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कांग्रेस प्रत्याशी ने हार के डर से किया इमोशनल ड्रामा तो सेमरियक में BJP का धुआंधार प्रचार अभियान जारी, जानिए रीवा जिले के 6 विधानसभा के हाल,,,

Abhay Mishra congress

रीवा जिले की 6 विधानसभा में चुनाव नजदीक आते आते समीकरण बदलते हुए नजर आ रहे हैं। सबसे अधिक चर्चाओं का बाजार सेमरिया विधानसभा में गर्म है। गर्म होने का कारण भी है क्योंकि यही चर्चाओं का बाजार पिछले विधानसभा चुनाव में रीवा सीट में था।


सेमरिया विधानसभा से कांग्रेस प्रत्याशी अभय मिश्र अपने अलग अंदाज में चुनाव लड़ने के कारण खूब चर्चा में रहते हैं। पहले बीजेपी से 2008 में सेमरिया से विधायक चुने गए। विधानसभा में विकास कार्यों में इजाफा कम इनकी संपत्ति में इजाफा खूब हुआ।

बुलंद सोच प्रतिनिधि रीवा।

रीवा जिले की 6 विधानसभा में चुनाव नजदीक आते आते समीकरण बदलते हुए नजर आ रहे हैं। सबसे अधिक चर्चाओं का बाजार सेमरिया विधानसभा में गर्म है। गर्म होने का कारण भी है क्योंकि यही चर्चाओं का बाजार पिछले विधानसभा चुनाव में रीवा सीट में था। इन चर्चाओं को लेकर राजनीति के जानकारों की मानें तो यह चर्चा एक व्यक्ति के कारण अत्यधिक होती है। वह व्यक्ति हैं अभय मिश्रा, लोग बताते हैं कि इनके चुनाव लड़ने का तरीका थोड़ा अलग है। वह इसलिए के इनका व्यापार करने का तरीका भी थोड़ा अलग है। अति महत्वाकांक्षी होने के वजह से इनकी सोच यह रहती है रुपये पैसों में शायद सब कुछ बिकता है। 2018 विधानसभा चुनाव में इन्होंने भाजपा छोड़ कांग्रेस का हांथ थामकर सेमरिया से गुलाटी मार रीवा विधानसभा से चुनाव लड़े। करारी हार के बाद इन्होंने अपना रुख सेमरिया की ओर कर लिया। चुनाव के नजदीक आते आते कांग्रेस से भाजपा और फिर भाजपा से कांग्रेस में आये और ताल ठोंकी पुनः सेमरिया से। अब यहां भी अपना वही पुराना दांव खेलना शुरू कर दिया है जो उन्होंने 05 वर्ष पूर्व रीवा विधानसभा में खेला था। 02 दिन पूर्व हार की डर से जनता के बीच इमोशनल ड्रामा फैलाया। इनके निवास पर ईडी का छापा पड़ने जा रहा है। सतारूढ़ दल उन्हें एवं उनके परिवार को जेल भिजवाने की तैयारी कर रहा है। एक दो दिन में सभी जेल में होंगे। उनका चुनाव अब जनता लड़ेगी। अभय मिश्रा का दांव यह भी उलटा पड़ गया। अब तक न तो ईडी का छापा पड़ा और न ही कोई जेल गया। सूत्र बताते हैं कि ईडी की जगह जीएसटी का छापा पड़ा था जिसे इन्होंने सबके सामने ईडी का छापा बता दिया। खैर कहानी जो कुछ हो लेकिन उनका यह दांव उलटा पड़ गया। दूसरी ओर बीजेपी प्रत्याशी के पी त्रिपाठी इस घटनाक्रम के बाद अपना प्रचार-प्रसार तेज कर दिया है। 1600 करोड़ के किये गए विकास कार्यों को जन जन तक पहुंचा रहे हैं।

अन्य विधानसभा में क्या है हाल ?

सेमरिया में बीजेपी की जीत को जनता इस घटनाक्रम के बाद एकतरफा बता रही है तो वहीं रीवा विधानसभा में कमजोर कांग्रेस प्रत्याशी होने से जीत की संभावना अत्यंत प्रबल है। सिरमौर में कांग्रेस अपना खाता खोलने को बेताब नजर आ रही है तो वहीं त्योंथर में बीजेपी अपने नए प्रत्यासी को जिताने में पूरा दमखम लगा रही है। गुढ़ में मुकाबला कांग्रेस और बीजेपी में कांटे का बताया जा रहा है। मनगंवा में बीजेपी की पूर्व विधायक पन्नबाई प्रजापति के नामांकन पत्र वापस लेने से बीजेपी कांग्रेस से एक कदम आगे दिखती नजर आ रही है। हालांकि चुनाव की तारीख नजदीक आते आते समीकरण भी बदलते हुए नजर आएंगे।

