Buland Soch न्यूज़ डेस्क भोपाल।
भारतीय जनता पार्टी ने मध्यप्रदेश में नए प्रदेश अध्यक्ष के चयन की प्रक्रिया तेज़ कर दी है। तमाम अटकलों और अंदरूनी मंथन के बीच बैतूल के वरिष्ठ भाजपा नेता और विधायक हेमंत खंडेलवाल का नाम सबसे प्रमुख दावेदार के रूप में उभरकर सामने आया है। पार्टी सूत्रों की मानें तो इस बार भी अध्यक्ष पद के लिए निर्विरोध चयन की परंपरा को बरकरार रखा जाएगा।
नामांकन प्रक्रिया और कार्यक्रम
प्रदेश चुनाव अधिकारी विवेक नारायण शेजवलकर द्वारा जारी अधिसूचना के अनुसार—
- मंगलवार (1 जुलाई) को शाम 4:30 से 6:30 बजे तक नामांकन पत्र जमा होंगे।
- जांच और वापसी के बाद रात 8 बजे नामों की अंतिम सूची घोषित की जाएगी।
- यदि एक से अधिक नाम रहे तो 2 जुलाई (बुधवार) को सुबह 11 से दोपहर 2 बजे के बीच मतदान होगा।
- इसके बाद तुरंत मतगणना और नए अध्यक्ष की घोषणा कर दी जाएगी।
इस चुनाव की पूरी प्रक्रिया केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान की निगरानी में होगी, जो चुनाव प्रभारी के रूप में भोपाल पहुंचेंगे।
कौन हैं हेमंत खंडेलवाल?
- हेमंत खंडेलवाल राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की पृष्ठभूमि से हैं।
- वे बैतूल से दो बार विधायक रह चुके हैं।
- इससे पहले वे अपने पिता विजय कुमार खंडेलवाल के निधन के बाद बैतूल लोकसभा सीट से उपचुनाव जीतकर सांसद बने थे।
- उनके पिता विजय खंडेलवाल तीन बार बैतूल से सांसद रहे और पार्टी व संघ में उनकी मजबूत पकड़ थी।
हेमंत खंडेलवाल न केवल संगठन में सक्रिय हैं, बल्कि भाजपा के नीति पक्ष से लेकर ज़मीनी कार्यकर्ताओं के बीच भी प्रभावशाली नेतृत्व के रूप में देखे जाते हैं।
क्यों बढ़ी हेमंत खंडेलवाल की दावेदारी?
- वर्तमान में पदोन्नति में आरक्षण का मुद्दा मध्यप्रदेश की राजनीति में गर्माया हुआ है।
- पार्टी नेतृत्व इस बार सामान्य वर्ग से प्रदेश अध्यक्ष चुनने पर विचार कर रहा है।
- बैतूल जैसी क्षेत्रीय सीट से आने और प्रशासनिक अनुभव के कारण हेमंत खंडेलवाल को एक संतुलित विकल्प माना जा रहा है।
चुनाव में शामिल होंगे ये दिग्गज
प्रदेश परिषद के 379 सदस्य मतदान प्रक्रिया का हिस्सा बन सकते हैं, जिनमें चार सांसद और 17 विधायक शामिल हैं। प्रमुख नाम:
- शिवराज सिंह चौहान (केंद्रीय मंत्री)
- डॉ. मोहन यादव (मुख्यमंत्री)
- कैलाश विजयवर्गीय, प्रहलाद पटेल, राकेश सिंह
- तुलसी सिलावट, अजय विश्नोई, संजय पाठक, भूपेंद्र सिंह, राजेंद्र शुक्ल आदि
इतिहास कहता है – आम सहमति ही बनती है परंपरा
प्रदेश भाजपा अध्यक्ष का चुनाव अधिकांश बार सर्वसम्मति से ही होता आया है। अब तक सिर्फ दो बार ही चुनाव की स्थिति बनी थी – एक बार 1990 के दशक में कैलाश जोशी बनाम लखीराम अग्रवाल और दूसरी बार वर्ष 2000 में शिवराज सिंह चौहान बनाम विक्रम वर्मा के बीच।