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मप्र में 355 फ्लाईओवर और ROB की डिज़ाइन रद्द: क्या लापरवाही की नींव पर बन रही थीं विकास की सड़कें?

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90 डिग्री मोड़ वाले फ्लाईओवर डिज़ाइन की असल तस्वीर, जिसमें तकनीकी खामी स्पष्ट रूप से दिख रही है।
यह वही फ्लाईओवर डिज़ाइन है, जिसे सुरक्षा मानकों की धज्जियाँ उड़ाते हुए 90 डिग्री मोड़ के साथ बनाया जा रहा था। अब सरकार ने इस तरह के सभी डिज़ाइनों को रद्द कर दिया है।

भोपाल। मध्यप्रदेश में सड़क और पुलों के निर्माण को लेकर एक बार फिर सवालों की आंधी उठी है। राज्य सरकार ने हाईवे निर्माण से जुड़ी बड़ी कार्रवाई करते हुए 355 फ्लाईओवर और रेलवे ओवरब्रिज (ROB) के डिज़ाइन को रद्द कर दिया है। इस फैसले की वजह बनी वो गंभीर तकनीकी खामी, जिससे न केवल करोड़ों रुपये की बर्बादी हो सकती थी, बल्कि आमजन की जान भी खतरे में पड़ सकती थी।

राज्य शासन द्वारा गठित उच्च स्तरीय तकनीकी समिति ने इस पूरे डिज़ाइन प्रक्रिया की गहन समीक्षा की। जांच में पाया गया कि कई ओवरब्रिज के डिजाइन में 90 डिग्री एंगल पर टर्न लिए गए थे, जो यातायात की दृष्टि से बेहद खतरनाक माने जाते हैं। समिति की रिपोर्ट में यह भी स्पष्ट हुआ कि यह डिज़ाइन भारत सरकार की स्वीकृत मानकों के अनुरूप नहीं थे।

क्या हुआ रद्द?

कुल 1200 फ्लाईओवर और ROB प्रोजेक्ट की समीक्षा की गई, जिनमें से 355 के डिज़ाइन को तकनीकी खामी के चलते खारिज कर दिया गया। इनमें 140 निर्माणाधीन प्रोजेक्ट शामिल हैं, जो अब या तो पूरी तरह बंद हो जाएंगे या नए डिज़ाइन के अनुसार पुनः शुरू किए जाएंगे।

राज्य सरकार के इस निर्णय से जहां निर्माण एजेंसियों पर सख्ती बढ़ी है, वहीं पहले से चल रहे प्रोजेक्ट्स की समय-सीमा और बजट पर बड़ा प्रभाव पड़ने की संभावना है। ऐसा भी अनुमान है कि कुछ ठेकेदारों द्वारा जल्दबाज़ी में डिज़ाइन तैयार करवाकर मंजूरी ले ली गई थी, जिससे अब जनता की जान पर बन आई।

किसने लिए गलत निर्णय?

सूत्रों के मुताबिक, मध्यप्रदेश में फ्लाईओवर और ROB के डिजाइन तैयार करने का जिम्मा PWD, NHIDCL और अन्य एजेंसियों को दिया गया था। इन डिज़ाइनों को न केवल स्वीकृत किया गया, बल्कि कई स्थानों पर निर्माण कार्य भी शुरू कर दिया गया। अब इन प्रोजेक्ट्स को दोबारा डिजाइन कराना और फिर से अनुमति लेना एक लंबी प्रक्रिया होगी, जिससे विकास कार्यों में देरी तय है।

8 जून 2025 से पहले किए गए सभी डिज़ाइन होंगे पुनः जांचे

राज्य सरकार ने स्पष्ट किया है कि 8 जून 2025 तक बनाए गए सभी डिज़ाइन की दोबारा समीक्षा की जाएगी। नई समीक्षा प्रक्रिया में पहले से स्वीकृत सभी प्रोजेक्ट शामिल होंगे, जिससे भविष्य में किसी भी प्रकार की दुर्घटना और वित्तीय नुकसान से बचा जा सके।

क्या ये सिस्टम फेलियर नहीं?

यह घटना सिर्फ डिज़ाइन की खामी नहीं, बल्कि सिस्टम में फैली लापरवाही का प्रतीक है। ऐसे में सबसे बड़ा सवाल यह उठता है कि जिन अफसरों और इंजीनियरों ने इन डिज़ाइनों को हरी झंडी दी, क्या उनके खिलाफ कोई कार्रवाई होगी?

यदि डिज़ाइन में खामी थी, तो करोड़ों रुपये खर्च होने से पहले इसे क्यों नहीं रोका गया? क्या हर फ्लाईओवर और ROB अब जांच के नाम पर अधर में लटका रहेगा? क्या जनता को फिर से इंतजार की कतार में खड़ा होना पड़ेगा?

Buland Soch News का सवाल है —
“क्या डिज़ाइन की ग़लती से आम जनता की ज़िंदगी अधूरी रह जाएगी?”

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