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मध्यप्रदेश निजी विश्वविद्यालय विनियामक आयोग के सचिव की कारस्तानी:निजी लाभ के लिए पूर्व आउटसोर्स कंपनी का अनुबंध किया समाप्त,प्रतिमाह आयोग को लग रहा 3 लाख से अधिक का चूना

MP private university regulatory board

मध्यप्रदेश निजी विश्वविद्यालय विनियामक आयोग में बड़े स्तर पर आर्थिक अनियमितता की जा रही है।


मध्यप्रदेश निजी विश्वविद्यालय विनियामक आयोग में बड़े स्तर पर आर्थिक अनियमितता की जा रही है। आयोग में पदस्थ सचिव के पी साहू द्वारा आउटसोर्स कर्मचारियों के लिए पूर्व से अनुबंधित कंपनी का अनुबंध समाप्त कर दूसरी कंपनी से लाखों की राशि लेकर आयोग को प्रति माह 3 लाख से अधिक का चूना लगाया जा रहा है।

भोपाल।
मध्यप्रदेश निजी विश्वविद्यालय विनियामक आयोग में बड़े स्तर पर आर्थिक अनियमितता की जा रही है। आयोग में पदस्थ सचिव के पी साहू द्वारा आउटसोर्स कर्मचारियों के लिए पूर्व से अनुबंधित कंपनी का अनुबंध समाप्त कर दूसरी कंपनी से लाखों की राशि लेकर आयोग को प्रति माह 3 लाख से अधिक का चूना लगाया जा रहा है।

जानकारी के मुताबिक आयोग में शासन द्वारा 18 सितंबर 2015 द्वारा 16 पदों की स्वीकृति प्रदान की गई थी। जिसमें 4 पद प्रतिनियुक्ति द्वारा एवं शेष 12 पद  आउटसोर्स के द्वारा लिये जाने के आदेश वित्त विभाग एवं  मंत्री परिषद द्वारा दिये गए थे। आयोग ने उच्च शिक्षा विभाग मंत्रालय के आदेश क्रमांक 829 आर 275 सीसी 14/38 दिनांक 18 सितम्बर 2015 के पालन में विधिवत भंडार क्रय एवं सेवा उपार्जन नियम 2015 का पालन करते हुए निविदा आमंत्रित की। जिसके बाद 16 पदों के लिए आउटसोर्स का कार्य आदेश कृष्णा सिक्योरिटी सर्विस को प्रदान किया गया। 16 आउटसोर्स कर्मचारियों के लिए आयोग द्वारा प्रतिमाह 2 लाख 30 हजार 615 रुपये का प्रतिमाह भुगतान किए जाता था। यह सिलसिला मई 2021 तक चला। 

2021 में आयोग में सचिव के पद पर के पी साहू की पदस्थापना हुई। सूत्रों के मुताबिक आयोग के सचिव द्वारा कृष्णा सिक्योरिटी सर्विस से कमीशन की मांग की गई। कमीशन नहीं देने पर कृष्णा सिक्योरिटी सर्विस का अनुबंध समाप्त कर दिया गया। सेडमैप के जरिये आउटसोर्स कर्मचारियों की सेवाएं अब आयोग ले रहा है, जिसके एवज में आयोग सेडमैप को 5 लाख 51 हजार 217 रुपये का भुगतान प्रतिमाह कर रहा है। 

उल्लेखनीय तथ्य यह है कि सेडमैप भी 2 लाख 30 हजार 615 रुपये में 10 प्रतिशत अधिक राशि देकर अन्य तीसरी कंपनी सुरभि सिक्योरिटी सर्विस से कर्मचारियों की सेवाएं आयोग को दे रहा है। 3 लाख रुपये प्रतिमाह की आर्थिक हानि आयोग को पहुंचाकर उक्त राशि का आपस मे बंदरबांट किया जा रहा है। अब तक आयोग को 25 लाख से अधिक की राशि का नुकसान पहुंचाया जा चुका है। यह सिलसिला निरंतर जारी है। मजे की बात यह है कि आयोग में जो कर्मचारी कृष्ना सिक्योरिटी सर्विस के समय कार्य कर रहे थे वही कर्मचारी अभी भी कार्य रहे हैं। केवल कागजों में कंपनी का नाम बदल गया और राशि भी 3 लाख से अधिक बढ़ा दी गई।

