Saturday, November 8, 2025
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मध्य प्रदेश विधानसभा का मानसून सत्र: आदिवासी मुद्दों पर गरमाया सदन, लाडली बहनों को 1500 रुपए की घोषणा

तीसरे दिन पेसा कानून के क्रियान्वयन और वनाधिकार से बेदखल आदिवासियों के मुद्दे पर विपक्ष का जोरदार हंगामा, CM मोहन यादव ने लाडली बहना योजना की राशि ₹1500 करने का ऐलान किया

Buland Soch News – 31 जुलाई 2025

मध्य प्रदेश विधानसभा का मानसून सत्र इस बार कई अहम मुद्दों पर गरमाया रहा। तीसरे दिन विपक्ष ने पेसा कानून के गलत क्रियान्वयन और आदिवासियों को वन क्षेत्र से जबरन बेदखल किए जाने के मुद्दे पर तीखी बहस की। मुख्यमंत्री मोहन यादव ने सदन में लाडली बहना योजना की राशि दीपावली 2025 से ₹1500 प्रतिमाह करने की घोषणा की, जिसे लेकर सत्ता पक्ष ने तालियां बजाईं तो विपक्ष ने इसे चुनावी स्टंट बताया।

पेसा और आदिवासी मुद्दे पर हंगामा

कांग्रेस विधायकों ने आरोप लगाया कि प्रदेश सरकार पेसा कानून को पूरी तरह लागू करने में विफल रही है। आदिवासी बहुल इलाकों में लोगों को उनके वनाधिकार से वंचित किया जा रहा है। कांग्रेस विधायक उमंग सिंघार और बिसाहूलाल सिंह ने इस विषय पर तीखी आपत्ति दर्ज की और जवाब में सत्ता पक्ष की ओर से गोलमोल जवाब दिए गए।

लाडली बहना योजना पर बड़ा ऐलान

मुख्यमंत्री मोहन यादव ने सदन में घोषणा की कि दीपावली 2025 से महिलाओं को मिलने वाली मासिक सहायता ₹1500 कर दी जाएगी, और आगामी समय में इसे ₹3000 तक ले जाने की योजना है। उन्होंने इसे महिला सशक्तिकरण का कदम बताया। विपक्ष ने इसे आगामी निकाय चुनावों से जोड़ते हुए आलोचना की।

अनुपूरक बजट पर चर्चा

सदन में प्रश्नकाल, शून्यकाल और ध्यानाकर्षण के बाद करीब दो घंटे तक अनुपूरक बजट पर चर्चा हुई। बजट में बुनियादी ढांचे, स्वास्थ्य और शिक्षा को लेकर कुछ नए प्रस्ताव लाए गए हैं, लेकिन विपक्ष ने बजट को “लोकलुभावन वादों का पुलिंदा” करार दिया।

सत्र के पहले दो दिन

मानसून सत्र के पहले दो दिनों में भी सरकार की विभिन्न योजनाओं पर सवाल उठे थे, जैसे कि सिंचाई परियोजनाएं, सड़कों की स्थिति और स्कूलों की हालत।

मध्य प्रदेश विधानसभा का यह मानसून सत्र भले ही सरकार की योजनाओं और घोषणाओं के केंद्र में रहा हो, लेकिन विपक्ष के तीखे सवालों और आदिवासी हितों से जुड़े मुद्दों ने सत्र को संघर्षपूर्ण बना दिया। आने वाले दिनों में यह देखना होगा कि लाडली बहनों से लेकर वनवासियों तक, सरकार अपने वादों को ज़मीनी हकीकत में कितना बदल पाती है।

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