भारी बारिश और घटिया निर्माण की भेंट चढ़ा विकास? चेतकपुरी रोड पर धंसी सड़क ने खोली गुणवत्ता की पोल
📍 स्थान: ग्वालियर, मध्यप्रदेश
🗓 तारीख: 2 अगस्त 2025
✍ By: Buland Soch News Digital Desk
मध्यप्रदेश के ग्वालियर शहर में भारी बारिश के बाद 18 करोड़ की लागत से बनी चेतकपुरी रोड की सड़क महज 15 दिनों में ही धंस गई। इसी धंसी सड़क पर एक ओवरलोडेड ट्रैक्टर ट्रॉली फंस गया, जिससे न सिर्फ ट्रैफिक बाधित हुआ, बल्कि सोशल मीडिया पर नगर निगम की कार्यप्रणाली पर जमकर सवाल उठाए जा रहे हैं।
एक वीडियो में देखा जा सकता है कि कैसे एक ट्रैक्टर ट्रॉली धंसी हुई सड़क के गड्ढे में पूरी तरह से फंस गया। सड़क के नीचे की मिट्टी बह जाने से वहां एक बड़ा और गहरा गड्ढा बन गया है, जिससे साफ संकेत मिलते हैं कि निर्माण में गुणवत्ता का घोर अभाव रहा।
स्थानीय नागरिकों ने मौके पर पहुंचकर नाराजगी जाहिर की। उनका कहना है कि:
“18 करोड़ की लागत से बनी सड़क इतनी जल्दी धंस जाए, यह लापरवाही नहीं बल्कि खुला भ्रष्टाचार है। जिम्मेदार अफसरों और ठेकेदार पर कार्रवाई होनी चाहिए।”
कई लोगों ने नगर निगम और प्रशासन पर आरोप लगाया कि बारिश से पहले ही यदि गुणवत्ता जांच ली जाती, तो यह हादसा रोका जा सकता था।
नगर निगम ने इस सड़क का निर्माण लगभग एक महीने पहले पूरा कराया था। लोक निर्माण विभाग और संबंधित ठेकेदार पर अब सवाल उठ रहे हैं:
- क्या गुणवत्ता जांच सही तरीके से हुई?
- क्या बारिश से पहले ड्रेनेज सिस्टम की व्यवस्था की गई थी?
- क्या ट्रैफिक के भार को ध्यान में रखकर रोड की मजबूती तय की गई?
इंजीनियरिंग विशेषज्ञों का कहना है कि सड़कों के निर्माण में अगर पर्याप्त जल निकासी व्यवस्था न हो, तो बारिश के दौरान मिट्टी बह जाती है और सड़क की नींव कमजोर हो जाती है। साथ ही, ओवरलोडेड ट्रैक्टर का भार भी सड़क के धंसने में अहम कारण रहा होगा।
अब तक नगर निगम की ओर से कोई आधिकारिक बयान सामने नहीं आया है, लेकिन स्थानीय सूत्रों के अनुसार, जांच टीम को मौके पर भेजा गया है और ट्रैक्टर को वहां से हटाने का काम भी प्रारंभ कर दिया गया है।
#GwaliorRoadCollapse ट्रेंड कर रहा है।
जनता ने ट्वीट किया:
“हमारे टैक्स का पैसा इस तरह बर्बाद होता है और जिम्मेदार कोई नहीं!”
कई लोगों ने CAG ऑडिट और जांच की मांग की है।
यह घटना न केवल निर्माण कार्यों की गुणवत्ता पर गंभीर सवाल खड़े करती है, बल्कि प्रशासन की जवाबदेही पर भी प्रश्नचिह्न लगाती है। जब करोड़ों की लागत से बनी सड़क 15 दिनों में ही जवाब दे दे, तो समझना होगा कि विकास सिर्फ कागजों पर नहीं, जमीनी स्तर पर भी पारदर्शी और टिकाऊ होना चाहिए।


