हरदा में करणी सेना के प्रदर्शन पर हुए पुलिस लाठीचार्ज के बाद गहराया सियासी संकट, महिपाल सिंह मकराना ने बीजेपी को दी बिहार चुनाव में परिणाम भुगतने की चेतावनी।
मध्यप्रदेश के हरदा में 13 जुलाई 2025 को हुए करणी सेना के प्रदर्शन और उस पर हुई पुलिस कार्रवाई अब केवल एक कानून-व्यवस्था का मुद्दा नहीं रह गया है। यह एक राजनीतिक और सामाजिक चेतावनी का रूप ले चुका है, जो भारतीय जनता पार्टी के लिए भविष्य में बड़े नुकसान की भूमिका बना सकता है। करणी सेना, जो वर्षों से भाजपा की समर्थक मानी जाती रही है, अब उसी के खिलाफ खुलकर खड़ी हो गई है।
करणी सेना के कार्यकर्ताओं ने हरदा में चक्का जाम कर प्रदर्शन किया, जिस पर पुलिस ने लाठीचार्ज और आंसू गैस के गोले छोड़ दिए। लगभग 60 कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार किया गया, जिनमें मध्यप्रदेश करणी सेना के प्रदेश अध्यक्ष जीवन सिंह शेरपुर भी शामिल थे। प्रदर्शन के बाद प्रदेशभर में आक्रोश फैल गया और करणी सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष महिपाल सिंह मकराना ने प्रेस को संबोधित करते हुए तीखा बयान दिया।
📍 करणी सेना की चेतावनी — “हमने सत्ता दिलाई, अब जवाब भी देंगे”
मकराना ने सीधे तौर पर भाजपा को चेतावनी देते हुए कहा कि “हरियाणा, महाराष्ट्र और दिल्ली की सत्ता हमने दिलाई थी, अब अगर हमारे युवाओं पर लाठी चली तो बिहार में भाजपा को इसका जवाब मिलेगा।” उन्होंने कहा कि यह पहला मौका है जब करणी सेना पर इस तरह की बर्बरता हुई है। उनके अनुसार, युवाओं को आतंकवादी समझकर पीटा गया, छात्रावासों में घुसकर मारपीट की गई, और शांतिपूर्ण आंदोलन को जानबूझकर हिंसक बनाया गया।
🛑 पुलिस की भूमिका पर सवाल — प्रशासनिक साजिश या चूक?
करणी सेना का दावा है कि पुलिस ने पहले से योजनाबद्ध तरीके से लाठीचार्ज किया। कई राजपूत छात्रावासों में छापे मारे गए और छात्रों के साथ दुर्व्यवहार किया गया। इसका कोई सरकारी जवाब या माफी अब तक सामने नहीं आई है।
🧩 बीजेपी की चुप्पी — अपने ही कार्यकर्ताओं से दूरी?
बयान में मकराना ने कहा कि जो कार्यकर्ता गिरफ्तार हुए, वे सभी भाजपा समर्थक थे। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि प्रदेश के राजपूत नेता, जो चुनावों में टिकट पाते हैं, अब चुप बैठे हैं। वहीं, कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह ने घायलों से मिलकर उनका साथ दिया, जबकि भाजपा के किसी भी नेता ने फोन तक नहीं उठाया।
🔥 मकराना का तीखा वार — “हम शांतिपूर्ण हैं, लेकिन मजबूर नहीं”
उन्होंने साफ किया कि करणी सेना ने हमेशा शांतिपूर्ण तरीके से आंदोलन किए हैं। लेकिन अगर उन्हें उकसाया गया, तो वे प्रतिक्रिया देने में पीछे नहीं हटेंगे। “अगर 5 हजार कार्यकर्ता चाह लेते, तो 500 पुलिसवालों पर भारी पड़ सकते थे, लेकिन हमने कानून का सम्मान किया,” मकराना ने कहा।
🏹 राजनीतिक संकेत — क्या बिहार चुनाव में असर दिखेगा?
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यदि करणी सेना की यह नाराज़गी आगे भी जारी रही, तो इसका असर बिहार और अन्य राज्यों के विधानसभा चुनावों में भाजपा को भुगतना पड़ सकता है। मकराना की चेतावनी सिर्फ गुस्से का इज़हार नहीं, एक रणनीतिक संदेश भी है — कि समर्थन बिना सशर्त नहीं होता।
📢 सरकार की प्रतिक्रिया का इंतज़ार — अब गेंद बीजेपी के पाले में
इस पूरे घटनाक्रम पर भाजपा की ओर से अब तक कोई औपचारिक प्रतिक्रिया सामने नहीं आई है। न ही पुलिस प्रशासन ने लाठीचार्ज के आदेश या उसकी ज़रूरत को लेकर कोई स्पष्टिकरण दिया है। करणी सेना के इस रुख को हल्के में लेना भाजपा के लिए आत्मघाती हो सकता है।
📍 निष्कर्ष: सम्मान, सुरक्षा और राजनीतिक साझेदारी — तीनों सवालों पर मौन ठीक नहीं
करणी सेना के आंदोलन का यह नया स्वरूप भाजपा की रणनीति को चुनौती दे रहा है। अब सवाल है — क्या भाजपा करणी सेना की बात सुनेगी या आने वाले चुनावों में इसका खामियाज़ा भुगतेगी?