Monday, August 11, 2025
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पुष्पा मैडम का पुष्पा डांस – क्या यही है नई शिक्षा नीति?

📍 स्थान: गंजबासौदा, ज़िला विदिशा, मध्यप्रदेश
🗓️ दिनांक: 21 जून 2025

🎬 रिपोर्ट की शुरुआत

गंजबासौदा के एक सरकारी हायर सेकेंडरी स्कूल में महिला शिक्षिकाओं का मंच पर डांस करते हुए वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया है। यह घटना एक राजकीय शैक्षणिक कार्यक्रम के दौरान की है, जिसमें छात्र-छात्राओं की मौजूदगी में शिक्षिकाएं फिल्मी गानों पर झूमती दिखाई दीं।


🧾 क्या हुआ था मौके पर?

जानकारी के अनुसार, कार्यक्रम समाप्त होने के बाद स्कूल की एक वरिष्ठ शिक्षिका ने छात्रों के साथ स्टेज पर चढ़कर डांस किया। वीडियो में साफ देखा जा सकता है कि शिक्षक-शिक्षिकाएं बिना किसी संकोच के पब्लिक प्लेटफॉर्म पर प्रस्तुति दे रहे हैं।
वीडियो सामने आते ही कई सवाल खड़े हो गए हैं —

  • क्या यह आचरण एक शिक्षक को शोभा देता है?
  • क्या सरकारी मंचों पर इस तरह के ‘मनोरंजन’ की अनुमति है?

🎙️ प्राचार्य का बयान: ‘स्टेज हट रहा था…’

Buland Soch News से बात करते हुए विद्यालय के प्राचार्य ने कहा —

“प्रोग्राम खत्म हो चुका था। स्टेज का सेटअप हट रहा था, तभी छात्रों ने शिक्षिकाओं से डांस की फरमाइश कर दी और वे चली गईं।”

इस बयान ने शिक्षा विभाग की जवाबदेही और अनुशासन पर एक बड़ा प्रश्नचिन्ह लगा दिया है।


🧒 बच्चों की प्रतिक्रिया

छात्रों ने इस पर कहा —

“अब मैडम हमारी दोस्त बन गई हैं, पढ़ाई की बजाय मस्ती ज़्यादा होती है। डांट नहीं पड़ती, नाचने को मिल जाता है।”

क्या अब शिक्षक का मतलब सिर्फ दोस्त बनना है या अनुशासन और मार्गदर्शन देना?


⚖️ न जांच, न कार्रवाई — बस लीपा-पोती

इस पूरी घटना पर शिक्षा विभाग की चुप्पी चिंताजनक है।

  • न कोई कारण बताओ नोटिस
  • न चेतावनी
  • न ही कोई जांच कमेटी

जैसे विभाग कह रहा हो —
“ठुमको से ही शिक्षा सुधरेगी!”


🧠 विश्लेषण: गुरु गरिमा की गिरावट

शिक्षकों को भारत में गुरु की तरह पूजनीय माना जाता है। लेकिन जब वही गुरु मंच पर बच्चों के सामने फिल्मी ठुमकों में डूबे मिलें — तो ये केवल नैतिकता नहीं, पूरी व्यवस्था पर सवाल है।
शिक्षा का मंच अब ‘रियलिटी शो’ बनता जा रहा है, और बच्चों का आदर्श चरित्र विघटन की कगार पर है।


📢 Buland Soch News की मांग

🔹 इस घटना की निष्पक्ष और सार्वजनिक जांच हो
🔹 जिम्मेदार शिक्षकों पर कड़ी अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाए
🔹 विद्यालयों में नैतिक शिक्षा और अनुशासन की पुनर्स्थापना हो


📣 Buland Soch की टिप्पणी

शिक्षा व्यवस्था को सिर्फ ‘बोर्ड रिजल्ट’ से नहीं, कक्षा में गुरु की गरिमा से आँका जाना चाहिए
गुरु अगर मंच पर नाचेंगे — तो शिष्य क्या सीखेंगे?

बुलंद सोच न्यूज पूछता है —
“क्या ऐसे घटनाओं से शिक्षक समाज का विश्वास जीत पाएंगे?”

kanchan shivpuriya
kanchan shivpuriyahttp://www.bulandsoch.com
कंचन शिवपुरीया माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता विश्वविद्यालय की मास कम्युनिकेशन की छात्रा हैं। पत्रकारिता के क्षेत्र में सक्रिय रूप से कार्य कर रही हैं और सामाजिक मुद्दों पर स्पष्ट, तथ्यपूर्ण एवं संवेदनशील दृष्टिकोण के लिए जानी जाती हैं।
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