना परिसर भी डूबा ।
- 18 जुलाई 2025: वीडियो वायरल, Buland Soch News में रिपोर्ट — प्रशासन बिना राहत कार्य और सफाई इंतजार कर रहा है।

🔁 पहले भी हो चुकी हैं ऐसी घटनाएँ:
- रीवा: नदियों के बजाय नालों में अतिक्रमण से बाढ़—जलभराव ने मोहल्ले डूबे ।
- भोपाल: कई जगह हुई बारिश से रोड निर्माण की खराबी स्पष्ट, लेकिन जो दिखा वो अध्यादेश बह गया ।
- मऊगंज के अन्य जिलों: रामनगर बस्ती जलमग्न—निर्माण कंपनी की लापरवाही पर लंबे समय तक जलभराव रहा
मऊगंज में जलभराव सिर्फ एक टेम्पररी समस्या नहीं—बल्कि नगर विकास नीति और लोकाभ्यस्ताचार की विफलता की चेतावनी है।
कागज़ों पर ‘नालों की सफाई’ और आदेश मिलते ही बरसात आती है और नाला नहीं—नगर तैरने लगता है।
प्रशासन से जनता मांग कर रही है कि:
- तीन प्रमुख नाले तुरंत खोले जाएं
- अतिक्रमण हटवाया जाए
- नालों की नियमित रखरखाव व्यवस्था शुरू हो
वरना अगली बारिश से पहले, इस जल संकट को किसी बड़ी दुर्घटना में बदलने से कोई रोक नहीं पाएगा।
Buland Soch News याद दिलाता है—पहली बारिश में भरा जल, दूसरे एहसास में बन जाएगा आपदाग्रस्त झील। अब इंतज़ार नहीं, ज़मीन पर कदम उठाने का समय है।