Sunday, August 10, 2025
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पद का घमंड या भ्रष्टाचार का बोलबाला? रीवा की BEO आकांक्षा सोनी के खिलाफ गंभीर आरोपों की जांच शुरू

रीवा जिला शिक्षा कार्यालय में मचा हड़कंप, तीन दिन में जांच रिपोर्ट सौंपने का निर्देश, शिक्षक संघ लामबंद

रीवा (मध्यप्रदेश):
रीवा जिले की चर्चित खंड शिक्षा अधिकारी (BEO) आकांक्षा सोनी एक बार फिर सुर्खियों में हैं — लेकिन इस बार स्कूल निरीक्षण नहीं, बल्कि भ्रष्टाचार के संगीन आरोपों के चलते।

जांच की मांग लंबे समय से उठ रही थी, लेकिन अब जाकर रीवा जिला कलेक्टर के आदेश पर तीन सदस्यीय जांच दल का गठन किया गया है। शिक्षा विभाग में इस प्रकार की त्वरित जांच किसी बड़े प्रशासनिक संकट की ओर इशारा करती है।

सूत्रों के अनुसार, बीईओ आकांक्षा सोनी पर विद्यालय निरीक्षण के नाम पर फर्जी बिलिंग, एक ही दिन में एक स्कूल के निरीक्षण की फाइल में पूरे रूट के खर्च दिखाने, तथा कार्यालय से स्कूलों की दूरी बढ़ा-चढ़ाकर पेश करने जैसे गंभीर वित्तीय अनियमितताओं के आरोप लगे हैं।

इसके अलावा, शिक्षकों का आरोप है कि बीईओ वेतन एरियर के भुगतान में जानबूझकर देरी, दुर्व्यवहार, और भ्रामक शिकायतों के माध्यम से शिक्षकों को मानसिक रूप से प्रताड़ित कर रही हैं।

शिक्षक संघ का आक्रोश

रीवा शिक्षक संघ ने आकांक्षा सोनी के रवैये को “तानाशाही” करार देते हुए कहा कि एक परिवीक्षाधीन अधिकारी को इतनी शक्ति देना, प्रशासन की गलती है
कई शिक्षकों ने लिखित शिकायतें वरिष्ठ अधिकारियों को भेजीं हैं, और कुछ ने तो न्यायालय का रुख भी किया है।

जानकारी के अनुसार, आकांक्षा सोनी मध्यप्रदेश लोक सेवा आयोग (MPPSC) से चयनित हैं, लेकिन PSC पास करने का घमंड इस कदर सिर चढ़ा, कि उन्होंने बाकी स्टाफ को “अपात्र” कहकर व्यवहार करना शुरू कर दिया।

उन्होंने शिक्षकों के प्रति न सिर्फ अपमानजनक भाषा का प्रयोग किया, बल्कि विद्यालयों में डर और अनिश्चितता का माहौल बना दिया।

जिला शिक्षा अधिकारी रामराज मिश्रा ने तीन सदस्यीय जांच दल गठित किया है, जिसे तीन दिनों में रिपोर्ट सौंपनी है।
प्रशासन की इस कार्रवाई से प्रतीत होता है कि अब आरोपों को हल्के में नहीं लिया जा रहा, लेकिन सवाल यह भी है कि —
क्या जांच निष्पक्ष होगी?
या फिर यह भी एक “फाइलनुमा खानापूर्ति” बनकर रह जाएगी?

प्रदेश में यह पहला मौका नहीं है जब किसी बीईओ पर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप लगे हों, लेकिन यह मामला इसलिए भी अलग है क्योंकि एक परिवीक्षाधीन अधिकारी के कार्यकाल में ही इतने विवाद उत्पन्न हो गए हैं।

अब देखना यह होगा कि प्रशासन इस मसले को राजनीतिक संरक्षण बनाम जवाबदेही की कसौटी पर कैसे तौलता है।

बुलंद सोच न्यूज़ की यह विशेष रिपोर्ट जारी रहेगी — हम प्रशासन की जांच प्रक्रिया, शिक्षकों की प्रतिक्रिया और रिपोर्ट के निष्कर्षों पर लगातार अपडेट देंगे।

kanchan shivpuriya
kanchan shivpuriyahttp://www.bulandsoch.com
कंचन शिवपुरीया माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता विश्वविद्यालय की मास कम्युनिकेशन की छात्रा हैं। पत्रकारिता के क्षेत्र में सक्रिय रूप से कार्य कर रही हैं और सामाजिक मुद्दों पर स्पष्ट, तथ्यपूर्ण एवं संवेदनशील दृष्टिकोण के लिए जानी जाती हैं।
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