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सतना अस्पताल कांड: भ्रूण को मृत बताकर गर्भपात की सलाह, निजी अस्पताल में हुआ सुरक्षित प्रसव — भरोसे की मौत या सिस्टम की हत्या?

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सतना के निजी अस्पताल में स्वस्थ नवजात को गोद में लिए पिता, महिला मेडिकल स्टाफ और परिजन साथ में मुस्कुराते हुए
सरकारी अस्पताल में भ्रूण मृत घोषित किए जाने के बाद निजी अस्पताल में स्वस्थ नवजात का जन्म — पिता और स्टाफ के चेहरे पर राहत की मुस्कान

मध्यप्रदेश के सतना जिला अस्पताल में डॉक्टरों ने एक गर्भवती महिला को भ्रूण की मृत्यु बताकर गर्भपात की सलाह दी। परिजन जब उसे निजी अस्पताल ले गए, तो वहां उसने एक स्वस्थ बच्चे को जन्म दिया। इस घटना ने न सिर्फ सरकारी चिकित्सा तंत्र पर सवाल खड़े किए हैं, बल्कि पूरे प्रदेश में स्वास्थ्य सेवाओं की साख को झकझोर दिया है।

रिपोर्ट: कंचन शिवपुरिया | Buland Soch News | 18 जुलाई 2025

सतना के सरकारी जिला अस्पताल में 16 जुलाई को घटी एक चौंकाने वाली घटना ने राज्यभर में स्वास्थ्य सेवाओं पर विश्वास को संकट में डाल दिया है। जहां डॉक्टरों की जाँच के अनुसार भ्रूण मृत था, वहीं कुछ ही घंटों बाद एक निजी अस्पताल में उसी महिला ने जीवित और स्वस्थ बच्चे को जन्म दिया। इस मामले ने सिर्फ एक डॉक्टर की लापरवाही को उजागर नहीं किया, बल्कि पूरे चिकित्सा तंत्र की जवाबदेही पर सवाल उठा दिया है।

मामला विस्तार से: सरकारी रिपोर्ट बनाम ज़मीनी हकीकत

पीड़िता: दुर्गा द्विवेदी (24), सतना ज़िले की निवासी

घटना तिथि: 16 जुलाई 2025

स्थान: सरदार वल्लभभाई पटेल जिला अस्पताल, सतना

दुर्गा द्विवेदी को तेज़ दर्द के कारण उसके पति अजय द्विवेदी ने सतना जिला अस्पताल में भर्ती कराया। यह उसका पहला गर्भ था, जिसे डॉक्टरों ने “हाई-रिस्क प्रेगनेंसी” घोषित किया। अस्पताल में की गई डॉप्लर और सोनोग्राफी जांचों में भ्रूण की कोई हरकत नहीं पाई गई, जिसके आधार पर डॉक्टरों ने उसे “फीटल डेथ” घोषित कर दिया और तुरंत गर्भपात की सलाह दी।

लेकिन परिजन इस रिपोर्ट से संतुष्ट नहीं हुए। उन्होंने महिला को तत्काल एक निजी अल्ट्रासाउंड सेंटर और फिर निजी अस्पताल में भर्ती कराया — जहाँ उसी दिन दुर्गा ने सामान्य प्रसव के माध्यम से एक 3.8 किलो का स्वस्थ बच्चे को जन्म दिया।

परिजनों का आरोप: “डॉक्टरों ने जल्दबाज़ी में दी गर्भपात की सलाह”

अजय द्विवेदी, महिला के पति, ने मीडिया से बात करते हुए कहा:

“अगर हमने डॉक्टरों की बात मान ली होती तो हमारा बच्चा दुनिया में आने से पहले ही खत्म हो जाता। हमें गर्भपात के लिए तैयार किया जा रहा था।”

परिजनों ने यह भी आरोप लगाया कि जिला अस्पताल में मौजूद सोनोग्राफ़ी मशीनें पुरानी और अर्ध-कार्यशील हैं, और स्टाफ द्वारा की गई जांच अक्सर सतही होती है।

जिम्मेदारी तय: जांच के आदेश जारी

मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी (CMHO) डॉ. एल.के. तिवारी ने मीडिया को बताया:

