डिटेल्ड रिपोर्ट | Buland Soch News
मध्यप्रदेश के हरदा जिले में करणी सेना परिवार (राजपूत समाज) और पुलिस के बीच हालिया टकराव ने पूरे प्रदेश में सुर्खियां बटोरी हैं। यह घटना तब सामने आई, जब आशीष राजपूत द्वारा 18 लाख रुपये की ठगी की रिपोर्ट करने के बाद आरोपी-वकील दोनों पक्ष के युवा राजपूत छात्रावास में जमा हो गए। पुलिस ने इसे “कानूनी–सुरक्षा चुनौती” बताया और हॉस्टल के भीतर लाठीचार्ज, वाटर कैनन और आंसू गैस के इस्तेमाल से तनाव फैलाया।प्रशासनकीबर्बरतामध्यप्रदेश के हरदा जिले में करणी सेना परिवार (राजपूत समाज) और पुलिस के बीच हालिया टकराव ने पूरे प्रदेश में सुर्खियां बटोरी हैं। यह घटना तब सामने आई, जब आशीष राजपूत द्वारा 18 लाख रुपये की ठगी की रिपोर्ट करने के बाद आरोपी-वकील दोनों पक्ष के युवा राजपूत छात्रावास में जमा हो गए। पुलिस ने इसे “कानूनी–सुरक्षा चुनौती” बताया और हॉस्टल के भीतर लाठीचार्ज, वाटर कैनन और आंसू गैस के इस्तेमाल से तनाव फैलाया।
🚨 भीड़-प्रशासन टकराव
प्रदर्शनकारियों का कहना है कि पुलिस ने 100 से अधिक छात्रों पर हमला किया, संस्थागत संपत्ति तोड़ी और कई छात्र घायल हुए। पुलिस ने 60 से ज्यादा कार्यकर्ताओं को हिरासत में लिया, जिसमें करणी सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष जीवन सिंह शेरपुर भी शामिल थे। स्थानीय प्रशासन ने शांतिपूर्ण मार्च को “अवैध जमावड़ा” बताया और सुरक्षा उपायों के तहत Section 163 लागू करने की बात कही।
🛑 विरोध और ज्ञापन
- मंदसौर: राजपूत समाज ने शांतिपूर्ण प्रदर्शन किया और तहसीलदार को ज्ञापन सौंपा, जिसमें उन्होंने राज्यपाल को ज्ञापन भेजकर तुरंत जवाबदेही और निष्पक्ष जांच की मांग की।
- इटारसी एवं बीना: समाज के पदाधिकारियों ने अन्य स्थानों पर भी विरोध स्वरूप ज्ञापन देकर न्यायिक जाँच, घायलों का मुफ्त इलाज और दोषी पुलिसकर्मियों की सज़ा की मांग की।
🗣️ आरोपी का पक्ष और कार्रवाई
- पुलिस के मुताबिक, प्रदर्शनकारियों ने आबादी में प्रवेश कर सुरक्षा चिंताएं पैदा कीं।
- लेकिन समाजजन आरोप लगा रहे हैं कि प्रशासन ने लोकतांत्रिक अधिकारों का उल्लंघन किया — लाठीचार्ज, अपमान, और “छात्र-छात्राओं पर अभद्रता” की घटनाएं सामने आईं।
⚖️ सिस्टम व सिस्टममी की आवाज
जितू पटवारी, कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष और विपक्षी नेता, ने इस पुलिस कार्रवाई को “अमानवीय, दमनकारी और लोकतांत्रिक अधिकारों का हनन” बताते हुए तीखी निंदा की। उन्होंंने कहा कि ऐसा करना “सवाल पूछने वालों को डराने की कोशिश” है, और ब्रutal लाठीचार्ज संविधान के आत्मा के खिलाफ है।
⏪ परिचित दमन की परत
यह कोई पहली घटना नहीं है। पहले भी, 2022 में शिवराज सिंह चौहान सरकार के समय विदिशा जिले में राजपूत छात्र-आंदोलनियों पर लाठीचार्ज किया गया था। उसी तरह — बस जगह, समय और चेहरा बदल गया, लेकिन साधन, संघर्ष और प्रणाली जस की तस् थी।
🔎 निष्कर्ष
- एक संचालित 18 लाख की ठगी से उत्पन्न विवाद लोकतांत्रिक अधिकारों की लड़ाई में बदल गया — जहाँ सवाल पूछने पर ख़बर बनना अपराध बन गया।
- सरकार ने विनम्र सम्बन्ध, जवाबी कार्रवाई, और उच्चस्तरीय जाँच की घोषणा की है।
- लेकिन क्या यही न्याय की गारंटी है — या हर युवा सवाल पूछना सजा जोखिम ले रहा?
Buland Soch News का संदेश साफ है:
“जब सवाल पूछने को ही अपराध माना जाए — तब लोकतंत्र नहीं, भय की शासन व्यवस्था बची है।”
🔖 आपके विचार?
क्या इस तरह की कार्रवाई कहीं हमारे लोकतंत्र को चोट पहुँचा रही है? नीचे कमेंट में अपनी राय ज़रूर लिखें — क्योंकि सच वही है जो सवाल बन जाए।