कांग्रेस प्रत्याशी अभय मिश्रा क्यों हैं चर्चा में

सेमरिया विधानसभा से कांग्रेस प्रत्याशी अभय मिश्र अपने अलग अंदाज में चुनाव लड़ने के कारण खूब चर्चा में रहते हैं। पहले बीजेपी से 2008 में सेमरिया से विधायक चुने गए। विधानसभा में विकास कार्यों में इजाफा कम इनकी संपत्ति में इजाफा खूब हुआ। दूसरी बार इनकी पत्नी को बीजेपी ने टिकट दिया। श्रीमती नीलम मिश्रा 2013 में विधायक चुनी गईं और आगे अभय मिश्र जिला पंचायत अध्यक्ष निर्वाचित हुए। इस दौरान इनका एकछत्र राज सेमरिया विधानसभा में कायम रहा और इनके मुकाबले में कोई नहीं रहा। व्यापार भी खूब फला-फूला। लेकिन 2018 चुनाव आते आते अतिमहत्वाकांछी होने की वजह से भाजपा से मोह भंग हो गया। इन्होंने कांग्रेस का हांथ थामकर रीवा विधानसभा चुनाव से चुनाव लड़ा। रीवा से भाजपा प्रत्याशी राजेंद्र शुक्ल की साख में बट्टा लगाने की भरसक कोशिश की लेकिन जनता सब जानती है। सफलता हांथ नहीं लगी तो दुबारा पुनः सेमरिया की ओर रूख किया। अब एक बार फिर सेमरिया विधानसभा में कांग्रेस प्रत्याशी के रूप में मैदान में हैं।

चुनावी मैनेजमेंट का दांव पड़ गया उलटा

अभय मिश्रा का चुनावी मैनेजमेंट देखें तो इनका एक ही रहता है। पहला अपने प्रतिद्वंद्वी की छवि खराब करो उसके बाद पैसे-रुपये से चुनाव जीतो। 2008, 2013 में प्रतिद्वंद्वी टक्कर का नहीं मिला। 2018 में प्रतिद्वंद्वी से टक्कर हुआ तो साफ छवि वाले राजेन्द्र शुक्ल की साख में खूब बट्टा लगाया। लेकिन यह दांव इनका विफल रहा। इस चुनाव के बाद ये रीवा से आउट होकर सेमरिया में इन किया। यही दांव यहां भी खेलने का प्रयास शुरू से जारी रखा। एक फर्जी यूटयूबर के माध्यम से वर्तमान युवा विधायक की साख में बट्टा लगाने का प्रयास निरंतर जारी रखा। लोगों की बीच में चर्चा यह है कि जब इनका यह दांव भी उलटा पड़ा तो सहानभूति बटोरने के लिए ईडी का नाम का सहारा लिया। सर में कफन बांध लिया। राजनीति के जानकार कहते हैं कि अभय मिश्र इस घटनाक्रम के बाद जनता के समक्ष एक्सपोज हो गए। चुनावी बिसात में इनका दांव उलटा पड़ गया। अब सेमरिया विधानसभा से भाजपा प्रत्याशी 2-0 से बढ़त बनाये हुए हैं।

शराब कारोबारी बन रीवा के युवाओं को नशेड़ी बनाने का आरोप

कांग्रेस प्रत्याशी पर सबसे बड़ा गंभीर आरोप शराब कारोबारी बनकर रीवा में आतंक फैलाने और युवा को नशे मे धकलने का है। 2018 के विधानसभा चुनाव में करारी हार और चुनावी खर्च की भरपाई के लिए इन्होंने पूरे जिले भर का शराब ठेका लिया। लोगों का आरोप है कि सेमरिया और रीवा के सबसे अधिक युवाओं का भविष्य खराब करने का श्रेय यदि किसी को जाता है तो वह हैं अभय मिश्रा। इनकी फर्म उदित इंफ्रा में सबसे अधिक युवा इन्हीं क्षेत्रो के कार्य कर रहे थे। कई को तो बतौर लठैत तैनात कर रखा था तो कई को वसूली के लिए। कई मौतों के राज भी सुमन वाटिका में दफन हैं।

एक नजर रीवा जिले की 06 विधानसभा के प्रत्याशियों पर

रीवा

भाजपा- राजेन्द्र शुक्ल
कांग्रेस- राजेन्द्र शर्मा

सेमरिया
भाजपा- के पी त्रिपाठी
कांग्रेस-अभय मिश्रा
बसपा-पंकज सिंह

सिरमौर-

कांग्रेस-रामगरीब कोल
भाजपा-दिव्यराज सिंह
सपा-लक्ष्मण तिवारी

त्योंथर-
भाजपा- सिद्धार्थ तिवारी राज
कांग्रेस- रमाशंकर सिंह पटेल
बसपा- देवेंद्र सिंह

गुढ़-
भाजपा- नागेंद्र सिंह
कांग्रेस-कपिध्वज सिंह

मनगंवा-
कांग्रेस- बबिता साकेत
भाजपा- नरेंद्र प्रजापति