“घटना बेहद गंभीर है। अगर डॉक्टरों ने गलत रिपोर्ट दी है, तो यह लापरवाही की श्रेणी में आता है। हमने पूरी जांच के आदेश दे दिए हैं।”

जांच के लिए एक तीन सदस्यीय टीम गठित की गई है, जिसमें:

  • सिविल सर्जन
  • वरिष्ठ गायनोकोलॉजिस्ट
  • सोनोलॉजी विशेषज्ञ शामिल हैं।

रिपोर्ट 7 कार्य दिवसों में मांगी गई है।

सिस्टम की बीमार हकीकत: सतना अकेला नहीं

फरीदाबाद (जनवरी 2025):

B.K. अस्पताल में एक फर्जी कार्डियोलॉजिस्ट ने असली डॉक्टर की पहचान का इस्तेमाल कर 50 से ज्यादा हार्ट सर्जरी कर डालीं।

  • मरीजों की हालत बिगड़ने के बाद जांच शुरू हुई
  • अस्पताल प्रशासन और पुलिस की बड़ी लापरवाही सामने आई

दमोह, मध्यप्रदेश (2023):

एक युवक ने खुद को ब्रिटिश कार्डियोलॉजिस्ट बताकर सरकारी अस्पताल में 15 सर्जरी कीं।

  • 7 मरीजों की मौत हो गई
  • डॉक्टर के पास किसी मान्य मेडिकल कॉलेज की डिग्री नहीं थी

चिकित्सा तंत्र की प्रणालीगत खामियाँ:

  • डॉक्टरों की डिग्री की सार्वजनिक वैरिफिकेशन प्रणाली का अभाव
  • अस्पतालों में कार्यरत उपकरणों की नियमित जांच नहीं होती
  • ग्रामीण क्षेत्रों में स्कैनिंग और डॉप्लर जैसी जांचों के लिए प्रशिक्षित स्टाफ नहीं
  • फीडबैक और शिकायत प्रणाली कमजोर, अनदेखी आम

घटनाक्रम (Timeline):

तिथिघटना
16 जुलाईमहिला को सतना जिला अस्पताल में भर्ती किया गया
16 जुलाईभ्रूण को मृत घोषित कर गर्भपात की सलाह दी गई
16 जुलाईनिजी अस्पताल में सुरक्षित प्रसव हुआ
17 जुलाईपरिजनों ने शिकायत दर्ज कराई
18 जुलाईCMHO ने जांच के आदेश दिए

विशेषज्ञों की राय:

डॉ. भावना त्रिपाठी, स्त्री रोग विशेषज्ञ, जबलपुर:

“सरकारी अस्पतालों में कई बार स्टाफ की ट्रेनिंग अधूरी होती है। डॉप्लर और सोनोग्राफी से मिली रिपोर्ट की सही व्याख्या करना जरूरी है — जो अक्सर नहीं होती।”

एडवोकेट संजय द्विवेदी, हेल्थ राइट्स एक्टिविस्ट:

“ऐसी घटनाएं ‘Right to Life’ के अनुच्छेद 21 का सीधा उल्लंघन हैं। डॉक्टरों पर आपराधिक मुकदमा चलना चाहिए।”

समाधान क्या हैं?

सिफारिशें:

  • डॉक्टरों की डिग्री और अनुभव को सार्वजनिक पोर्टल पर उपलब्ध कराया जाए
  • अस्पतालों में कार्यरत उपकरणों की हर 3 महीने में थर्ड-पार्टी जांच
  • प्रत्येक भ्रूण मृत्यु रिपोर्ट को दो विशेषज्ञों द्वारा कन्फर्म किया जाए
  • ग्रामीण क्षेत्रों में सोनोग्राफी ट्रेंड स्टाफ की अनिवार्यता
  • स्वास्थ्य सेवाओं पर शिकायतों के लिए 24×7 हेल्पलाइन और पोर्टल

निष्कर्ष:

सतना की यह घटना किसी एक महिला या एक परिवार की त्रासदी नहीं — यह हमारे सार्वजनिक स्वास्थ्य तंत्र की विकृति की तस्वीर है।
जब सरकारी अस्पताल खुद मौत की घोषणा करने में गलतियां करने लगें, तो नागरिक किस पर भरोसा करें?

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