मध्यप्रदेश के समग्र सामाजिक-आर्थिक विकास का नया रोडमैप हुआ तय, GSDP को ₹15 लाख करोड़ से बढ़ाकर ₹250 लाख करोड़ और साक्षरता दर को 100% तक ले जाने का लक्ष्य।
इंदौर के ऐतिहासिक राजवाड़ा में एक ऐतिहासिक फैसला लिया गया।
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव की अध्यक्षता में मंत्रिपरिषद ने “विकसित मध्यप्रदेश @2047 दृष्टिपत्र” पर मंथन किया।
यह विज़न डॉक्यूमेंट प्रदेश के आर्थिक, सामाजिक और सांस्कृतिक विकास का रोडमैप है, जो वर्ष 2047 तक मध्यप्रदेश को भारत के अग्रणी विकसित राज्यों की कतार में लाने की योजना का हिस्सा है।
2047 का लक्ष्य – कुछ बड़े बिंदु:
- प्रदेश की सकल घरेलू उत्पाद (GSDP) को ₹15.03 लाख करोड़ से बढ़ाकर ₹250 लाख करोड़ (2 ट्रिलियन डॉलर) करना।
- प्रति व्यक्ति आय को ₹1.60 लाख से बढ़ाकर ₹22 लाख तक पहुंचाना।
- औसत आयु को 67.4 से बढ़ाकर 84 वर्ष करना।
- साक्षरता दर को 75.2% से बढ़ाकर 100% तक ले जाना।
- नवकरणीय ऊर्जा का हिस्सा 22.5% से बढ़ाकर 75% करना।
- सेवाओं का GDP में योगदान 53% तक पहुंचाना।
थीमैटिक ग्रुप आधारित योजना:
दृष्टिपत्र को आठ प्रमुख क्षेत्रों में विभाजित किया गया है:
- उद्योग
- कृषि एवं वनोत्पाद
- सेवाएं
- अधोसंरचना एवं नगरीय विकास
- शिक्षा
- स्वास्थ्य
- सुशासन एवं नागरिक सेवा
- वित्तीय नियोजन एवं संवर्धन
प्रत्येक थीमैटिक ग्रुप में विभागीय सचिवों, विशेषज्ञों और नागरिक समाज की भागीदारी सुनिश्चित की गई है।
क्रियान्वयन और निगरानी:
- उच्च स्तरीय क्रियान्वयन समिति गठित की जाएगी।
- सभी योजनाओं की डिजिटल ट्रैकिंग और लाइव डैशबोर्ड पर निगरानी की जाएगी।
- विभागीय प्रेजेंटेशन में रोडमैप की स्पष्ट रूपरेखा मंत्रिपरिषद को दी गई।
Buland Soch की नज़र:
यह दृष्टिपत्र केवल एक सरकारी दस्तावेज़ नहीं, बल्कि “विकसित भारत” की उस कल्पना का हिस्सा है, जिसकी नींव प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने 75वें स्वतंत्रता दिवस भाषण में रखी थी।
मध्यप्रदेश अब केवल आकड़ों में नहीं, बल्कि सोच, सेवा और संरचना के स्तर पर विकसित राज्य बनने की दिशा में बड़ा कदम उठा चुका है।
निष्कर्ष:
“विकसित मध्यप्रदेश @2047” न केवल सरकारी दृष्टिकोण का परिणाम है, बल्कि यह एक जन-संचालित विकास यात्रा है, जहाँ हर नागरिक की भूमिका अहम है।
अब देखना होगा कि इस दस्तावेज़ को जमीनी हकीकत में बदलने के लिए शासन, प्रशासन और समाज कितना सहयोग करता है।