Thursday, July 3, 2025
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जब शासन ने सिखाया मुस्कुराना — राष्ट्रीय आनंद दिवस और मध्यप्रदेश की मिसाल

📰 बुलंद सच न्यूज़ | विशेष रिपोर्ट
🗓 25 जून 2025 | दिन – बुधवार

25 जून को देशभर में मनाया जा रहा है राष्ट्रीय आनंद दिवस (National Day of Joy) — एक ऐसा दिन जो हमें ज़िंदगी के असली मायने, यानि “आनंद”, की याद दिलाता है। यह सिर्फ एक तारीख नहीं, बल्कि एक सोच है — कि हर इंसान को खुशी पाने और देने का अधिकार है।

यह दिन हर साल जून के आखिरी बुधवार को मनाया जाता है। इसकी शुरुआत 2019 में अमेरिका स्थित ‘ब्रूकडेल सीनियर लिविंग’ के कर्मचारियों और नागरिकों द्वारा की गई थी, जिन्होंने महसूस किया कि खासकर वरिष्ठ नागरिकों को सबसे ज़्यादा ज़रूरत होती है—सामाजिक जुड़ाव, सम्मान और मुस्कुराहट की। धीरे-धीरे यह विचार एक मुहिम में बदला और अब दुनिया के कई देशों में यह दिन “National Day of Joy” के रूप में मनाया जाने लगा है।

🪷 भारत में एक सकारात्मक उदाहरण: मध्यप्रदेश का राज्य आनंद विभाग

भारत में अगर किसी राज्य ने खुशी को शासन का हिस्सा बनाया है, तो वह है मध्यप्रदेश।

2016 में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने एक अनूठी पहल की शुरुआत की — राज्य आनंद विभाग (Rajya Anand Vibhag)
यह देश का पहला विभाग था, जिसका उद्देश्य था — “खुशी को नीतियों में शामिल करना”।

जहां बाकी राज्य शिक्षा, सड़क, और स्वास्थ्य पर फोकस करते हैं, वहीं मध्यप्रदेश ने यह स्वीकारा कि मानसिक और भावनात्मक कल्याण भी ज़रूरी है।

🌼 राज्य आनंद विभाग: योजनाएं जो दिलों को छूती हैं

इस विभाग ने अब तक हज़ारों कार्यक्रम चलाए हैं जो ग्रामीण और शहरी दोनों क्षेत्रों में लोगों की ज़िंदगी में सकारात्मक बदलाव लाए हैं:

  • गांव-गांव में ‘आनंद सभा’ — जहां लोग एक-दूसरे से जुड़ते हैं, अपने अनुभव साझा करते हैं और तनाव कम करते हैं।
  • स्कूलों और कॉलेजों में हंसी योग, मेडिटेशन और कला-कार्यशालाएं।
  • अवसाद और आत्महत्या से जूझ रहे युवाओं के लिए काउंसलिंग और जीवन प्रबंधन प्रशिक्षण।
  • ‘आनंदम केंद्रों’ की स्थापना — जहां कोई भी अपनी खुशियां बांट सकता है, जैसे पुराने कपड़े, किताबें, खिलौने, या बस कुछ समय।

इन प्रयासों का प्रभाव साफ देखा गया है —
📉 राज्य में आत्महत्या की दर घटी है,
😊 लोगों की जीवन संतुष्टि और सामाजिक जुड़ाव में वृद्धि हुई है।

🗣️ लोगों की जुबानी —

“मैंने कभी नहीं सोचा था कि सरकार भी हमें जीना सिखा सकती है। आनंद विभाग ने मेरी जिंदगी बदल दी।” — एक प्रतिभागी
“हर हफ्ते आनंद सभा में जाना अब मेरे जीवन का हिस्सा बन गया है। यहां सिर्फ बातें नहीं होतीं, बल्कि दिल हल्का होता है।” — स्थानीय ग्रामीण महिला

📊 राष्ट्रीय स्तर पर जरूरत — क्यों ज़रूरी है ‘खुशहाल शासन’

WHO और United Nations जैसे अंतरराष्ट्रीय संगठन भी अब यह मानते हैं कि “Gross National Happiness (GNH)” और “Well-being Index” एक देश की असली प्रगति का सूचक हैं।

  • भारत में हर 8वां व्यक्ति मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं से जूझता है।
  • तनाव, अकेलापन और अवसाद, विशेषकर युवा और वरिष्ठ नागरिकों में बढ़ते जा रहे हैं।

ऐसे में राज्य आनंद विभाग जैसे मॉडल पूरे देश में लागू होने चाहिए — क्योंकि यह सिर्फ ‘विकास’ नहीं, ‘सुखद जीवन’ की दिशा में एक कदम है।

🌱 बुलंद संकल्प: चलिए, इस आनंद दिवस पर कुछ ठान लें

  • रोज़ कम से कम एक ऐसा काम करें जो आपको सुकून दे।
  • किसी की मुस्कान का कारण बनें — चाहे वो एक प्यारी बात हो, मदद का हाथ हो या बस साथ बैठना।
  • अपने जीवन में ‘आनंद’ को महत्व दें — क्योंकि यही असली पूंजी है।

बुलंद सच न्यूज़ की ओर से सभी पाठकों को राष्ट्रीय आनंद दिवस की शुभकामनाएं।
“जब शासन भी मुस्कुराहट की भाषा बोले, तो विकास दिलों में उतरता है।”

kanchan shivpuriya
kanchan shivpuriyahttp://www.bulandsoch.com
कंचन शिवपुरीया माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता विश्वविद्यालय की मास कम्युनिकेशन की छात्रा हैं। पत्रकारिता के क्षेत्र में सक्रिय रूप से कार्य कर रही हैं और सामाजिक मुद्दों पर स्पष्ट, तथ्यपूर्ण एवं संवेदनशील दृष्टिकोण के लिए जानी जाती हैं।
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