क्लस्टर बम हमला: खौफनाक हथियार का इस्तेमाल!
ईरान ने 19 जून की रात इज़राइल के विभिन्न इलाकों पर दर्जनों बैलिस्टिक मिसाइलें दागीं, जिनमें से कुछ में क्लस्टर म्यूनिशन लगे होने की पुष्टि हुई है।
ये बम 20 से ज़्यादा छोटे उप-बम फैलाते हैं, जो क्षेत्र में 8 किलोमीटर तक तबाही मचाते हैं। यरुशलम, अझोर और ओर येहूदा जैसे इलाकों में इन धमाकों के निशान देखे गए हैं।
- क्लस्टर बमों की खतरनाक विशेषता यह है कि उनमें से कई उपबम तुरंत नहीं फटते, और बाद में नागरिकों के लिए घातक साबित होते हैं।
- इज़राइली सेना ने लोगों को चेतावनी दी है कि वे किसी भी चमकदार या संदिग्ध वस्तु को न छुएं।
📌 महत्वपूर्ण तथ्य:
111 देश क्लस्टर बमों पर प्रतिबंध लगा चुके हैं, लेकिन ईरान, इज़राइल, अमेरिका, चीन और रूस इस संधि का हिस्सा नहीं हैं।
ईरान की चेतावनी और इज़राइल का जवाब
ईरानी रिवॉल्यूशनरी गार्ड्स के प्रमुख ने कहा:
“यह जवाबी कार्रवाई थी। अगर ज़रूरत पड़ी तो और घातक हथियार इस्तेमाल किए जाएंगे।”
वहीं इज़राइल ने तेहरान के अराक न्यूक्लियर रिएक्टर, इस्फहान एयरबेस, और कई सैन्य और रडार ठिकानों पर हमला किया।
इन जवाबी हमलों में ईरान के 40 से ज्यादा जवानों की मौत और कई ठिकानों के नष्ट होने की पुष्टि की गई है।
जंग में वैश्विक ताकतों की एंट्री: ट्रंप बनाम पुतिन-जिनपिंग
🇺🇸 डोनाल्ड ट्रंप का बड़ा संकेत
ट्रंप ने बयान दिया है कि वे दो सप्ताह के भीतर इस पर फैसला करेंगे कि अमेरिका को इज़राइल की ओर से इस जंग में उतरना चाहिए या नहीं।
"अगर ईरान यूरेनियम संवर्धन नहीं रोकता, तो अमेरिका कार्रवाई करेगा।"
🇷🇺 पुतिन का सख्त रुख
रूस ने इज़राइल के हमले की निंदा करते हुए कहा है कि
“हम ईरान को अकेला नहीं छोड़ सकते। क्षेत्रीय संप्रभुता का उल्लंघन बर्दाश्त नहीं।”
🇨🇳 जिनपिंग का खुला समर्थन
चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग और उत्तर कोरिया के किम जोंग उन ने भी ईरान का समर्थन करते हुए चेताया कि
“पश्चिम एशिया में किसी भी सैन्य हस्तक्षेप के गंभीर परिणाम होंगे।”
क्या टूट सकता है ईरान? भीतर से हिल रही है ‘खामेनेई सरकार’
जैसे-जैसे अंतरराष्ट्रीय दबाव और इज़राइली हमले तेज हो रहे हैं, विशेषज्ञों का मानना है कि ईरान के भीतर सामाजिक विघटन की संभावना बढ़ रही है।
📊 ईरान की जनसंख्या संरचना:
- फारसी: 50%
- अज़ेरी: 25%
- कुर्द: 10%
- बलोच: 5%
- अरब: 2%
इनमें से कई समुदाय दशकों से स्वायत्तता की मांग कर रहे हैं।
अगर तेहरान की सत्ता कमजोर हुई, तो ये जातीय समूह सीरिया जैसे गृहयुद्ध की ओर देश को ले जा सकते हैं। हालांकि, फिलहाल न तो इन समूहों में कोई ठोस नेतृत्व है और न ही बाहरी समर्थन।
विश्लेषण: क्या तीसरे विश्वयुद्ध का बीज बोया जा चुका है?
🔍 कारक | 🌐 संभावित असर |
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ईरान का क्लस्टर बम हमला | नागरिकों पर जानलेवा प्रभाव, युद्ध अपराध का मामला |
ट्रंप का बयान | अमेरिका की एंट्री से युद्ध वैश्विक रूप ले सकता है |
पुतिन-जिनपिंग का समर्थन | एक और शीत युद्ध जैसी स्थिति संभव |
ईरान में जातीय तनाव | शासन कमजोर हुआ तो देश का विघटन संभव |
पश्चिमी एशिया की स्थिरता | पूरी क्षेत्रीय व्यवस्था खतरे में |
क्या कूटनीति रोक सकेगी जंग?
जिनेवा, बर्लिन, और मास्को में लगातार मीटिंग्स हो रही हैं। यूरोपीय यूनियन और संयुक्त राष्ट्र युद्धविराम की कोशिश कर रहे हैं। लेकिन जब तक मिसाइलें उड़ रही हैं, बातचीत की कोई ठोस जमीन बनती नहीं दिख रही।