रीवा, मध्यप्रदेश:
रीवा विकासखंड की विकासखंड शिक्षा अधिकारी (बीईओ) आकांक्षा सोनी अपना अतिरिक्त प्रभार संभाले हुए कुछ ही समय में विवादों के घेरे में आ गई हैं। शिक्षकों द्वारा दर्ज शिकायतों में बताया गया है कि विभाग में उनके रवैये ने चौतरफा भय, अपमान और अव्यवस्था का माहौल बना दिया है।
तनख्वाह में देरी व बैंक रिकॉर्ड की समस्या
बीईओ बनने के बाद सोनी को डीडीओ (ड्रॉइंग एवं डिस्बर्सिंग ऑफिसर) का अतिरिक्त कार्य भार दिया गया। इससे विभाग में शिक्षकों की तनख्वाह में लगातार देरी, चेक बाउंस और बैंक रिकॉर्ड खराब होने की स्थिति बनी, जिससे कई शिक्षक एमआई चुकाने में असमर्थ हो गए और मानसिक तनाव का सामना कर रहे हैं। जब उन्होंने समस्या उठाने की कोशिश की, तो उनका सामना निषेधात्मक और अपमानजनक जवाबों से हुआ—“क्या तेरे जीवन की जिम्मेदारी मैंने ली है?” से लेकर शर्मनाक गालियों तक का इस्तेमाल किया गया।
छुआछूत और गेट पर घंटों इंतज़ार
कुछ शिक्षकों ने बताया कि बीईओ सोनी अपने दिग्गज कर्मचारियों को गहराई से तरजीह देती हैं, जबकि अन्य से छुआछूत जैसा रूख अपनाती हैं।
शिक्षकों को गेट पर घंटों इंतज़ार कराया जाता है, और किसी भी सामान्य शिकायत पर राग-रंजिश से गाली-गलौज शुरू हो जाती है।
एनओसी लिए आए सेवानिवृत्त शिक्षक पर गालियों की बौछार
हाल ही में, उपचार हेतु एनओसी लेने आए सेवानिवृत्त शिक्षक मनोज पांडेय को “चुतिया”, “कुत्ता” जैसे शब्दों से गरियाया गया, जब उन्होंने अपनी पत्नी की चिकित्सा सुविधा हेतु बीईओ दफ्तर का रूख किया। उससे 8 दिनों तक उनका एनओसी जारी नहीं हुआ।
झूठी शिकायतों के ज़रिये शिक्षकों का भय
जब कोई शिक्षक गलत तरीकों पर सवाल उठाता है, बीईओ सोनी झूठी शिकायतें डालती हैं—जैसे कि “अभद्र व्यवहार” आदि—जिससे शिक्षकों को प्रशासनिक प्रताड़ना और मानसिक तनाव का डरा जाता है।
सेवानिवृत्त-सस्पेंडेड कर्मचारियों पर निर्भरता
सूत्र बताते हैं कि बीईओ छोटे निर्णय भी स्वयं नहीं लेती, बल्कि सेवानिवृत्त या सस्पेंड कर्मचारियों से सलाह लेकर छोटे-मोटे काम करवाती हैं। इससे प्रशासकीय स्पष्टता और जवाबदेही खो चुकी है।
भ्रष्टाचार के आरोप: ₹65,000 का फर्जी गाड़ी किराया
एक किंतु और गंभीर मामला सामने आया है—जहां बीईओ द्वारा ₹65,000 का किराया भुगतान किया गया, पर न तो वह गाड़ी काम पर गई, न उसका रजिस्ट्रेशन हुआ था, और न किसी तरह की निविदा प्रक्रिया पूरी की गई थी। यह भुगतान उनके डी.डी.ओ. पावर के तहत किया गया—जिससे प्रशासन पर भ्रष्टाचार का गंभीर आरोप लगा है।
एमपीपीएससी चयन के बल पर धमकाना
बीईओ अक्सर शिक्षकों को धमकाती हैं—“मैं एमपीपीएससी पास हूं”—जैसे कि इससे उन्हें निर्देश देने का अधिकार प्राप्त हो गया हो। शिक्षकों ने पूछा—क्या चयन का अधिकार दुर्व्यवहार की छूट देता है?
लिपिक गोविंद साकेत की शिकायत व तबादला
पूर्व लिपिक गोविंद साकेत ने आकांक्षा सोनी के खिलाफ आजाक थाने में शिकायत दर्ज की थी। इसके जवाब में उनकी तत्कालपण में तबादला कर दिया गया—जो पद-शक्ति का प्रत्यक्ष और राजनीतिक दुरुपयोग प्रतीत होता है।
🔎 स्थिति का विश्लेषण व निष्कर्ष
रीवा शिक्षा विभाग वर्तमान में अव्यवस्था, अवमानना और भय के संजाल में फँसा हुआ है।
जहां शिक्षा का उद्देश्य बच्चों का विकास होना चाहिए, वहां आज शिक्षक मानसिक रूप से टूट रहे हैं, और छात्रों को इसका प्रत्यक्ष असर भुगतना पड़ रहा है।
शासन को तत्काल हस्तक्षेप करना चाहिए—आकांक्षा सोनी को डीडीओ का अतिरिक्त प्रभार वापस लेना चाहिए, और निष्पक्ष जांच के लिए कमेटी गठित करनी चाहिए। सत्य सामने आना ज़रूरी है, ताकि शिक्षा विभाग में नियमानुसार व्यवहार, मानव मर्यादा, और उत्तरदायित्व बहाल हो सके।
यदि इसी तरह दमन और गालियों की संस्कृति चलेगी, तो रीवा शिक्षा विभाग विकास की बजाय पतन की राह पर अग्रसर रहेगा।
Buland Soch News की राय में,
“शिक्षा तभी मजबूत होती है जब उस विभाग में सम्मान भी हो, न कि डर।”