Home राष्ट्रीय समाचार मुंबई ट्रेन ब्लास्ट 2006: 19 साल बाद आया हाईकोर्ट का फैसला, सभी...

मुंबई ट्रेन ब्लास्ट 2006: 19 साल बाद आया हाईकोर्ट का फैसला, सभी 12 आरोपी बरी

0
7
धमाके के बाद क्षतिग्रस्त हुई मुंबई लोकल ट्रेन का दृश्य, घटनास्थल पर मौजूद बचावकर्मी
मुंबई ट्रेन धमाका 2006: रेलवे ट्रैक पर बिखरे सामान और फटे कोच, जहां 189 लोगों ने गंवाई थी जान।

साक्ष्यों की कमी और जांच में खामियों के चलते बॉम्बे हाईकोर्ट ने दी राहत; 189 मौतों का दर्द अब भी जिन्दा

रिपोर्ट: Buland Soch न्यूज़ डेस्क | दिनांक: 21 जुलाई 2025

मुंबई

देश के सबसे भयावह आतंकी हमलों में गिने जाने वाले 11 जुलाई 2006 के मुंबई लोकल ट्रेन धमाकों के केस में बड़ा मोड़ आया है। बॉम्बे हाईकोर्ट ने इस केस में 12 में से बचे सभी आरोपियों को बरी कर दिया है। कोर्ट का कहना है कि अभियोजन पक्ष आरोपियों के खिलाफ दोष सिद्ध करने के लिए ठोस सबूत पेश नहीं कर सका।

इस केस में 189 लोग मारे गए थे और 824 घायल हुए थे। धमाके मुंबई की वेस्टर्न रेलवे की 7 लोकल ट्रेनों में, महज़ 11 मिनट के भीतर हुए थे। सभी बम फर्स्ट क्लास के डिब्बों में लगाए गए थे।

हाईकोर्ट ने उठाए EOW की जांच पर गंभीर सवाल

कोर्ट ने साफ कहा कि:

  • आरोपियों के कबूलनामे और गवाहों के बयान संदिग्ध हैं और न्यायिक मानकों पर खरे नहीं उतरते।
  • बम बनाने के लिए उपयोग किए गए विस्फोटकों से जुड़े सबूतों की सीलिंग में गड़बड़ी थी।
  • अभियोजन यह साबित नहीं कर सका कि जिन बमों का इस्तेमाल हुआ, वे वास्तव में आरोपियों ने तैयार किए थे।
  • ज़ब्त बयान जबरन लिए गए प्रतीत होते हैं और रिकॉर्ड में खामियां हैं।

इन सभी कारणों के चलते, कोर्ट ने निर्णय दिया कि “केवल संदेह के आधार पर किसी को दोषी नहीं ठहराया जा सकता।

क्या था धमाकों का घटनाक्रम?

11 जुलाई 2006 को शाम 6:24 से 6:35 बजे के बीच, मुंबई की वेस्टर्न रेलवे लाइन पर 7 लोकल ट्रेनों के फर्स्ट क्लास डिब्बों में एक के बाद एक सिलसिलेवार धमाके हुए।

धमाके के प्रमुख स्थान:

  • माटुंगा रोड
  • माहिम
  • खार
  • बांद्रा
  • जोगेश्वरी
  • बोरीवली
  • मीरा रोड

बमों को प्रेशर कुकर में आरडीएक्स, अमोनियम नाइट्रेट, कीलों और फ्यूल ऑयल के साथ टाइमर से बनाया गया था।

पुलिस और एटीएस का आरोप था कि ये साजिश पाकिस्तान स्थित लश्कर-ए-तैयबा के आज़म चीमा द्वारा रची गई थी और इसमें इंडियन टेरर नेटवर्क SIMI की भी भूमिका थी। दावा था कि हमलों से पहले बहावलपुर में युवकों को बम बनाना और हथियार चलाना सिखाया गया था।

19 साल की जांच और अदालती कार्यवाही का लेखा-जोखा

  • 20 जुलाई से 3 अक्टूबर 2006: एटीएस ने 13 आरोपियों को गिरफ्तार किया
  • 2015: स्पेशल मकोका कोर्ट ने इनमें से 5 को फांसी, 7 को उम्रकैद और 1 को बरी किया
  • 2021: कमाल अहमद अंसारी की कोविड से मौत
  • 2016: आरोपियों ने बॉम्बे हाईकोर्ट में अपील की
  • 2023–2024: सुनवाई टुकड़ों में चली
  • 2025: कोर्ट ने 12 में से बचे सभी आरोपियों को बरी कर दिया

बरी हुए सभी आरोपियों की सूची

  1. तनवीर अहमद अंसारी
  2. मोहम्मद फैजल शेख
  3. एहतेशाम सिद्दीकी
  4. मोहम्मद माजिद रफी
  5. शेख आलम शेख
  6. मोहम्मद साजिद अंसारी
  7. मुजम्मिल शेख
  8. सोहेल महमूद शेख
  9. जामिर अहमद शेख
  10. नावेद हुसैन खान
  11. आसिफ खान
  12. (कमाल अहमद अंसारी – निधन 2021 में)

क्या अब सुप्रीम कोर्ट में होगी चुनौती?

कानूनी विशेषज्ञों के अनुसार, इस फैसले को भारत के संविधान के अनुच्छेद 136 के तहत सुप्रीम कोर्ट में विशेष अनुमति याचिका (SLP) के रूप में चुनौती दी जा सकती है। अगर सुप्रीम कोर्ट इस याचिका को स्वीकार करता है, तो केस की दोबारा सुनवाई संभव है।

जांच एजेंसियों पर सवाल, पीड़ितों को अब भी न्याय की तलाश

बॉम्बे हाईकोर्ट के फैसले से यह बात स्पष्ट होती है कि जांच और अभियोजन की प्रक्रिया में गंभीर खामियां थीं। 19 साल बाद भी पीड़ित परिवारों को यह यकीन नहीं हो रहा कि जिन पर हत्या और साजिश के आरोप थे, वो अब कानून की नजर में निर्दोष हैं।

मुंबई ब्लास्ट केस न्याय व्यवस्था और जांच एजेंसियों की जवाबदेही पर बड़ा सवाल बन गया है।

NO COMMENTS

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here