Buland Soch News | विशेष रिपोर्ट | भोपाल
मध्यप्रदेश में 355 प्रस्तावित रेलवे ओवरब्रिज (ROB) और फ्लाईओवर डिजाइनों को निरस्त करने वाले आदेश को निर्माण विभाग (PWD) ने वापस ले लिया है। यह कदम तब उठाया गया जब भारतीय रेलवे और इंजीनियरिंग विशेषज्ञों ने इस निर्णय पर गंभीर आपत्ति जताई और इसे प्रक्रियागत रूप से गलत ठहराया।
🔁 क्या था मामला?
16 जून 2025 को राज्य के निर्माण विभाग ने आदेश जारी कर 355 फ्लाईओवर और ROB डिजाइनों को अमान्य घोषित कर दिया था। विभाग का तर्क था कि इन डिजाइनों की प्रक्रिया में तकनीकी खामियां हैं और इन परियोजनाओं को दोबारा डिज़ाइन किया जाना चाहिए। इस आदेश में प्रदेश के कई ज़िलों में चल रहे और प्रस्तावित ROB व फ्लाईओवर कार्य प्रभावित हो सकते थे।
⚠️ रेलवे की आपत्ति और तकनीकी विरोध
24 जून को रेलवे की ओर से इस आदेश पर कड़ा विरोध दर्ज किया गया। रेलवे अधिकारियों ने स्पष्ट किया कि ऐसे किसी भी संयुक्त प्रोजेक्ट की डिज़ाइन प्रक्रिया बिना रेलवे इंजीनियरिंग स्टैंडर्ड्स और केंद्रीय प्रक्रियाओं के अनुरूप नहीं की जा सकती। रेलवे बोर्ड ने कहा कि राज्य स्तरीय विभाग को अधिकार नहीं है कि वह केंद्र और राज्य की संयुक्त परियोजनाओं को तकनीकी आधार पर अमान्य ठहरा सके।
रेलवे इंजीनियरों और आरओबी से जुड़े विशेषज्ञों ने यह भी बताया कि ऐसे प्रोजेक्ट्स के लिए ‘General Arrangement Drawing (GAD)’ से लेकर फाइनल अप्रूवल तक की पूरी प्रक्रिया रेलवे के सुरक्षा मानकों से जुड़ी होती है। ऐसे में एकतरफा निर्णय तकनीकी रूप से गलत और अनुचित है।
🔁 विभाग ने माना: आदेश में चूक हुई
मामले के बढ़ते दबाव के बाद मध्यप्रदेश के निर्माण विभाग ने खुद ही इस आदेश को औपचारिक रूप से वापस ले लिया। प्रमुख सचिव नीरज मंडलोई ने स्वीकार किया कि रेलवे के साथ चल रही संयुक्त प्रक्रिया को इस प्रकार एकतरफा निरस्त करना विभाग का अधिकार क्षेत्र नहीं था।

✅ क्या हुआ बदलाव?
- आदेश औपचारिक रूप से निरस्त: 355 फ्लाईओवर व ROB डिजाइनों को लेकर जारी आदेश अब मान्य नहीं है।
- संयुक्त सहमति अनिवार्य: भविष्य में किसी भी निर्णय के लिए रेलवे, राज्य विभागों और अन्य तकनीकी एजेंसियों की संयुक्त सहमति आवश्यक होगी।
- मेंटेनेंस पर ज़ोर: मध्यप्रदेश में पहली बार यह निर्णय लिया गया है कि फ्लाईओवर और ROB प्रोजेक्ट्स के मेंटेनेंस को भी गारंटी पीरियड में शामिल किया जाएगा, जिससे निर्माण की गुणवत्ता पर दीर्घकालिक नजर रखी जा सके।
📌 विश्लेषण: किस ओर इशारा करता है यह यू-टर्न?
इस पूरे घटनाक्रम ने यह साफ कर दिया है कि राज्य और केंद्र के बीच चलने वाली तकनीकी परियोजनाओं में तालमेल की गंभीर कमी है। एक तरफ अफसरशाही में फैसले जल्दीबाज़ी में लिए जाते हैं, वहीं रेलवे जैसे राष्ट्रीय स्तर के तकनीकी विभागों की आपत्तियों को नज़रअंदाज़ करना भारी पड़ सकता है।
हालांकि, यह राहत की बात है कि विभाग ने अपनी चूक स्वीकार करते हुए आदेश को निरस्त किया और भविष्य में ज़िम्मेदारी से काम करने की दिशा में कदम उठाए हैं।