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MP POLICE: एक-दो-एक के कदमताल के साथ इमोशनल इंटेलिजेंस और नैतिकता का पाठ पढ़ेगी प्रदेश की पुलिस

166 साल पुरानी जनरल परेड व्यवस्था में पहली बार बदलाव बुलंदसोच,15 फरवरी 2022 भोपाल। पत्ता-लत्ता-पत्ता और एक-दो-एक की कदमताल के साथ करीब 166 साल पहले शुरू हुई परेड व्यवस्था में इस बदलाव किए जा रहे हैं। दरअसल भोपाल जिला पुलिस लाइन में हर मंगलवार और शुक्रवार को होने वाली जनरल परेड में अब इमोशनल हेल्थ

166 साल पुरानी जनरल परेड व्यवस्था में पहली बार बदलाव

बुलंदसोच,15 फरवरी 2022 भोपाल।

पत्ता-लत्ता-पत्ता और एक-दो-एक की कदमताल के साथ करीब 166 साल पहले शुरू हुई परेड व्यवस्था में इस बदलाव किए जा रहे हैं। दरअसल भोपाल जिला पुलिस लाइन में हर मंगलवार और शुक्रवार को होने वाली जनरल परेड में अब इमोशनल हेल्थ एक्सरसाइज एंड वैलनेस मॉड्यूल को भी शामिल किया जा रहा है। ये सात दिन का ऑन जॉब शॉर्टटर्म कोर्स होगा। इसे पुलिसकर्मी की मौजूदा जरूरतों के हिसाब से तैयार किया गया है। संभवत: प्रदेश में ऐसा पहली बार हो रहा है जब जरनल परेड में बदलाव होंगे।

1956 में पत्ता-लत्ता-पत्ता कहकर होती थी परेड: मकरंद देऊस्कर

सीपी मकरंद देऊस्कर ने बताया कि भर्ती होने के बाद ट्रेनिंग के दौरान हमारे ट्रेनर ने बताया था कि 1956 में हुए पुलिस गठन के वक्त पत्ता-लत्ता-पत्ता कहकर परेड करवाई जाती थी। ट्रेनीज के एक पैर में पत्ता और दूसरे पैर में लत्ता (कपड़ा) बांध दिया जाता था। उस्ताद के पत्ता कहते ही जवान अपना पत्ते वाला पैर आगे बढ़ाते थे और लत्ता कहते ही कपड़े वाला पैर। फिर इसे एक-दो-एक कहा जाने लगा। यूनीफॉर्म सर्विस में परेड से एक कमांड में काम करने के टीम स्पिरिट भी सिखाई जाती है।
यूरोप में होती है ऐसी ट्रेनिंग
एसपी मुख्यालय विनीत कपूर ने बताया कि फील्ड में तैनात पुलिसकर्मी, लोगों के साथ कैसा बर्ताव करें ताकि पुलिसिंग भी प्रभावित न हो। इसके लिए भोपाल पुलिस लाइन में 7 दिन का एक रिफ्रेशर कोर्स शुरू किया जा रहा है। जनरल परेड में परेड और बलवा ड्रिल के साथ अन्य गतिविधियां भी करवाई जाएंगी, इसे ‘परफॉरमेंस इनहांसमेंट एंड होलिस्टिक वैलनेस ड्रिल फॉर पुलिस ऑफिसर्स’ भी कहा जा सकता है। फिलहाल ऐसी ट्रेनिंग यूरोप के कई देशों में दी जाती हैं।

ऐसे समझें इमोशनल इंटेलिजेंस

अपराधी और पीड़ित की भावनाओं को समझने, उसे व्यक्त करने और नियंत्रित करने की योग्यता को इमोशनल इंटेलिजेंस कहते है। अपराधी की भावना को समझ उसे गिल्ट महसूस करवाना और फरियादी की भावना को समझ उसे न्याय दिलाने की ये एक कोशिश है।
सिपाही से लेकर एसीपी तक होंगे शामिल इस व्यवस्था में सिपाही से लेकर एसीपी (डीएसपी) स्तर के अधिकारी भी शामिल हो सकेंगे। इससे ऊपर के अधिकारी भी कोर्स कर सकते हैं। संभागवार 50-50 पुलिसकर्मियों का बैच बनाया जाएगा। सातों दिन इमोशनल हेल्थ एक्सरसाइज एंड मॉड्यूल की क्लास रहेगी।