बेंगलुरु से Buland Soch रिपोर्ट | 5 जून 2025
बेंगलुरु में हाल ही में आयोजित एक खेल पुरस्कार समारोह में मची भगदड़ पर अब कानूनी कार्रवाई शुरू हो गई है। कर्नाटक उच्च न्यायालय ने इस पूरे मामले का संज्ञान लेते हुए राज्य सरकार को नोटिस जारी किया है और 10 जून को जवाब दाखिल करने के निर्देश दिए हैं।
याचिका में क्या कहा गया है?
इस मामले में जनहित याचिका दाखिल करते हुए याचिकाकर्ता ने कहा:
“जो खिलाड़ी देश के लिए कभी नहीं खेले, उन्हें किस आधार पर सरकार ने पुरस्कार देकर सम्मानित किया? क्या यह सिर्फ सस्ती लोकप्रियता पाने और अपने राजनैतिक लाभ के लिए किया गया आयोजन था?”
याचिका में यह भी आरोप लगाया गया कि इस समारोह में भारी अव्यवस्था और अव्यवस्थित भीड़ नियंत्रण के कारण कई लोग घायल हुए। एक बड़ा हादसा होने से टल गया, लेकिन आयोजन की लापरवाही सामने आ गई।
क्या हुआ था समारोह में?
- यह आयोजन बेंगलुरु के एक बड़े स्टेडियम में किया गया था जहाँ लगभग 15,000 लोग जुटे।
- प्रशासन द्वारा आमंत्रित खिलाड़ियों की सूची में ऐसे नाम भी थे जिन्होंने कभी राज्य या देश का प्रतिनिधित्व नहीं किया था।
- अव्यवस्था इतनी थी कि एंट्री गेट पर धक्का-मुक्की शुरू हो गई।
- दर्जनों बुजुर्ग, महिलाएं और युवा जमीन पर गिर पड़े।
- कोई प्राथमिक चिकित्सा सुविधा भी उपलब्ध नहीं थी।
हाईकोर्ट ने क्या निर्देश दिए?
कर्नाटक उच्च न्यायालय ने राज्य सरकार, युवा एवं खेल मंत्रालय, और आयोजन समिति को यह जानकारी देने का निर्देश दिया है:
- आयोजन के लिए दी गई अनुमति की प्रति
- आमंत्रित खिलाड़ियों की सूची
- सुरक्षा और भीड़ नियंत्रण की पूर्व योजना
- बजट और व्यय की जानकारी
अगली सुनवाई की तारीख: 10 जून 2025 तय की गई है।
क्या सिर्फ मंच और प्रचार ही था मकसद?
इस आयोजन को लेकर यह भी आरोप लगे हैं कि इसे एक राजनीतिक शो की तरह प्रस्तुत किया गया:
- असली खिलाड़ियों की बजाय राजनीतिक रूप से जुड़े लोगों को मंच पर बुलाया गया।
- मंच पर मौजूद कुछ अतिथियों के खिलाफ पहले से विवाद चल रहे हैं।
- आयोजन में “खेल” पीछे और “प्रचार” आगे था।
जनता का गुस्सा और सोशल मीडिया की प्रतिक्रिया
सोशल मीडिया पर लोगों ने इस आयोजन की आलोचना करते हुए सरकार से सवाल किए हैं:
- “खेल प्रतिभा का अपमान क्यों?”
- “क्या पुरस्कार अब राजनीतिक संबंधों से मिलेंगे?”
- “करदाताओं के पैसे का क्या हिसाब है?”
🧾 विशेषज्ञों की राय
पूर्व खेल अधिकारी और वरिष्ठ पत्रकारों का कहना है कि:
“सरकार को चाहिए कि वह पुरस्कार चयन प्रक्रिया को पारदर्शी बनाए और ऐसे आयोजनों में सुरक्षा मानकों की सख्ती से पालना करे।”
🧿 Buland Soch की टिप्पणी:
जब खेल का सम्मान राजनीतिक मंच बन जाए,
तो सम्मान भीड़ में कुचला जाता है।
यह सिर्फ एक भगदड़ नहीं थी, यह व्यवस्था की भगदड़ थी — जिसमें न योग्यता थी, न ईमानदारी, न संवेदना। अब देखना यह है कि 10 जून को अदालत में सरकार क्या जवाब देती है।