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ईरान-इजरायल टकराव: जंग की आग, इंसानियत की आह

🌍 विशेष रिपोर्ट | बुलंद सोच न्यूज़
📅 तारीख: 14 जून 2025
🖋 लेखक: बुलंद सोच डेस्क

13 जून 2025 को पश्चिम एशिया में हालात उस मोड़ पर पहुंच गए, जहां से पीछे लौटना अब बेहद मुश्किल नजर आ रहा है। इजरायल द्वारा चलाए गए ऑपरेशन “राइजिंग लायन” ने पूरी दुनिया को हिलाकर रख दिया है। इस हमले में ईरान के तीन प्रमुख परमाणु ठिकाने—इस्फहान, फोर्डो और नाटांज़—को निशाना बनाया गया। इसमें ईरान के टॉप रिवॉल्यूशनरी गार्ड्स कमांडर सहित दर्जनों सैन्य अधिकारियों की मौत हो गई और 320 से अधिक लोग घायल हुए हैं।

ईरान का जवाब—ऑपरेशन “ट्रू प्रॉमिस III

हमले के महज कुछ घंटों के भीतर ईरान ने अपने जवाबी एक्शन में 295 बैलिस्टिक मिसाइलें और डजन भर आत्मघाती ड्रोन इजरायल की ओर दागे। तेल अवीव, जेरूसलम और बेर्शेवा जैसे शहरों में जबरदस्त धमाके हुए। अब तक की पुष्टि के अनुसार, कम से कम 3 लोगों की जान गई है और दर्जनों घायल हुए हैं। इजरायल की आयरन डोम मिसाइल रक्षा प्रणाली ने हालांकि कई मिसाइलों को रोका, फिर भी कुछ हमले शहरों तक पहुंचे।


महत्वपूर्ण बिंदु:

  • पहली बार इजरायल ने खुले तौर पर ईरान के अंदर सक्रिय परमाणु स्थलों को टारगेट किया।
  • ईरान का दावा है कि हमला अंतरराष्ट्रीय संधियों और नियमों का उल्लंघन है।
  • अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस, रूस और संयुक्त राष्ट्र ने दोनों देशों से संयम बरतने की अपील की है।
  • लेबनान का हिज़्बुल्लाह और यमन के हूथी विद्रोही खुले तौर पर ईरान का समर्थन कर सकते हैं, जिससे यह संघर्ष क्षेत्रीय से वैश्विक युद्ध में बदल सकता है।
  • तेल की कीमतें अंतरराष्ट्रीय बाजार में 9% तक उछली हैं, जिससे पूरी दुनिया में आर्थिक हलचल पैदा हो गई है।
  • इजरायल में स्कूल, कॉलेज, और सरकारी दफ्तर बंद कर दिए गए हैं।
  • ईरान ने UN सुरक्षा परिषद की आपात बैठक की मांग की है।

🕊 इंसानियत पर वार

इस संघर्ष का सबसे बड़ा नुकसान आम नागरिकों को हो रहा है।
तेहरान के अस्पतालों में जगह नहीं बची।
जेरूसलम में बंकरों में छिपे परिवार भूख, डर और अंधेरे से जूझ रहे हैं।
एक घायल बच्चे की तस्वीर, जो एयर स्ट्राइक में अपने माता-पिता को खो चुका है, मानवता की हार का आईना है।


🌐 सवाल जो उठ रहे हैं:

  • क्या यह हमला ईरान के परमाणु कार्यक्रम को पूरी तरह रोक पाएगा या ये एक और दीर्घकालिक युद्ध की शुरुआत है?
  • क्या ये जंग सिर्फ हथियारों की है या भविष्य की पीढ़ियों की मानसिकता को भी प्रभावित करेगी?

📢 बुलंद सोच का नज़रिया

हम किसी पक्ष में नहीं, हम इंसानियत के पक्ष में हैं।
यह युद्ध सिर्फ मिसाइलों और बमों का नहीं, यह संवेदनाओं, आशाओं और मासूम जिंदगियों का युद्ध है।

kanchan shivpuriya
kanchan shivpuriyahttp://www.bulandsoch.com
कंचन शिवपुरीया माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता विश्वविद्यालय की मास कम्युनिकेशन की छात्रा हैं। पत्रकारिता के क्षेत्र में सक्रिय रूप से कार्य कर रही हैं और सामाजिक मुद्दों पर स्पष्ट, तथ्यपूर्ण एवं संवेदनशील दृष्टिकोण के लिए जानी जाती हैं।
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