डिजिटल पब्लिशर्स के लिए आचार सहिंता
मीडिया वेलफेयर सोसायटी ने स्वेच्छा से अपने सदस्यों के लिए आचार संहिता तैयार की है, जो नीचे दी गई है, और जो ज़िम्मेदार डिजिटल पब्लिशिंग के प्रति उनकी प्रतिबद्धता दर्शाती है। यह भारतीय संविधान के अनुच्छेद 19 (1) (अ) द्वारा दी गई अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और दूसरी संवैधानिक स्वतंत्रताओं की रक्षा करने के साथ ही समाचार, समसामयिकी और अन्य कॉन्टेंट के वितरण या प्रसारण पर रोक लगाने वाली घटनाओं पर भी पुनर्विचार और समीक्षा करती है।
इस संहिता का लक्ष्य डिजिटल न्यूज़ पब्लिशिंग में उच्च मानदंड और नैतिक मूल्यों को स्थापित करना है, और यह न्यूज़ पब्लिशर्स के रोज़मर्रा के कामकाज में दखल देने की कोशिश नहीं है, जो संपादकीय और कॉन्टेंट चयन के लिहाज़ से पूरी तरह स्वतंत्र हैं।
इस आचार संहिता का बुनियादी मकसद डिजिटल पब्लिशिंग के मानदंडों को बनाए रखना है, और साथ ही पत्रकारों और पब्लिशर्स की स्वतंत्रता की रक्षा करना भी है।
1. डिजिटल न्यूज़ वेबसाइट भारतीय संविधान तथा यहां के सभी कानूनों का पालन करती हैं। साथ ही साथ मीडिया उद्योग से जुड़े 30 से ज़्यादा कानूनों, IPC और CrPC के मीडिया के उनसे संबद्ध प्रावधानों तथा सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000 का भी पालन करती हैं।
2. डिजिटल न्यूज़ वेबसाइट पत्रकारिता के स्वीकृत उसूलों और इसकी परंपराओं के मानदंडों का भी मज़बूती से पालन करती हैं और पेशेवर आचरण के उच्चतम मानकों को बनाए रखती हैं। इस स्वनियमन संहिता की कई परतें हैं, जो न्यूज़रूम, पत्रकारों और संपादकों पर भी लागू होती हैं।
3. सटीकता, पारदर्शिता और निष्पक्षता को मानने वाले सदस्यों को आधारहीन या विकृत सामग्री के प्रकाशन से बचना चाहिए। पूर्व-प्रकाशन सत्यापन अनिवार्य होना चाहिए। मानहानि करने से बचना चाहिए। कानूनों और नियमों का पालन आवश्यक होना चाहिए।
4. उत्तर देने का अधिकार
न्यूज़ रिपोर्ट, लेख में उन लोगों के पक्ष का ज़रूर उल्लेख किया जाना चाहिए, जिन पर आरोप लगाया जा रहा है। अगर उस समय यह नहीं मिल पाता है, तो बाद में मिले जवाब या पक्ष को समाचार में जोड़ा जाना चाहिए।
अगर समाचार में कोई बदलाव है या इसके लिए कोई संबद्ध व्यक्ति आग्रह करता है, तो ऐसा उचित तरीके से किया जाना चाहिए। समाचार में अपडेट के समय और तारीख का भी उल्लेख होना चाहिए।
5. समाचार हटाना या संपादित करना
अगर किसी समाचार में गलत या झूठी जानकारी पाई जाती है, तो संबंधित व्यक्ति या पार्टी द्वारा सामने आकर ज़रूरी दस्तावेज़ सहित सही जानकारी देने पर समाचार का वह हिस्सा संपादित किया जाना चाहिए या हटाया जाना चाहिए। अगर पूरा समाचार ही झूठा, गलत पाया जाता है, तो उस समाचार या लेख को हटाया जाना चाहिए।
6. बौद्धिक संपदा अधिकारों का सम्मान करें
टेक्स्ट, तस्वीरों, रेखाचित्रों, कार्टूनों आदि में कॉपीराइट का सम्मान किया जाना चाहिए। यदि कॉपीराइट सामग्री का उपयोग किया जाता है, तो पूर्व अनुमति लेनी चाहिए और प्रकाशन को नैतिक और स्वामित्व संबंधी अधिकारों को स्वीकार करना चाहिए।
यदि अनुमति के लिए शुल्क या रॉयल्टी के भुगतान की आवश्यकता होती है, तो भुगतान किया जाना चाहिए।
तीसरे पक्ष के ट्रेड मार्क और सर्विस मार्क को पूर्व अनुमति के अलावा उपयोग नहीं किया जाना चाहिए या यदि ऐसा उपयोग उचित समझा जाए, तब ही इस्तेमाल किया जाए।