कैसे चल रहा खेल

निजी विश्वविद्यालय विनियामक आयोग को उच्च शिक्षा विभाग एवं वित्त विभाग तथा मंत्रिमंडल ने 16 पदों की भर्ती हेतु स्वीकृति प्रदान की थी। आयोग ने वर्ष 2016 में कृष्णा सिक्योरिटी सर्विस को आउटसोर्स कर्मचारियों के लिए कार्यादेश प्रदान किया। पूरे मामले में मजे की बात यह है कि कृष्ना सिक्योरिटी सर्विस ने अलका दुबे को टेकनीशियन, विश्वास शुक्ला को प्रोग्रामर, स्टेनोग्राफर एवं स्टेनो टाइपिस्ट के तौर पर विनय द्विवेदी, कंचन श्रीवास्तव व सुनील कनेरिया, भृत्य और चौकीदार विजय कुमार, योगेश अमलियार, धर्मेंद्र, बसंत कहार, कृष्णा हटेले, माली के पद पे युद्धवीर सिंह, स्वीपर के पद पे सरोज बाई, करण, सुरक्षा गार्ड गेट पर नाथूराम, पप्पू इंग्ले, विजय, गनमैन के तौर पर उदयभान सिंह कुल 17 व्यक्तियों की पदस्थापना आयोग में आउटसोर्स कर्मचारी के रूप में की गई थी। कृष्णा सिक्योरिटी सर्विस ने आयोग में 17 कर्मचारियों की नियुक्ति की। लेकिन आयोग में उक्त कंपनी ने 22 कर्मचारियों के नाम पर 2 लाख 20 हजार 415 का बिल लगाया और भुगतान प्राप्त किया। यह सिलसिला मई 2021 तक निरंतर जारी रहा। इसके बाद कृष्णा सिक्योरिटी सर्विस का अनुबंध समाप्त कर सेडमैप से अनुबंध  किया गया। सेडमैप को आयोग वर्तमान में 29 कर्मचारियों के नाम पर 5 लाख 51 हजार 217 का भुगतान कर रहा है। लेकिन जमीनी हकीकत यह है कि आयोग में अभी 18 कर्मचारी ही कार्यरत हैं। आश्चर्य की बात यह है कि ये 18 कर्मचारी वही हैं जो कृष्ना के समय कार्य कर रहे थे और अब सेडमैप के जरिए कार्य कर रहे हैं। सेडमैप भी अन्य तीसरी कंपनी सुरभि सिक्योरिटी से अनुबंध कर इन कर्मचारियों की पदस्थापना आयोग में कराया है। इन कर्मचारियों के वेतन का भुगतान सुरभि सिक्योरिटी के द्वारा किया जाता है। जबकि आयोग भुगतान सेडमैप को कर रहा है।

नियमों को दरकिनार कर सेडमैप को दिया गया कार्य

आयोग ने शासन के नियम और प्रक्रिया को दरकिनार करते हुए प्रतिमाह मोटे कमीशन के चलते सेडमैप को आउटसोर्स कर्मचारी के लिए कार्यदेश प्रदान किया है। मध्यप्रदेश शासन सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम विभाग मंत्रालय के प्रमुख सचिव द्वारा 25 अक्टूबर 2021 को शासन के समस्त विभागप्रमुखों को पत्र लिखकर उद्यमिता विकास केंद्र मध्यप्रदेश सेडमैप को उद्यमिता विकास, क्षमता संवर्धन, मैनपॉवर आउटसोर्सिंग, कौशल विकास व कौशल उन्नयन संबंधी प्रशिक्षण कार्य प्राथमिकता के आधार पर आवंटित किए जाने को लेकर अधीनस्थ कार्यलयों को निर्देश जारी करने को कहा। साथ ही सेडमैप की विस्तृत प्रोफ़ाइल भी भेजी गई। मध्यप्रदेश सेवा उपार्जन नियम में भी यह स्पष्ट रूप से लिखा है कि रुपये 5 लाख से अधिक के अनुमानित मूल्य के कार्य या सेवा के लिए विभाग द्वारा खुली निविदा आमंत्रित की जाएगी। इस हेतु व्यापक रूप से परिचालित एक राष्ट्रीय दैनिक समाचार पत्र एवं दो राज्य स्तरीय समाचार पत्र में संक्षिप्त विज्ञापन दिया जाएगा। प्रस्ताव टू बिड प्रणाली से मंगाए जाएंगे। आयोग को सेडमैप को कार्य देने की इतनी जल्दी थी कि 5 लाख रुपये से अधिक के कार्य व सेवा हेतु बिना खुली निविदा आमंत्रित किये सीधे कार्यदेश सेडमैप को सौंप दिया गया। कमीशन का खेल ऐसा खेला गया कि जो कार्य 2 लाख 28 हजार रुपये में हो रहा था वही कार्य और उन्हीं कर्मचारियों के लिए आयोग सेडमैप को 5.50 लाख से अधिक का भुगतान प्रतिमाह कर रहा है। आयोग को तीन लाख से अधिक का चूना प्रतिमाह लग रहा है। सबसे बड़ी बात यह है कि प्रशिक्षित कर्मचारियों का दावा करने वाली सेडमैप के पास स्वयं ही प्रशिक्षित कर्मचारी उपलब्ध नहीं है। सेडमैप अन्य कंपनियों के सहारे शासन के विभागों को सेवाएं उपलब्ध करवा रहा है।

क्या कहते हैं जिम्मेदार

नियम और प्रक्रिया का पालन करते हुए शासन के निर्देशानुसार एवं आयोग की बैठक में पारित प्रस्तावों एवं संकल्पों के आधार पर सेडमैप को कार्य सौंपा गया है। किसी भी प्रकार की आर्थिक अनियमितता आयोग में नहीं हुई है।

के पी साहू
सचिव, म.प्र निजी विश्वविद्यालय विनियामक आयोग