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अवतरण दिवस विशेष पर (मध्यप्रदेश में अवतरित हुए कवि ,पत्रकार, देश की शान अटल बिहारी वाजपेई जी)

अपने वक्तव्य से जादू चलाने वाले अपने उद्बोधन से सभी को आकर्षित करने वाले महान कवि पत्रकार भारत रत्न से सम्मानित पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी जी का जन्मइसी मध्यप्रदेश के धरा के ग्वालियर शहर में 25 दिसंबर, 1924 को हुआ था।इनके पिता कृष्ण बिहारी वाजपेयी शिक्षक थे। कविता लिखने का रखते थे शौकसादा जीवन

अवतरण दिवस विशेष पर (मध्यप्रदेश में अवतरित हुए कवि ,पत्रकार, देश की शान अटल बिहारी वाजपेई जी)
अवतरण दिवस विशेष पर (मध्यप्रदेश में अवतरित हुए कवि ,पत्रकार, देश की शान अटल बिहारी वाजपेई जी)

अपने वक्तव्य से जादू चलाने वाले अपने उद्बोधन से सभी को आकर्षित करने वाले महान कवि पत्रकार भारत रत्न से सम्मानित पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी जी का जन्म
इसी मध्यप्रदेश के धरा के ग्वालियर शहर में 25 दिसंबर, 1924 को हुआ था।
इनके पिता कृष्ण बिहारी वाजपेयी शिक्षक थे।

कविता लिखने का रखते थे शौक
सादा जीवन उच्च विचार रखने वाले बाजपेयी जी ने कई कविताएं लिखी हैं जैसे “मेरी इक्यावन कविताएं “, “मृत्यु या हत्या”, “संसद में तीन दशक ” आदि।
इनके कवि होने का प्रभाव संसद में भी पड़ता था , कम शब्दों में तार्किक बाते कहना इस काम को कविताएं ही आसान करती थी।
पत्रकार अटल बिहारी वाजपेयी जी

राजनीति में आने से पहले अटल बिहारी वाजपेयी पत्रकार थे। वे लखनऊ से प्रकाशित राष्ट्रधर्म पत्रिका के पहले संपादक थे।
राष्ट्रधर्म का संपादकीय लिखने से लेकर सुबह अखबार बांटने का काम भी अटल ने किया। कंपोजिंग और मशीन चलाने के बाद साइकिल पर गट्ठर बांधकर लोगों के घरों तक पहुंचाते थे।चप्पल के नाम पर लिए पांच रुपये
आर्थिक स्थिति ऐसी थी कि एक बार अटल ने कार्यालय प्रमुख जगदंबा प्रसाद वर्मा जिनको आदर से सब दादा कहते थे, उनसे पांच रुपये मांगे। दादा ने पूछा क्या करोगे? अटल ने कहा देख नहीं रहे चप्पल टूटी पड़ी है एक महीने से। दादा ने बेमन से पांच रुपये अटल को दिए। अटल ने वचनेश से कहा चलो जरा। वचनेश ने कहा किधर। अटल ने कहा अरे चलो तो। बाहर निकलकर दोनों ने भुट्टे खाए और लस्सी पी। वचनेश ने कहा कि चप्पल का क्या होगा। अटल ने हंसते हुए कहा कि अरे इतने दिनों से काम चला रहे थे, कुछ दिन और चला लेंगे।
दैनिक स्वदेश ,साप्ताहिक चेतना का भी संपादन किया।

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अटल बिहारी वाजपेयी का राजनितिक जीवन/ सफर