बौद्धिक संपदा के उल्लंघन के मामले में - किसी भी अनुरोध को प्राप्त करने और आवश्यक दस्तावेज़ प्राप्त करने के बाद, संबंधित सामग्री को संपादित किया जाना चाहिए, हटा दिया जाना चाहिए या यदि आवश्यक हो तो वापिस लिया जाना चाहिए।
7. सनसनीखेज़ मामलों और अपराध की रिपोर्टिंग में सावधानी बरती जाए। आरोपी के निर्दोष साबित होने की गुंजाइश को छोड़ा जाना चाहिए। सबूत, गवाह और गवाह के आचरण, अभियुक्त और पीड़ित और उनके संबंधित आचरण पर टिप्पणी और अटकलों से बचा जाना चाहिए। ऐसे मामलों में रिपोर्टिंग तथ्यपरक और निष्पक्ष होनी चाहिए।
8. कार्यस्थल में यौन शोषण, बाल शोषण, बलात्कार (जहां अभियुक्त या पीड़ित नाबालिग हो), वैवाहिक मामलों, दंगों और सांप्रदायिक विवादों / झड़पों से जुड़े मामलों में, तलाक और बच्चों की देखभाल के अधिकार से जुड़े मामलों में, गोद लेने के मामलों आदि में रिपोर्ट करते समय विशेष ध्यान रखा जाना चाहिए।
सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000 के अनुभाग 67, 67A और 67B के पालन का खयाल रखना चाहिए, जिसमें अश्लील सामग्री, यौन सामग्री और बच्चों को इस तरह से चित्रित करने वाली सामग्री पर सज़ा का प्रावधान है।
9. शिकायत निवारण तंत्र
सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000 के तहत सदस्य शिकायत निवारण तंत्र का पालन करेंगे और आईटी अधिनियम, 2000 की धारा 79 का पालन करेंगे. सूचना प्रौद्योगिकी (मध्यवर्ती दिशानिर्देश) नियम, 2011, जिसमें एक शिकायत अधिकारी नियुक्त करना शामिल है, की नियुक्ति की जाएगी। जिसका संपर्क विवरण वेबसाइट पर दिया जाएगा। जो शिकायत प्राप्त होने के 36 घंटे के भीतर काम करेगा और शिकायत मिलने के एक महीने के भीतर शिकायत का निवारण करेगा।
10. प्रशिक्षण और जागरूकता कार्यक्रम
भारत के संविधान सहित मौजूदा कानूनों के बारे में संपादकीय कर्मचारियों के लिए समय-समय पर प्रशिक्षण और जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे। मीडिया से संबंधित 30 से अधिक कानून, जैसे महिलाओं को गलत तरह से दिखाने पर रोक, कॉपीराइट अधिनियम, सूचना का अधिकार अधिनियम, IPC, CrPC, नागरिक और आपराधिक मानहानि, आईपीआर, किशोर न्याय, POCSO, बलात्कार और छेड़छाड़ पर रिपोर्टिंग से संबंधित प्रासंगिक प्रावधान, कार्यस्थल में उत्पीड़न, जाति या लिंग से संबंधित अपराध, घरेलू हिंसा मामलों के बारे में कमर्चारियों को जागरूक किया जाएगा।
पीड़ितों और अपराधियों की पहचान के मामले में (यदि नाबालिग हो) सख्ती से बचा जाना चाहिए।
पीड़ितों की तस्वीरें, उनके निवास स्थान, कार्यस्थल आदि की जानकारी न दी जाए।
सांप्रदायिक या धार्मिक विवादों / झड़पों से संबंधित मामलों की रिपोर्टिंग करते समय हर बार विशेष एहतियात और सावधानी बरतनी चाहिए। इस तरह की ख़बरें तथ्यों के उचित सत्यापन के बाद ही प्रकाशित की जानी चाहिए और उन्हें सावधानी और संयम के साथ पेश किया जाना चाहिए, ताकि ऐसा माहौल सुनिश्चित हो, जो सांप्रदायिक सौहार्द, शांति और शांति को बढ़ावा देने के लिए अनुकूल हो।
न्यायालयों और न्यायिक मामलों पर रिपोर्टिंग में विशेष सावधानी बरती जाए। विधायी विशेषाधिकारों और न्यायालय की सुनवाई, न्यायिक मामलों आदि की सही रिपोर्टिंग के बारे में संपादकीय कर्मचारियों के बीच जागरूकता पैदा की जाए। यह सुनिश्चित किया जाए कि पीड़ित और अभियुक्त, दोनों का पक्ष समाचार में शामिल हो, और उन पर टिप्पणियां नहीं की जानी चाहिए।
निजता का सम्मान किया जाए, विशेषकर उन व्यक्तियों का, जो सार्वजनिक जीवन में नहीं हैं।