Home MP News (मध्यप्रदेश समाचार) 220 कॉलेजों में 582 पद खाली, 326 चयनित प्रशिक्षक 7 महीने से...

220 कॉलेजों में 582 पद खाली, 326 चयनित प्रशिक्षक 7 महीने से नियुक्ति के इंतज़ार में — सिस्टम की चुप्पी, युवाओं की बेचैनी

0
2
Indore के सरकारी कॉलेजों में फैकल्टी की भारी कमी, खाली पड़े खेल अधिकारी और लाइब्रेरियन के पद, DAVV के तीन प्रमुख विभागों में स्थायी फैकल्टी का अभाव।
इंदौर में फैकल्टी संकट — सरकारी कॉलेजों में शिक्षकों और स्थायी स्टाफ की भारी कमी

भोपाल | Buland Soch News ब्यूरो

मध्यप्रदेश में उच्च शिक्षा व्यवस्था इस समय गहरे संकट से गुजर रही है। प्रदेश के 220 सरकारी कॉलेजों में कुल 582 पद खाली हैं, जिससे पढ़ाई का स्तर बुरी तरह प्रभावित हो रहा है। सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि कर्मचारी चयन मंडल द्वारा चयनित 326 प्रशिक्षक पिछले 7 महीनों से नियुक्ति का इंतजार कर रहे हैं, लेकिन शासन-प्रशासन की तरफ से अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई है।

📉 शिक्षकों की भारी कमी, छात्रों की पढ़ाई पर असर

प्रदेशभर के कॉलेजों में छात्र और शिक्षक दोनों परेशान हैं। खाली पड़े पदों के कारण कई विषयों में नियमित पढ़ाई संभव नहीं हो पा रही है। छात्रों को गेस्ट फैकल्टी या कभी-कभी ऑनलाइन कक्षाओं के भरोसे छोड़ा गया है, जो उच्च शिक्षा के स्तर को गिरा रहा है। विद्यार्थियों ने बार-बार प्रदर्शन और ज्ञापन दिए हैं, लेकिन समस्या जस की तस बनी हुई है।

📋 चयनित लेकिन नियुक्त नहीं — 326 प्रशिक्षकों की व्यथा

कर्मचारी चयन मंडल द्वारा चयन प्रक्रिया दिसंबर 2022 में शुरू की गई थी और परीक्षा परिणाम नवंबर 2023 में घोषित किए गए थे। इसके बाद दस्तावेज सत्यापन और अन्य प्रक्रियाएं पूरी कर ली गईं। फिर भी, जनवरी 2024 से लेकर अब जुलाई 2025 तक इन चयनित 326 प्रशिक्षकों की नियुक्ति नहीं की गई है। ये सभी योग्य अभ्यर्थी असमंजस में हैं — नौकरी मिली भी है या नहीं?

⚖ जीपीईबी के नियम: नियुक्ति में देरी नियमों के खिलाफ

गवर्नमेंट प्रोफेसर एंप्लॉयमेंट बोर्ड (GPEB) के नियमों के मुताबिक, रिजल्ट जारी होने के तीन महीने के भीतर नियुक्ति प्रक्रिया पूरी होनी चाहिए। लेकिन इस मामले में यह स्पष्ट उल्लंघन है। शिक्षा विभाग की उदासीनता और प्रशासनिक जटिलताओं के कारण 7 महीने से अधिक का समय बीत चुका है।

📅 अब तक की पूरी टाइमलाइन:

  • दिसंबर 2022: परीक्षा प्रक्रिया शुरू
  • नवंबर 2023: रिजल्ट घोषित
  • जनवरी 2024: दस्तावेज सत्यापन
  • जुलाई 2025: अब तक कोई नियुक्ति नहीं

📚 शिक्षा व्यवस्था पर खतरा

इस समय पूरे प्रदेश में कई सरकारी कॉलेज ऐसे हैं जहां विद्यार्थियों की संख्या 500 से 1500 तक है, लेकिन शिक्षकों की संख्या 5-7 तक सीमित है। यह न सिर्फ छात्रों के भविष्य को नुकसान पहुंचा रहा है, बल्कि शिक्षक-छात्र अनुपात को भी पूरी तरह बिगाड़ रहा है।

🗣 छात्र संगठनों और चयनितों की नाराजगी

मध्यप्रदेश शिक्षक चयन मंच, अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (ABVP), NSUI समेत कई संगठनों ने सरकार से बार-बार मांग की है कि नियुक्ति जल्द से जल्द की जाए। चयनित उम्मीदवारों ने अब चेतावनी दी है कि यदि उन्हें इस महीने के भीतर नियुक्त नहीं किया गया तो वे राजधानी में धरना-प्रदर्शन करेंगे।

🚨 बुलंद सवाल — किसे है इन योग्य शिक्षकों की चिंता?

  • क्या सिस्टम जानबूझकर देरी कर रहा है?
  • क्या बजट की कमी इसकी वजह है या प्रशासनिक लापरवाही?
  • क्या छात्रों की पढ़ाई किसी को भी प्राथमिकता नहीं लगती?

Buland Soch News का मानना है कि यदि योग्य उम्मीदवारों को समय पर नियुक्त नहीं किया गया, तो इसका सीधा नुकसान राज्य की शिक्षा व्यवस्था को होगा। सरकार को चाहिए कि वह नियुक्ति प्रक्रिया को पारदर्शी और समयबद्ध बनाते हुए शिक्षकों की तैनाती सुनिश्चित करे।

NO COMMENTS

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here