- “फर्ज़ी नियुक्ति का खेल: DEO सुदामा लाल गुप्ता की संदिग्ध भूमिका पर सवाल, डिप्टी सीएम से कार्रवाई की अपेक्षा”
- बिना कलेक्टर अनुमोदन के फर्जी नियुक्ति, लेकिन दोषी लिपिक अब भी मलाईदार कुर्सी पर
- डिप्टी सीएम राजेन्द्र शुक्ल से अपेक्षा – सड़े तंत्र की सफाई करें
रिपोर्ट: Buland Soch News, रीवा ब्यूरो|
रीवा शिक्षा विभाग एक बार फिर कटघरे में है, और इस बार सवाल केवल लिपिक तक सीमित नहीं हैं – बल्कि सीधे जिला शिक्षा अधिकारी (DEO) सुदामा लाल गुप्ता की भूमिका संदिग्ध बताई जा रही है।
मामला है एक फर्जी अनुकंपा नियुक्ति का, जिसमें जी. बेलाकली कोल नाम की महिला को मृत शिक्षिका घोषित कर दिया गया, जबकि वह कभी शासकीय सेवा में थी ही नहीं।
उनके बेटे बृजेश कोल को भृत्य (चपरासी) के पद पर शा. उ. मा. वि. जोड़ौरी में नौकरी दे दी गई।
इस फर्जीवाड़े के पीछे नाम आता है रमा प्रसन्न द्विवेदी, जो DEO कार्यालय रीवा में अटैच लिपिक हैं।
शहर में चर्चा है कि द्विवेदी जी, DEO सुदामा लाल गुप्ता के “अति विश्वस्त” और “नज़दीकी” माने जाते हैं।
यही कारण है कि शाखा प्रभारी बना दिया गया, जबकि उनकी पोस्टिंग BEO ऑफिस में थी।
📌 DEO गुप्ता पर सवाल क्यों?
- बिना कलेक्टर अनुमोदन के कैसे नियुक्ति आदेश जारी हुआ?
- रमा द्विवेदी को किसके कहने पर अटैच किया गया?
- जब नियुक्ति रद्द हुई, तो जारी करने वाले अधिकारियों पर कार्यवाही क्यों नहीं?
- ऐसे कई मामलों में DEO की चुप्पी क्या संकेत देती है?
रीवा के शिक्षा विभाग में जब से सुदामा लाल गुप्ता ने DEO का प्रभार लिया है, तब से शिक्षण व्यवस्था से अधिक चर्चा घोटालों की होने लगी है।
यह पहला मामला नहीं है, इससे पहले भी स्थानांतरण, नियुक्ति और पदस्थापन में लेन-देन की खबरें विभाग में आम हो चुकी हैं।
🙏 डिप्टी सीएम राजेन्द्र शुक्ल से जनता की अपेक्षा
रीवा की जनता ने राजेन्द्र शुक्ल को हमेशा एक कर्मठ, ईमानदार और परिणाम देने वाला नेता माना है।
अब अपेक्षा की जा रही है कि वे ऐसे अफसरों को संरक्षण देने की बजाय, तत्काल हटाकर विभागीय सफाई अभियान चलाएं।
कलेक्टर प्रतिभा पाल को भी चाहिए कि:
- रमा प्रसन्न द्विवेदी को निलंबित करें
- DEO कार्यालय की पिछली 2 वर्षों की नियुक्तियों की स्वतंत्र जांच करवाई जाए
- सुदामा गुप्ता की भूमिका की विधिवत विभागीय समीक्षा की जाए
“एक फर्जी नियुक्ति का पर्दाफाश, शिक्षा व्यवस्था की खोखली ईमारत को उजागर करता है। अब ज़रूरत है ऐसे DEO और उनके लिपिक जैसे किरदारों को कुर्सी से हटाकर सज़ा देने की।”