2023 में हर दिन औसतन 20 रेप केस, राजधानी भोपाल से सबसे ज़्यादा महिलाएं लापता; विपक्ष ने सरकार की चुप्पी पर उठाए सवाल
By Buland Soch News Team | 30 जुलाई 2025
मध्य प्रदेश में महिला सुरक्षा को लेकर एक बार फिर गंभीर सवाल उठ खड़े हुए हैं। हाल ही में विधानसभा में पेश आंकड़ों ने चौंकाने वाला खुलासा किया है — साल 2021 की तुलना में 2023 में बलात्कार के मामलों में 33% की वृद्धि हुई है। जहां पहले औसतन रोज़ 15 बलात्कार होते थे, अब ये आंकड़ा 20 प्रतिदिन तक पहुंच गया है। इसके साथ ही राजधानी भोपाल से 688 महिलाएं आज तक लापता हैं, जिनका कोई सुराग तक नहीं मिला।
रेप केस में चौंकाने वाली बढ़ोतरी:
- साल 2021 में हर दिन औसतन 15 रेप केस दर्ज हुए थे।
- साल 2023 में यह संख्या बढ़कर 20 प्रतिदिन हो गई।
- यह 33% की वृद्धि दर्शाता है।
- ये आंकड़े दर्ज मामलों पर आधारित हैं, जबकि ज़मीनी हकीकत और भी भयावह हो सकती है।
भोपाल समेत कई ज़िले लापता महिलाओं से त्रस्त:
विधानसभा में पेश किए गए आंकड़ों के मुताबिक, कुल 6035 महिलाएं प्रदेश भर से लापता हैं। इनमें से एक भी महिला का अब तक पता नहीं चल पाया है। टॉप 10 ज़िलों की स्थिति:
ज़िला | लापता महिलाएं |
---|---|
भोपाल | 688 |
इंदौर | 688 |
जबलपुर | 679 |
ग्वालियर | 568 |
उज्जैन | 552 |
सागर | 504 |
रीवा | 500 |
शहडोल | 478 |
होशंगाबाद | 370 |
चंबल संभाग | 203 |
विधानसभा में पेश किए गए आंकड़ों के मुताबिक, कुल 6035 महिलाएं प्रदेश भर से लापता हैं। इनमें से एक भी महिला का अब तक पता नहीं चल पाया है। टॉप 10 ज़िलों की स्थिति:
ज़िला | लापता महिलाएं |
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भोपाल | 688 |
इंदौर | 688 |
जबलपुर | 679 |
ग्वालियर | 568 |
उज्जैन | 552 |
सागर | 504 |
रीवा | 500 |
शहडोल | 478 |
होशंगाबाद | 370 |
चंबल संभाग | 203 |
महिला अपराध के कुल आंकड़े भी डरावने:
- साल 2023 में कुल 59,365 आपराधिक मामले दर्ज हुए।
- इनमें से 48,000 से ज़्यादा मामले महिलाओं के खिलाफ अपराध से जुड़े हैं।
- यानी हर दिन औसतन 130 महिलाएं किसी न किसी अपराध की शिकार हो रही हैं।
राजनीतिक प्रतिक्रिया और आरोप-प्रत्यारोप:
विपक्ष ने सरकार से तीखे सवाल पूछे —
“क्या अब अमित शाह के सामने मध्यप्रदेश की कानून व्यवस्था दिखाने लायक नहीं रही?”
इसके जवाब में सरकार ने कहा कि “जो पुलिसवाले सो रहे थे, उन्हें अब ड्यूटी पर लगा दिया गया है”।
लेकिन ज़मीनी हकीकत यही कहती है कि
या तो पुलिस प्रशासन का सिस्टम नाकाम है, या फिर सरकार इस पर आंखें मूंदे बैठी है।
महिलाओं के खिलाफ बढ़ते अपराध, लापता बेटियाँ और जवाबदेही से भागती सरकार — ये तीनों मिलकर मध्य प्रदेश में महिला सुरक्षा पर गंभीर संकट का संकेत दे रहे हैं।
कभी “बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ” का नारा देने वाली सरकार आज खुद महिला सुरक्षा पर घिरती दिख रही है।
सवाल यही है:
“महिलाएं खुद को कब सुरक्षित महसूस करेंगी?”
और कब सिस्टम सिर्फ आकड़ों से नहीं, ज़मीन पर बदलाव से जवाब देगा?