MP Foundation Day 2022:मध्य प्रदेश का कैसे हुआ था गठन जानिए इस खबर में, एक नवंबर को मनाया जाएगा स्थापना दिवस
MP Foundation Day 2022: भोपाल। मध्य प्रदेश एक नवंबर को अपना स्थापना दिवस मनाएगा। क्या आप जानते हैं कि मध्य प्रदेश कैसे बना। इतिहास बताता है कि 26 जनवरी, 1950 को संविधान लागू होने के बाद भारत में सन् 1952 में पहले आम चुनाव हुए। इसके कारण संसद और विधान मण्डल कार्यशील हुए। प्रशासनिक दृष्टि से इन्हें श्रेणियों में विभाजित किया गया था। सन् 1956 में राज्यों के पुनर्गठन के फलस्वरूप 1 नवंबर 1956 को नया राज्य मध्य प्रदेश अस्तित्व में आया।
31 अक्टूबर को मध्य प्रदेश का विभाजन करके एक नवंबर 2000 को देश के 26 वें राज्य के रूप में छत्तीसगढ़ का गठन किया गया। भू वैज्ञानिक दृष्टि से मध्य प्रदेश सर्वाधिक प्राचीनतम गोंडवानालैंड भू संहति का भू भाग है। इसकी सरंचना आद्य, महाकल्प शैल समूह के आसपास हुई मानी जाती है। क्या आप जानते हैं कि मध्य प्रदेश की सीमाएं पांच राज्यों की सीमाओं से मिलती हैं। मध्य प्रदेश के उत्तर में उत्तर प्रदेश, पूर्व में छत्तीसगढ़, दक्षिण में महाराष्ट्र और पश्चिम में गुजरात तथा उत्तर-पश्चिम में राजस्थान राज्य है।
मध्य प्रदेश चूंकि देश के मध्य भाग में स्थित है इसलिये इसे भारत का हृदय प्रदेश भी कहा जाता है। मध्य प्रदेश का जन्म देश को आजादी मिलने के बाद हुआ। 1947 में जब भारत स्वतंत्र हुआ, तो मध्य भारत और विंध्य प्रदेश के नए राज्यों को पुरानी सेंट्रल इंडिया एजेंसी से अलग कर दिया गया। तीन साल बाद 1950 में मध्य प्रांत और बरार का नाम बदलकर मध्य प्रदेश कर दिया गया।
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प्रदेश का पुर्नगठन भाषीय आधार पर किया गया था। इसके घटक राज्य मध्य प्रदेश, मध्य भारत, विन्ध्य प्रदेश एवं भोपाल थे जिनकी अपनी विधानसभाएं थीं। इस राज्य का निर्माण तत्कालीन सीपी एंड बरार, मध्य भारत, विंध्यप्रदेश और भोपाल राज्य को मिलाकर हुआ। इसे पहले मध्य भारत के नाम से भी जाना जाता था।
एक नवंबर 1956 को नए मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल को बनाया गया। पंडित रविशंकर शुक्ल मध्य प्रदेश के प्रथम मुख्यमंत्री और डाक्टर बी पट्टाभिसीतारमैया पहले राज्यपाल बनाए गए। इतिहास बताता है कि मध्य प्रदेश की राजधानी के लिए कई बड़े शहरों में खींचतान चल रही थी। राजधानी के लिए सबसे पहला नाम ग्वालियर और फिर इंदौर का आया था। हालांकि राज्य पुनर्गठन आयोग ने मध्य प्रदेश की राजधानी के लिए जबलपुर के नाम भी सुझाव दिया था, लेकिन बताया जाता है कि भोपाल में भवन ज्यादा थे, जो सरकारी कामकाज के लिए उपयुक्त थे।
इसी कारण भोपाल को मध्य प्रदेश की राजधानी के रूप में चुना गया। भोपाल के नवाब तो भारत से संबंध ही रखना नहीं चाहते थे। वे हैदराबाद के निजाम के साथ मिलकर भारत का विरोध करने लगे थे, लेकिन देश के हृदय स्थल में राष्ट्र विरोधी गतिविधियों को रोकने के लिए भोपाल को ही मध्य प्रदेश की राजधानी बनाने का फैसला किया गया।
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