सन् 1942 में अटल बिहारी वाजपेयी जी ने अपनी राजनीतिक जीवन के सफर शुरू किया था। जैसा की आप सभी को पता होगा उस समय भारत छोड़ो आंदोलन जोर शोर से चल रहा था और इसी दौरान उनके भाई को इस आंदोलन में गिरफ्तार कर लिया गया था। इनके भाई को 23 दिनों के लिए जेल कारावास में रहना पड़ा था, उसके बाद उन्हें रिहा कर दिया गया था। उसी समय उनकी मुलाकात श्यामा प्रसाद मुखर्जी से हुई और उनके आग्रह करने पर उन्होंने भारतीय जनसंघ पार्टी को ज्वाइन कर लिया। भारतीय जनसंघ पार्टी का गठन सन् 1951 में हुआ था।
इसके बाद सन् 1957 में जनसंघ पार्टी द्वारा अटल बिहारी वाजपेयी जी को अपने उम्मीदवार के तौर पर उत्तर प्रदेश जिले के बलरामपुर लोकसभा सीट से इलेक्शन के लिए टिकट दी गयी और अटल जी ने लोकसभा चुनाव में अपनी पहली जीत दर्ज की। इसके बाद उनकी उपलब्धि को देखते हुए उन्हें पार्टी का अध्यक्ष बनाया गया। अटल जी 2 साल तक मोरारजी देसाई कि सरकार में वर्ष 1977 से 1979 तक विदेश मंत्री रहे जिससे हमारे देश की प्रति विदेशों में एक विश्वासी देश की पृष्ठभूमि तैयार करने में उनका बहुत योगदान रहा।
इसके बाद सन् 1980 में अटल बिहारी वाजपेयी जी ने अपनी एक पार्टी का गठन किया जो थी भारतीय जनता पार्टी और 06 अप्रैल 1980 को अध्यक्ष के रूप में कार्यभार संभाला। लोकसभा चुनाव सन् 1996 में भारतीय जनता पार्टी का देश भर में पहला विजय चुनाव रहा। इस चुनाव से बीजेपी ने देश में पहली बार अपनी सरकार को स्थापित किया और मात्र 13 दिनों के लिए 06 मई से 21 जून 1996 तक देश के दसवें प्रधानमंत्री के रूप में अटल जी ने शपथ ली।
13 दिनों तक ही सरकार चलने के बाद अटल जी की सरकार गिर गई और फिर सन् 1988 में सरकार गिरने के 2 साल बाद पार्टी सत्ता में आई और 19 मार्च 1998 में अटल जी ने दूसरी बार प्रधानमंत्री के रूप में शपथ ली और फिर 10 अक्टूबर 1999 को तीसरी बार प्रधानमंत्री पद के लिए शपथ ली।

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प्रधानमंत्री के कार्यकाल में अटल जी के द्वारा किए गए प्रमुख कार्य / मुख्य उपलब्धियां
भारत को परमाणु शक्ति संपन्न देश बनाया
सबसे पहले अटल बिहारी वाजपेयी जी ने प्रधानमंत्री रहते हुए राजस्थान के पोखरण में सन् 1998 में 11 मई और 13 मई को पांच भूमिगत परमाणु परीक्षण विस्फोट करके हमारे देश को परमाणु शक्ति संपन्न देश बनाया। यह एक साहसिक कदम था, जिससे हमारे देश को अलग ही पहचान मिली। भारत देश का यह परमाणु परिक्षण इतनी गोपनीयता से किया गया था की पश्चिमी देशों की आधुनिक तकनीक भी नहीं पकड़ पायी थी। परमाणु परिक्षण के बाद कुछ देशों ने अनेक प्रतिबंध भी लगये परन्तु अटल जी ने इन सब चीज़ों की परवाह न करते हुए आगे बढ़े और हमारे देश को नई आर्थिक विकास की ऊँचाईयों तक ले गए।

पाकिस्तान के साथ संबंधों को सुधारने की पहल की
अटल जी ने 19 फरवरी 1999 में दिल्ली से लाहौर तक की बस सेवा शुरू की, जिसे सदा-ए-सरहद का नाम दिया गया। बस सेवा शुरू कर के दोनों देश के बीच आपसी रिश्ते में सुधार लाने की पहल की और उस समय उन्होंने पाकिस्तान का दौरा भी किया और वहां के तत्कालीन प्रधानमंत्री नवाज़ सरीफ से मुलाकात भी की।

कारगिल युद्ध (1999)
कुछ समय बाद पाकिस्तानी सेना प्रमुख परवेज़ मुसर्रफ की शह पर पाकिस्तानी सेना और आतंकवादियों द्वारा कारगिल क्षेत्र में घुसपैठ शुरू कर दी और कई पहाड़ की चोटियों पर अपना कब्ज़ा कर लिया। तब जवाबी कार्यवाही में अटल बिहारी जी की सरकार ने ठोस कदम उठाएं और भारतीय सेना को खुला समर्थन दिया। जिससे कि हमारी सेना ने पाकिस्तानी सैनिकों को खदेड़ दिया और उन्हें धूल चटा दी।

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