Buland Soch News | मऊगंज |
बाढ़ नहीं, भ्रष्टाचार की परिणति है ये जलभराव!
मऊगंज की तस्वीरें इन दिनों सोशल मीडिया और स्थानीय गलियों में चर्चा का विषय बनी हुई हैं। यह कोई नदी-नाले की बाढ़ नहीं है — यह उस प्रशासनिक लापरवाही और भ्रष्ट व्यवस्था का प्रमाण है जो आज एक पूरे शहर को डुबो रही है।
जिन अधिकारियों और जनप्रतिनिधियों के कंधों पर शहर की तरक्की की जिम्मेदारी थी, वे आज या तो आंखें मूंदे बैठे हैं या फिर जनता की शिकायतों को सीएम हेल्पलाइन के अंधेरे गड्ढों में फेंक चुके हैं। सैकड़ों शिकायते विधायक से लेकर कलेक्टर और मुख्यमंत्री हेल्पलाइन तक पहुंच चुकी हैं, लेकिन परिणाम वही शून्य।
कागज़ों पर तेज़ी, ज़मीन पर गंदगी की बयार
मऊगंज में जल निकासी, साफ-सफाई और अतिक्रमण हटाने के नाम पर सिर्फ़ कागज़ी कार्रवाई चल रही है। असल में न नाले साफ़ हो रहे हैं, न अतिक्रमण हट रहा है और न ही अवैध निर्माण पर लगाम है।
मऊगंज पुलिस थाना के बगल की ताज़ा तस्वीरें बताती हैं कि बरसात आते ही घरों में पानी घुसने लगता है, महिलाएं और बच्चे घर में कैद होने को मजबूर हैं, और प्रशासन अभी भी ‘सर्वे’ और ‘भविष्य की योजना’ में व्यस्त है।
प्रशासन दोषियों को बचा रहा या खुद दोषी है?
एक ओर जनता कह रही है कि अवैध निर्माण की शिकायतें कई बार दी गईं, दूसरी ओर अधिकारी इसे ‘प्राकृतिक आपदा’ बताकर बच निकलना चाहते हैं।
तो फिर सवाल उठता है — इन अवैध निर्माणों की अनुमति किसने दी?
क्या प्रशासन की चुप्पी खुद के अपराधों को ढकने की कोशिश नहीं?
क्या किसी बड़ी दुर्घटना के इंतज़ार में है प्रशासन?
स्थानीय लोगों का आरोप है कि प्रशासन तब ही हरकत में आता है जब किसी की जान चली जाती है, या मीडिया में वायरल हो जाती है कोई वीडियो। मऊगंज को ऐसा प्रतीत हो रहा है जैसे कोई बड़ा हादसा ही अब सुधार का कारण बनेगा।