मध्य प्रदेश के धार जिले में स्थित ऐतिहासिक मांडू में कांग्रेस का दो दिवसीय ‘नव संकल्प शिविर’ संपन्न हुआ। राहुल गांधी और मल्लिकार्जुन खड़गे ने वर्चुअल संदेशों के माध्यम से पार्टी नेताओं को कड़ा संदेश देते हुए संगठनात्मक अनुशासन और जनसंपर्क को प्राथमिकता देने पर बल दिया।
2023 विधानसभा चुनाव में हार झेलने के बाद मध्य प्रदेश कांग्रेस अब 2028 की तैयारी में पूरी ताकत से जुट गई है। धार जिले के मांडू में आयोजित दो दिवसीय ‘नव संकल्प शिविर’ में कांग्रेस ने न सिर्फ अपनी रणनीति तय की, बल्कि नेतृत्व स्तर पर भी साफ कर दिया कि अब पार्टी में निष्क्रियता और गुटबाजी के लिए कोई जगह नहीं होगी।
कांग्रेस का फोकस – संगठन से लेकर सड़क तक:
इस शिविर का मकसद था पार्टी नेताओं को चुनावी रणनीति, जनसंपर्क, सोशल मीडिया प्रबंधन और विपक्ष की भूमिका को बेहतर ढंग से निभाने के लिए प्रशिक्षित करना।
राहुल गांधी का ‘तीन घोड़े’ वाला बयान चर्चा में:
शिविर के दूसरे दिन राहुल गांधी वर्चुअली जुड़े और उन्होंने नेताओं को एक कड़ा लेकिन स्पष्ट संदेश दिया –
“तीन तरह के घोड़े होते हैं –
एक जो दौड़ लगाता है (एक्टिव),
दूसरा जो बारात में सजता है (दिखावटी),
और तीसरा जो लंगड़ा होता है (निष्क्रिय)।
अब कांग्रेस को तय करना है कि किसे आगे रखना है और किसे रिटायर करना है।”
इस बयान को लेकर कांग्रेस के भीतर ‘Accountability Culture’ को लेकर गंभीर बहस शुरू हो चुकी है।
नेताओं की प्रमुख भागीदारी:
- वर्चुअली जुड़े: राहुल गांधी, मल्लिकार्जुन खड़गे, पूर्व सीएम कमलनाथ
- मौजूद रहे: जीतू पटवारी (प्रदेश अध्यक्ष), उमंग सिंघार, विवेक तन्खा, अरुण यादव, हरीश चौधरी (AICC प्रभारी), और अन्य वरिष्ठ नेता
सोशल मीडिया एक्टिविज़्म पर फोकस:
शिविर में बताया गया कि आज की राजनीति में सोशल मीडिया एक ‘जमीन से जुड़ा हथियार’ बन चुका है। नेताओं को स्पष्ट निर्देश दिए गए:
- ट्विटर, इंस्टाग्राम और फेसबुक पर नियमित पोस्ट करें
- जमीनी मुद्दों पर वीडियो बनाएँ
- व्हाट्सएप ग्रुप्स का नेटवर्क बढ़ाएँ
- जनता की भाषा और भावनाओं को समझकर संवाद करें
सदन और सड़क – दोनों पर सरकार को घेरो:
नेताओं को यह भी सिखाया गया कि किस तरह से विधानसभा में मुद्दों को उठाया जाए, कैसे जन आंदोलनों का नेतृत्व किया जाए, और किस तरह सरकार की विफलताओं को उजागर किया जाए।
इनमें मुख्य विषय थे:
- बेरोजगारी
- महंगाई
- किसान संकट और न्यूनतम समर्थन मूल्य
- बिजली कटौती और स्वास्थ्य सेवाओं की बदहाली
- अफसरशाही और घोटालों पर चुप्पी
कार्यशालाएं और प्रेजेंटेशन:
शिविर के दौरान AICC से आए रणनीतिकारों ने प्रेजेंटेशन के माध्यम से बताया कि:
- 2023 चुनाव में कहाँ चूक हुई
- BJP की चुनावी रणनीति को कैसे काउंटर करें
- लोकल मीडिया और डिजिटल चैनलों के साथ कैसे समन्वय बनाएँ
जमीनी रिपोर्टिंग और फीडबैक सिस्टम:
कांग्रेस हाईकमान ने स्पष्ट निर्देश दिए कि प्रत्येक विधानसभा क्षेत्र से पार्टी के पास प्रत्येक 3 महीने में फीडबैक रिपोर्ट पहुंचनी चाहिए।
इसमें शामिल होंगे:
- जनभावना रिपोर्ट
- भाजपा के स्थानीय नेताओं की गतिविधियाँ
- जनता की प्राथमिक समस्याएँ
राजनीतिक विश्लेषण
मध्य प्रदेश कांग्रेस का यह कदम दिखाता है कि पार्टी अब हार को भूलकर आत्ममंथन और तैयारी की ओर बढ़ रही है।
राहुल गांधी के बयान ने अंदरुनी निष्क्रियता पर चोट की है, वहीं मांडू का शिविर एक ‘वार्म अप’ माना जा रहा है उस सियासी रेस का, जो 2028 में निर्णायक मोड़ पर होगी।
अब देखना है कि क्या यह जोश मैदान पर भी दिखेगा या फिर सिर्फ एक और ‘शिविर’ तक ही सिमट जाएगा?