Home MP News (मध्यप्रदेश समाचार) MP लोकायुक्त पर सवाल! 90% भ्रष्टाचार शिकायतें जांच से पहले बंद, 5...

MP लोकायुक्त पर सवाल! 90% भ्रष्टाचार शिकायतें जांच से पहले बंद, 5 साल में किसी IAS पर कार्रवाई नहीं

0
13
भोपाल स्थित लोकायुक्त कार्यालय परिसर का मुख्य द्वार, जहां भ्रष्टाचार के मामलों की जांच की जाती है।
भोपाल का लोकायुक्त कार्यालय — जहाँ हर साल हजारों शिकायतें पहुंचती हैं, लेकिन ज्यादातर बिना जांच के ही बंद कर दी जाती हैं।

2018 से 2025 तक 35 हजार से ज़्यादा शिकायतें लोकायुक्त को मिलीं, लेकिन जांच सिर्फ 10% मामलों में ही शुरू हो पाई; राज्य सरकार के आंकड़ों ने खोली फाइलबंदी की हकीकत

भोपाल से सामने आई एक चौंकाने वाली रिपोर्ट ने मध्यप्रदेश की भ्रष्टाचार विरोधी एजेंसी लोकायुक्त की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। विधानसभा में सरकार द्वारा पेश आंकड़ों के अनुसार, पिछले 7 वर्षों में लोकायुक्त को मिली 90% शिकायतों पर जांच शुरू ही नहीं हुई। इन शिकायतों को “ठोस आधार न मिलने” का हवाला देकर नस्तीबद्ध यानी बंद कर दिया गया।

35,434 में से सिर्फ 3419 मामलों में जांच:

  • वर्ष 2018 से 2025 के बीच लोकायुक्त को कुल 35,434 शिकायतें प्राप्त हुईं।
  • इनमें से मात्र 3419 मामलों में ही जांच शुरू की गई।
  • लगभग 31,000 से अधिक शिकायतों को जांच से पहले ही फाइलबंद कर दिया गया।

सरकार ने अपने जवाब में कहा कि इन मामलों में “कोई ठोस आधार नहीं मिला”, इसलिए जांच शुरू नहीं की गई।

शिकायतें नस्तीबद्ध करने का सालाना डेटा:

वर्षकुल शिकायतेंनस्तीबद्ध शिकायतें
2023-2445834325
2024-2542253579

यह दर्शाता है कि हर साल 90% से अधिक शिकायतें जांच के पहले ही खारिज कर दी जा रही हैं।

भ्रष्टाचार पर कार्रवाई के नाम पर आंकड़े:

  • रंगेहाथ पकड़ने (Trap) की कार्रवाई में 2024 की तुलना में 8.69% की वृद्धि हुई।
  • लेकिन अनुपातहीन संपत्ति के मामलों में 16.67% की गिरावट दर्ज की गई:
    • 2024 में ऐसे 15 मामले दर्ज हुए थे।
    • 2025 में अब तक सिर्फ 5 मामले ही सामने आए हैं।

  • पद के दुरुपयोग के मामलों में भी गिरावट:
    • 2024 में 237 प्रकरण दर्ज, जबकि
    • 2025 में अब तक सिर्फ 129 प्रकरण ही सामने आए हैं।

IAS अधिकारियों पर कार्रवाई का हाल:

  • कांग्रेस विधायक महेश परमार के सवाल के जवाब में सरकार ने माना:
    • पिछले 5 वर्षों में किसी भी IAS अधिकारी पर ट्रैप की कार्रवाई नहीं हुई
    • हालांकि, राज्य सेवा (State Service) के 18 अधिकारियों पर कार्रवाई जरूर हुई।

EOW (आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो) का रिकॉर्ड:

  • पिछले 5 वर्षों में 472 केस दर्ज किए गए।
  • इनमें से सिर्फ 82 प्रकरणों का निपटारा हुआ है।
  • 383 मामले अब भी लंबित हैं।

इन आंकड़ों से स्पष्ट है कि जहां एक ओर लोकायुक्त में हजारों शिकायतें दर्ज हो रही हैं, वहीं उन पर कार्रवाई ना होना जनता में अविश्वास और निराशा का कारण बन रहा है।

आम नागरिक जो भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज़ उठाते हैं, उन्हें न्याय की उम्मीद नहीं बल्कि फाइलबंदी का जवाब मिलता है।

भले ही ट्रैप कार्रवाई की संख्या बढ़ रही हो, लेकिन लोकायुक्त की धार कुंद पड़ती नजर आ रही है
हर 10 में से 9 शिकायतों का जांच से पहले ही खारिज हो जाना इस बात का संकेत है कि सिस्टम में पारदर्शिता की भारी कमी है।

जब IAS अफसरों पर कार्रवाई ही नहीं होती, और आम लोगों की शिकायतें बंद कर दी जाती हैं —
तो क्या लोकायुक्त सिर्फ दिखावे की संस्था बनकर रह गई है?
क्या भ्रष्टाचारियों को अब डर नहीं, बल्कि सिस्टम का संरक्षण मिल रहा है?

Buland Soch सवाल पूछता रहेगा — क्योंकि जवाबदेही ज़रूरी है।

NO COMMENTS

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here