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ANUPPUR-अस्त्तित्व बचाने विधानसभा चुनाव मैदान में उतरेंगी क्या सांसद हिमाद्रि सिंह ?

अभिषेक / भोपाल कई दशक तक एक ही राजनीतिक घराने का दबदबा रहा विधानसभा क्षेत्र पुष्पराजगढ़ क्या इस बार फिर उसी परिवार को अपनाने तैयार है या नही?कांग्रेस से अपनी राजनीतिक सफर की शुरुआत करने वाले दलबीर सिंह का आज भी अपने विधानसभा क्षेत्र में काफी सम्मान है इसी वजह से दलबीर सिंह की पत्नी

ANUPPUR-अस्त्तित्व बचाने विधानसभा चुनाव मैदान में उतरेंगी क्या सांसद हिमाद्रि सिंह ?

अभिषेक / भोपाल

कई दशक तक एक ही राजनीतिक घराने का दबदबा रहा विधानसभा क्षेत्र पुष्पराजगढ़ क्या इस बार फिर उसी परिवार को अपनाने तैयार है या नही?कांग्रेस से अपनी राजनीतिक सफर की शुरुआत करने वाले दलबीर सिंह का आज भी अपने विधानसभा क्षेत्र में काफी सम्मान है इसी वजह से दलबीर सिंह की पत्नी राजेश नंदनी सिंह को भी यहाँ की जनता ने जिताया। लेकिन कांग्रेस के ही टिकट पर पहली बार सांसद के लिए लड़ रहीं दलबीर सिंह की पुत्री हिमाद्रि को जनता ने नकार दिया था।

कांग्रेस से निराशा मिलने के बाद इस राजनीतिक परिवार ने कांग्रेस का दामन छोड़कर भाजपा से पहली बार हिमाद्रि सिंह सांसद बनी । पिछले विधानसभा चुनाव में ही हिमाद्रि सिंह के पति नरेंद्र सिंह को बीजेपी ने टिकट दिया लेकिन वो बुरी तरह से हार गए ,कहा जाता है कि यहाँ की जनता बाहरी प्रत्याशी को पसंद नही करती है।

पुष्पराजगढ़ विधानसभा पिछले दो पंचवर्षीय से कांग्रेस के पास है इसके पहले लगातार सुदामा सिंह ने भाजपा को जीत दिलाई थी वहीं पिछले विधानसभा चुनाव की बात करें तो सुदामा सिंह ने पार्टी से टिकट न मिलने से निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में चुनाव लड़ा उन्हें नोटा के बराबर ही वोट मिला।

भाजपा से यूं तो पुष्पराजगढ़ विधानसभा के लिए कई प्रत्याशी हैं पर टिकट किसे मिलेगी यह कोई नही बता सकता । नरेंद्र सिंह को दूसरी बार टिकट मिलना मुश्किल, हालांकि पूर्व विधायक सुदामा सिंह वापस पार्टी में लौट आए हैं पर पार्टी के विश्वास में खरे उतरेंगे यह संशय है। यूवा नेता हीरा सिंह का युवाओं में अच्छा खासा असर है पर अभी टिकट मिलना मुश्किल है।

शहडोल संसदीय क्षेत्र से भाजपा की वर्तमान सांसद हिमाद्रि सिंह पुष्पराजगढ़ विधानसभा क्षेत्र से ही हैं इसलिए हो सकता है की इस विधानसभा क्षेत्र अपने आपको पुनः स्थापित करने के लिए वो एक बार फिर जनता के सामने अपने आपको प्रस्तुत करें हो सकता है सहानुभूति वोट के कारण वो विधानसभा सीट जीतने में कामयाब हो जाएं।