Saturday, June 21, 2025
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मऊगंज में शिक्षा के नाम पर खुली लूट: प्राइवेट स्कूलों की मनमानी पर अभिभावक भड़के, प्रशासन से सख्त कार्रवाई की मांग

📍 स्थान: मऊगंज, जिला रीवा, मध्य प्रदेश
🗓️ तारीख: 18 जून 2025
✍️ रिपोर्टर: बुलंद सोच न्यूज़ ब्यूरो

मऊगंज क्षेत्र में निजी स्कूलों की मनमानी चरम पर है। शिक्षा जैसे पवित्र कार्य को कुछ स्कूल संचालकों ने मुनाफे का जरिया बना लिया है। अभिभावकों के अनुसार स्कूल अब मनमाने प्रवेश शुल्क, महंगी किताबें और तय दुकानों से ही ड्रेस खरीदने जैसी नीतियों से उन्हें आर्थिक रूप से परेशान कर रहे हैं। स्थानीय लोगों और सामाजिक संगठनों ने प्रशासन से जांच और कार्रवाई की मांग की है।

मुख्य खबर

बिना अनुमति चल रहे स्कूल भवन, नियमों की अनदेखी

शिक्षा विभाग की जानकारी के अनुसार मऊगंज क्षेत्र में दर्जनों प्राइवेट स्कूल बिना किसी अधिकृत मान्यता के रहवासी क्षेत्रों में संचालित हो रहे हैं। इन स्कूलों में न तो भवन की सुरक्षा के मापदंड पूरे हैं और न ही फायर सेफ्टी जैसी जरूरी सुविधाएं मौजूद हैं।

भवन अनुज्ञा, स्वास्थ्य सुविधाएं, और NOC जैसे नियमों की धज्जियां उड़ाई जा रही हैं, फिर भी जिला प्रशासन की निगरानी नाममात्र की है।

शिक्षा के नाम पर व्यापार: तीन गुना कीमत पर बिक रहीं किताबें और ड्रेस

  • अभिभावकों का आरोप है कि स्कूल प्रशासन उन्हें निर्धारित दुकानों से ही किताबें और ड्रेस खरीदने के लिए मजबूर कर रहा है।
  • एक स्कूल ड्रेस जो सामान्यतः ₹500 की होती है, वहीं उसी ड्रेस को स्कूल के बताए गए दुकान पर ₹1500 तक बेचा जा रहा है।
  • किताबों की भी यही स्थिति है — एमआरपी से कहीं अधिक दाम पर बिक्री, और खुले बाजार से लाने पर बच्चों को कक्षा में बैठने नहीं दिया जा रहा।

यह स्थिति स्पष्ट रूप से शिक्षा को व्यापार में बदलने का प्रमाण है।

स्थानीय अभिभावकों और संगठनों का आक्रोश

“हम मजदूरी करके बच्चों को पढ़ा रहे हैं, लेकिन स्कूल वाले अब हमारी मजबूरी को अपना धंधा बना चुके हैं।”
रामेश्वर प्रसाद, अभिभावक
“सरकार शिक्षा के अधिकार की बात करती है, लेकिन मऊगंज में तो हर महीने कोई नया खर्चा थमा दिया जाता है।”
सुनीता वर्मा, स्थानीय महिला संगठन प्रमुख

सामाजिक संगठन और स्थानीय जनप्रतिनिधि अब इस मुद्दे पर एकजुट हो चुके हैं और जिला कलेक्टर को ज्ञापन सौंपकर जांच की मांग कर चुके हैं।

प्रशासन की चुप्पी पर सवाल

वर्तमान में शिक्षा विभाग या जिला प्रशासन की ओर से कोई स्पष्ट बयान सामने नहीं आया है, जिससे आम जनता में रोष और बढ़ रहा है। अभिभावकों का कहना है कि यदि जल्द कार्रवाई नहीं हुई तो क्षेत्र में बड़ा आंदोलन खड़ा किया जाएगा।

मांगें क्या हैं?

  • सभी निजी स्कूलों की मान्यता और भवन संरचना की जांच की जाए
  • फीस स्ट्रक्चर को पारदर्शी बनाया जाए, ताकि हर अभिभावक जान सके कि वह किस चीज़ के लिए कितनी फीस दे रहा है
  • किताबों और ड्रेस की खरीदारी खुले बाजार से करने की छूट दी जाए
  • जो स्कूल मानकों पर खरे नहीं उतरते, उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए

kanchan shivpuriya
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कंचन शिवपुरीया माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता विश्वविद्यालय की मास कम्युनिकेशन की छात्रा हैं। पत्रकारिता के क्षेत्र में सक्रिय रूप से कार्य कर रही हैं और सामाजिक मुद्दों पर स्पष्ट, तथ्यपूर्ण एवं संवेदनशील दृष्टिकोण के लिए जानी जाती हैं।
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