रिपोर्ट: Buland Soch संवाददाता |
स्रोत: Republic World, Times of India, NDTV, Economic Times (Infra)
तारीख: 10 जुलाई 2025
इंदौर, 10 जुलाई 2025 — मध्य प्रदेश के इंदौर में निर्माणाधीन एक रेलवे ओवरब्रिज (ROB) इन दिनों सुर्खियों में है, लेकिन वजह इसकी उपयोगिता नहीं बल्कि उसका अजीबोगरीब डिज़ाइन है। लक्ष्मीबाई नगर क्षेत्र में बनाए जा रहे इस ओवरब्रिज का आकार ‘Z’ जैसा है, जिसमें दो तीखे 90 डिग्री के मोड़ शामिल हैं। सोशल मीडिया पर इस ब्रिज का वीडियो वायरल होने के बाद इसे लेकर नागरिकों, विशेषज्ञों और जनप्रतिनिधियों ने गंभीर सवाल उठाए हैं। आम जनता जहां इसे ‘स्मार्ट सिटी का स्मार्ट डिज़ाइन’ नहीं, बल्कि ‘डिज़ाइन की भूल’ मान रही है, वहीं ट्रैफिक से जुड़े विशेषज्ञ इसे भविष्य में दुर्घटनाओं का कारण बता रहे हैं।
करीब 18 करोड़ रुपये की लागत से बन रहा यह ROB पॉलीग्राउंड, भगीरथपुरा और MR-4 क्षेत्र को जोड़ने का काम करेगा। लेकिन इसके ज़िगज़ैग आकार ने नागरिकों को हैरानी में डाल दिया है। लोगों का कहना है कि ब्रिज के मोड़ इतने तीखे हैं कि भारी वाहन, विशेषकर ट्रक और बसें, इन्हें पार करते समय पलट भी सकते हैं या फिर फंस सकते हैं। ट्रक यूनियन के सदस्यों ने इस डिज़ाइन को ‘खतरनाक’ बताते हुए चेतावनी दी है कि यदि इसमें संशोधन नहीं हुआ, तो भविष्य में जान-माल का नुकसान हो सकता है। इंदौर के सांसद शंकर लालवानी ने इस मुद्दे को गंभीरता से लिया है और प्रदेश के सार्वजनिक निर्माण मंत्री को पत्र लिखकर इस डिज़ाइन की तत्काल समीक्षा और सुधार की मांग की है।
इस मामले में सार्वजनिक निर्माण विभाग (PWD) की कार्यपालन यंत्री गुरमीज कौर भाटिया ने सफाई देते हुए कहा है कि ब्रिज का डिज़ाइन भारतीय सड़क कांग्रेस (IRC) के मानकों के अनुसार है। उन्होंने दावा किया कि ब्रिज के दोनों मोड़ों का रेडियस 20 मीटर है, जबकि नियमों के अनुसार न्यूनतम रेडियस 15 मीटर होना चाहिए। इसके अलावा डिज़ाइन स्पीड 20 किमी/घंटा रखी गई है और सुपर-एलिवेशन जैसी आवश्यक बातें भी ध्यान में रखी गई हैं। फिर भी विभाग ने जनता की चिंताओं को देखते हुए डिज़ाइन की समीक्षा की प्रक्रिया शुरू कर दी है और जरूरत पड़ी तो उसमें सुधार भी किया जाएगा।
यह पहला मामला नहीं है जब किसी शहर में ऐसा ब्रिज बनाकर विवाद खड़ा हुआ हो। इससे पहले राजधानी भोपाल के ऐशबाग ROB में भी 90 डिग्री मोड़ को लेकर जनता में भारी असंतोष देखने को मिला था। बाद में उस ब्रिज को चौड़ा करके समस्या का आंशिक समाधान किया गया। अब वैसी ही संरचना इंदौर में दोहराई जा रही है, जिससे स्मार्ट सिटी की योजना और प्लानिंग पर सवाल उठ रहे हैं। ट्रैफिक और अर्बन प्लानिंग से जुड़े विशेषज्ञों का कहना है कि ऐसे प्रोजेक्ट्स को लागू करने से पहले ‘ट्रैफिक इम्पैक्ट असेसमेंट’, ‘पब्लिक कंसल्टेशन’ और ‘सेफ्टी ऑडिट’ जैसी प्रक्रियाएं अनिवार्य होनी चाहिए थीं।
जनता का गुस्सा सिर्फ डिज़ाइन को लेकर नहीं, बल्कि उनकी अनदेखी पर भी है। स्थानीय नागरिकों का कहना है कि शहर की बढ़ती आबादी और ट्रैफिक दबाव को देखते हुए, सरल और सुरक्षित इन्फ्रास्ट्रक्चर की ज़रूरत है, न कि ऐसा डिज़ाइन जो सड़क को बाधा और नागरिकों को परेशानी में डाले। सवाल यह भी उठ रहा है कि क्या ब्रिज का यह डिज़ाइन केवल कागज़ पर बना और ज़मीन पर उसकी व्यावहारिकता को नजरअंदाज किया गया?
Buland Soch News की पड़ताल में साफ है कि इंदौर का Z-आकार ब्रिज केवल एक इंजीनियरिंग निर्णय नहीं, बल्कि शहरी नियोजन की पारदर्शिता, सार्वजनिक सुरक्षा और जवाबदेही का मामला बन चुका है। एक ओर जहां सरकार स्मार्ट सिटी के नाम पर करोड़ों रुपये खर्च कर रही है, वहीं जनता अब पूछ रही है — “क्या स्मार्ट सिटी का मतलब है — स्मार्ट गलतियाँ?”
इस पुल की गुत्थी अब निर्माण से कहीं अधिक गहरी होती जा रही है। क्या डिज़ाइन बदलेगा? क्या सुरक्षा उपाय लिए जाएंगे? या फिर जनता को एक बार फिर ऐसे मोड़ दिए जाएंगे, जिनसे बचना उनके बस में न हो?
Buland Soch News इस पूरी प्रक्रिया पर निगरानी बनाए रखेगा और हर अपडेट आपको निष्पक्षता के साथ देता रहेगा — क्योंकि हमें सिर्फ पुल की नहीं, सोच की दिशा भी सीधी करनी है।