भोपाल | रिपोर्ट – बुलंद सोच डेस्क
मध्य प्रदेश भाजपा को अब नया नेतृत्व मिल गया है – बैतूल विधायक हेमंत खंडेलवाल को पार्टी का नया प्रदेश अध्यक्ष नियुक्त किया गया है। मंगलवार को भोपाल स्थित भाजपा कार्यालय में हुई चुनाव प्रक्रिया के दौरान वे निर्विरोध चुने गए। मंच से केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने उनके नाम की घोषणा की और प्रमाण-पत्र सौंपा गया।
मुख्य बिंदु:
- आरएसएस से गहरा जुड़ाव, संगठन में मजबूत पकड़
- मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव की स्पष्ट सहमति
- पूर्व सांसद विजय खंडेलवाल के पुत्र – विरासत में मिली राजनीति
- निर्विरोध चुने गए – कोई अन्य नामांकन नहीं आया
संघ का चयन, नेतृत्व की रणनीति
खंडेलवाल का नाम पिछले कुछ समय से चर्चा में था, लेकिन निर्णायक सहमति राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और मुख्यमंत्री मोहन यादव से मिलने के बाद मामला तय हो गया। माना जा रहा है कि यह चयन भाजपा के आगामी संगठनात्मक और चुनावी एजेंडे के तहत रणनीतिक है।
नामांकन प्रक्रिया: संगठन की एकजुटता
नामांकन प्रक्रिया के दौरान प्रदेश संगठन महामंत्री हितानंद, मुख्यमंत्री मोहन यादव, और केंद्रीय चुनाव प्रभारी धर्मेंद्र प्रधान की उपस्थिति में खंडेलवाल का पर्चा जमा हुआ। आधे घंटे की समयावधि तक किसी अन्य नेता ने नामांकन नहीं भरा, जिससे यह निर्विरोध निर्वाचन संभव हुआ।
राजनीति की विरासत और अनुभव
उत्तर प्रदेश के मथुरा में जन्मे हेमंत खंडेलवाल ने अपने पिता विजय खंडेलवाल की असमय मृत्यु के बाद राजनीति में प्रवेश किया। 2008 में वे लोकसभा पहुंचे, फिर 2013 में बैतूल से विधायक बने। 2018 में हारे लेकिन 2023 में वापसी की। वे भाजपा के प्रदेश कोषाध्यक्ष, प्रदेश संयोजक, और राष्ट्रीय परिषद सदस्य जैसे पदों पर रह चुके हैं।
संगठनात्मक अनुभव और जिम्मेदारियाँ
- 2019 में प्रदेश चुनाव अधिकारी
- 2021 में पश्चिम बंगाल में प्रवासी कार्यकर्ता
- 2022 में यूपी चुनाव प्रभारी
- 2024 लोकसभा चुनाव में प्रदेश संयोजक
- वर्तमान में कुशाभाऊ ठाकरे ट्रस्ट के अध्यक्ष
विधानसभा और राष्ट्रीय स्तर के नेताओं का समर्थन
नामांकन के समर्थन में मोहन यादव, शिवराज सिंह चौहान, सिंधिया, प्रहलाद पटेल, राकेश सिंह, राजेंद्र शुक्ल, कैलाश विजयवर्गीय सहित 50 से अधिक वरिष्ठ नेता सामने आए। इसके अतिरिक्त यशपाल सिंह सिसौदिया ने प्रस्ताव प्रस्तुत किया।
🔎 राजनीतिक विश्लेषण: संकेत क्या हैं?
“हेमंत खंडेलवाल का अध्यक्ष बनना भाजपा के लिए संघ-समर्थित, संगठन-प्रशासित और नेतृत्व-संतुलित प्रयोग है। 2028 की तैयारी और संगठनात्मक एकजुटता का यह पहला संकेत माना जा सकता है।”